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रूस ने काला सागर में किंजल हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात कीं, जानिए इनकी विशेषताएं

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रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अनुसार यह फैसला मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य गतिविधियों की जवाबी कार्रवाई के रूप में किया गया है, जो इज़राइल-हमास संघर्ष के बहाने भूमध्य सागर में कई विमानवाहक पोत तैनात किये हैं।
18 अक्तूबर को अपनी बीजिंग यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की कि उन्होंने किंजल हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस लड़ाकू विमानों को काला सागर पर गश्त करने का आदेश दिया है।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा, “मेरे आदेश पर रूसी वायु सेना काला सागर के ऊपर तटस्थ हवाई क्षेत्र में स्थायी आधार पर गश्त शुरू कर रही है।”

पुतिन ने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि गश्त MiG-31 विमानों द्वारा की जाएगी, जो किंजल मिसाइलों से लैस हैं।
राष्ट्रपति के अनुसार रूस यह कदम इसलिए उठा रहा है, क्योंकि अमेरिका यूक्रेन में जारी संघर्ष में तेजी से शामिल हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, "यह सब मध्य पूर्व में संघर्ष के बीच हो रहा है, इससे माहौल खराब हो रहा है।” “अब उन्होंने (अमेरिका) दो विमानवाहक युद्ध पोतों को भूमध्य सागर में भेज दिया।”

पुतिन ने कहा, “यह कोई धमकी नहीं है, लेकिन भूमध्य सागर में जो कुछ भी हो रहा है उस पर हम दृश्य नियंत्रण, हथियारों से नियंत्रण करेंगे।”

किंजल आकाश से मार करने वाला एक हाइपरसोनिक मिसाइल है, जो अपनी पराध्वनिक गति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जब तक दुश्मन को यह मालूम पड़ेगा कि इस तरह का कोई मिसाइल उसपर हमला करने के लिए आ रहा है, तब तक यह मिसाइल लक्ष्य पर पहुंचकर उसे पूर्णतः नष्ट कर देगा।
किंजल मिसाइल का उपयोग विमानों और युद्धपोतों के खिलाफ किया जा सकता है। किंजल मिसाइल एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि रूस कैसे आगे बढ़ रहा है और रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
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