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ग्लोबल साउथ को उपदेश देने से पूर्व पश्चिम को स्वयं ही उत्सर्जन कम करना चाहिए: भारत

© Sergej Bobylev / मीडियाबैंक पर जाएंIndian Prime Minister Narendra Modi
Indian Prime Minister Narendra Modi - Sputnik भारत, 1920, 01.12.2023
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पश्चिम ग्लोबल साउथ में हरित परिवर्तन के वित्तपोषण के अपने उत्तरदायित्व से परहेज करता है। हालांकि, उसने खुद 200 से अधिक वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग में योगदान दिया है और इसके लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है।
धन संपन्न देशों को पहले स्वयं के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना चाहिए, इसके उपरांत ही वे ग्लोबल साउथ के विकासशील देशों से समान उपाय करने की मांग कर सकते हैं।
यह बात भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) के अवसर पर 'अलेतिहाद' समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में कही।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि विकासशील देशों ने “[जलवायु परिवर्तन] समस्या के निर्माण में कोई योगदान नहीं दिया है।"

उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, “लेकिन फिर भी विकासशील देश समाधान का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं।"
मोदी ने वैश्विक समुदाय, विशेषतः विकसित देशों से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में हरित परिवर्तन में सहायता के लिए जलवायु वित्तपोषण को बढ़ाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “विकासशील देशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए विकसित देशों की प्रतिबद्धताओं का कार्यान्वयन COP28 एजेंडे में सबसे आगे होना चाहिए”।
साक्षात्कार शुक्रवार को प्रकाशित हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त अरब अमीरात की अध्यक्षता में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP28) में भाग लेने के लिए गुरुवार शाम दुबई पहुंचे थे।

उन्होंने अपने बयान में कहा, "COP28 पेरिस समझौते के अंतर्गत हुई प्रगति की समीक्षा करने और जलवायु कार्रवाई पर भविष्य की कार्यप्रणाली के लिए एक मार्ग तैयार करने का भी अवसर प्रदान करेगा।"

मोदी ने इस बात पर बल दिया कि भारत की G-20 अध्यक्षता में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के देशों ने ‘समानता, जलवायु न्याय और साझा परन्तु अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ-साथ अनुकूलन पर अधिक ध्यान के सिद्धांतों के आधार पर जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता की बात कही थी।

भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि विकासशील विश्व के प्रयासों को पर्याप्त जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ समर्थन दिया जाए।"

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