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सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप सेन ने 26/11 के एनएसजी ऑपरेशन को याद किया

© AP Photo / Rafiq MaqboolIn this Nov 17, 2018, photo, a man feeds pigeons outside the iconic Taj Mahal Palace hotel, the epicenter of the 2008 terror attacks that killed 166 people in Mumbai, India.
In this Nov 17, 2018, photo, a man feeds pigeons outside the iconic Taj Mahal Palace hotel, the epicenter of the 2008 terror attacks that killed 166 people in Mumbai, India. - Sputnik भारत, 1920, 26.11.2023
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15 साल बाद भी 26/11 का वह हमला लोगों के दिलों दिमाग से नहीं निकल पाया है। इसमें देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 10 आतंकवादियों ने हमला कर दिया था हालांकि, सुरक्षाबलों ने लगभग 59 घंटे चले इस ऑपरेशन में सभी आतंकवादियों को मार गिराया था।
26 नवंबर 2008 की रात को लश्कर-ए-तैयबा* नामक आतंकवादी संगठन के 10 आतंकवादियों ने मुंबई शहर में समुद्र के रास्ते प्रवेश कर हमला कर दिया था।
सुरक्षा बलों ने 10 में से नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे (CSTR) स्टेशन पर हमला करने वाले दो आतंकवादियों में से एक पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया।
कसाब को इस आतंकवादी हमले के लिए मई 2010 में मौत की सजा दी गई और दो साल बाद 21 नवंबर 2012 को पुणे की जेल में अधिकतम सुरक्षा के मध्य उसे फांसी दे दी गई।
हमले के लिए ताज और ओबेरॉय होटल, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, नरीमन हाउस में यहूदी केंद्र और लियोपोल्ड कैफे जैसी जगहों को चुना गया था। ये सभी जगह लोगों से खचाखच भरी रहती थी। इन जगहों पर किये गए हमलों में 166 लोग मारे गए और लगभग 300 लोग घायल हो गए।
A Pakistani policeman stands guard as worshippers leave after offering Friday prayere from a mosque of banned militant Jamaat-ud-Dawa (JuD) - an organisation believed by the United Nations (UN) to be a front for the banned Islamist militant group Lashkar-e-Taiba – after it was taken over by the authorities, in Lahore on March 8, 2019. Pakistan has detained more than 100 suspected militants, the country's interior ministry said Thursday, amid an ongoing crackdown on extremist groups prompted by weeks of high tension with neighbouring India. - Sputnik भारत, 1920, 10.11.2023
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इन आतंकवादियों से लड़ते हुए एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई पुलिस के हाई-प्रोफाइल आईपीएस अधिकारी अशोक काम्टे, मुंबई पुलिस के प्रसिद्ध एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और वरिष्ठ पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन के सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओम्बले को जो अजमल कसाब को पकड़ने के दौरान शहीद हो गए तैनात किया गया था। इसके अलावा CST रेलवे पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर शशांक शिंदे भी इस हमले में मारे गए थे।
Sputnik भारत ने भारतीय सेना से सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप सेन से बात की, जो 26/11 हमले के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप के द्वितीय कमान अधिकारी थे, वे उस समूह के प्रभारी थे जिसने मुंबई में चबाड लुबाविच यहूदी केंद्र नरीमन हाउस में आतंकवादियों को मार गिराया था।
15 साल बाद इस हमले को याद करते हुए कर्नल सेन कहते हैं कि उस दिन पाकिस्तानी आतंकवादियों के कायरतापूर्ण हमले में 166 लोगों की जान गंवा दी थी। जिस तरह का जज्बा देश और मुंबई ने दिखाया वह बहुत ही प्रशंसनीय था।

"मुंबई पुलिस, अग्निशमन दल, मार्कोस और एनएसजी जैसे बलों ने अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी और सभी आतंकवादियों को खत्म कर दिया। वहीं मुंबई पुलिस के तुकाराम ओम्बले भी थे जिन्होंने अपनी जान कुर्बान कर अजमल कसाब को पकड़ा था। कसाब के पकड़े जाने की वजह से हम इन हमलों को पाकिस्तान के गुनहगारों से जोड़ पाए," सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल संदीप सेन ने कहा।

हमले के शुरू होने के बाद भारत के सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन 'ब्लैक टॉरनेडो' चलाया जिसमें 10 में से 9 आतंकवादियों को मार गिराया। कर्नल संदीप आगे बताते हैं कि यह ऑपरेशन कठिन नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण था।

"जब मैंने नरीमन हाउस पर हमले का नेतृत्व किया था, और उस समय हम जिन परिस्थितियों का सामना कर रहे थे, वह एनएसजी के प्रशिक्षण की तुलना में कुछ भी नहीं थी जिससे हम गुजरते हैं, इसलिए प्रशिक्षण के बाद ऐसे ऑपरेशन आसान हो जाते हैं," सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सेन ने बताया।

अंततः जब उनसे आज के भारत के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा कि आज का भारत काफी मजबूत राष्ट्र है। उन्होंने जोड़ा कि मुझे नहीं लगता कि कोई भी देश ऐसे हमले के बारे में सोचेगा। आज का भारत दुश्मन को उसके देश में घुसकर मारने की काबिलियत रखता है।
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"आजकल हम आतंकवादियों को अपने देश के अंदर ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी जाकर खत्म कर रहे हैं। एक देश के रूप में भी हम ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर प्रशिक्षित और सुसज्जित हैं। इसके साथ साथ हम 2008 से कहीं बेहतर हैं," लेफ्टिनेंट कर्नल सेन ने आखिर में कहा।

इस घिनौने कृत्य को हुए 15 साल बीत गए हैं, और सारा देश आज उन वीर रणबांकुरों को याद कर रहा है जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए देशवासियों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
* प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन
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