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मुंबई के जॉर्जे रेमेडिऑस ने लगाए फलों के जंगल
मुंबई के जॉर्जे रेमेडिऑस ने लगाए फलों के जंगल
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मुंबई में रहने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस ने विभिन्न फलों और पौधों के साथ फलों के जंगल विकसित किए हैं।
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उन्होंने विभिन्न फलों और पौधों के साथ फलों के जंगल विकसित किए हैं। इन जंगलों को बनाने के साथ साथ जॉर्ज रेमेडिऑस ने आदिवासियों के विभिन्न समुदायों को फसल उगाने के लिए भी मदद की है।इसकी शुरुआत उन्होंने भारत के महाराष्ट्र राज्य के मुंबई से की थी, जहां उन्होंने जगह की कमी के बावजूद सीमित जगह में आम, नारियल, पपीता, अमरूद, अनार, केले, भारतीय बेर जैसे फलों का जंगल बना दिया था, जो अब फल-फूल रहा है।मुंबई में रहने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस मुख्य तौर पर गोवा के हैं। उन्होंने यह सब लगभग 8 साल पहले अपनी एडवरटाइजिंग एजेंसी से स्थापित नौकरी छोड़कर शुरू किया था। उन्होंने बचपन से अपनी मां को अस्थमा से पीड़ित देखा जिसकी वजह से वे साफ वायु के लिए हमेशा कुछ करना चाहते थे।नौकरी छोड़कर उन्होंने टर्निंग टाइड नाम का एक एनजीओ पंजीकृत करवाया, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे आज भी लगातार अपने मिशन में लगे हुए हैं। महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, पुणे राजमार्ग और पालघर जैसी जगहों पर खाने के जंगलों को विकसित कर चुके हैं।मुंबई में उन्होंने अभी तक लगभग 10 'खाद्य वन' विकसित किए हैं। यहां आपको हरियाली के साथ-साथ बंदर, गिलहरियां, पक्षी और मधुमक्खियां भी नजर आ जाएंगी। Sputnik India ने खाने के जंगलों को स्थापित करने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस से बात की तब उन्होंने बताया कि वे इससे पहले एडवरटाइजिंग एजेंसी के बड़े पद पर कार्यरत थे, लेकिन उनका दिल पर्यावरण और आदिवासियों के लिए काम करने को करता रहता था। इसलिए उन्होंने टर्निंग टाइड शुरू किया।जॉर्ज रेमेडिऑस ने आगे बताया कि सभी तरह के खाद्य वन, फल, पेड़ों वाले जंगल एक अवधारणा है, जो जगह के मालिक पर निर्भर हैं। इसके आगे जॉर्ज रेमेडिऑस कहते हैं कि मैं पर्यावरण संबंधी बहुत सारा काम करता हूं। हमने अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी कर खाद्य वन अवधारणा की शुरुआत की। जॉर्ज कहते हैं कि एक खाद्य वन की लागत 15,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच होती है। रेमेडिऑस ने अपने टर्निंग टाइड फाउंडेशन के बारे में बताया कि यह स्वयंसेवकों का एक समूह है, जिसकी मदद से हम संस्थानों को सशक्त करने और उनके साथ काम करने का प्रयास करते हैं। क्योंकि इन संस्थानों के पास पहले से ही चौकीदार और सुरक्षा गार्ड जैसे लोग होते हैं जो जंगलों की निगरानी करते हैं और तो और पानी देने में मदद करते हैं। जॉर्ज रेमेडिऑस ने आगे कहा कि वे खाने के जंगल बनाने से पहले इलाके की मिट्टी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।अपने भविष्य के विकल्पों पर बात करते हुए उन्होंने अंत में बताया कि वे आदिवासियों, अनाथालयों और वृद्धाश्रमों के साथ बड़ी परियोजनाओं पर काम करना चाहते हैं। अनाथालयों में बच्चों के लिए बिना रसायन वाला खाना उनके लिए दवा है। हम अपने इस प्रयास की मदद से आदिवासियों को सशक्त बनाना चाहते हैं, उन्होंने कहा। यह सही दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि हम लोगों के जीवन पर बहुत ही सकारात्मक और साफ-सुथरे तरीके से सीधा प्रभाव डालना चाहते हैं। संभवतः ज्ञान और अनुभव के कारण शुष्क भूमि फलों के जंगल के लिए एक उत्कृष्ट स्थान हो सकती है।
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मुंबई के जॉर्जे रेमेडिऑस ने लगाए फलों के जंगल
08:07 09.12.2023 (अपडेटेड: 11:47 09.12.2023) विशेष
पर्यावरण बचाने के लिए दुनिया भर में लोग अपने अपने तरीके से कोशिशें कर रहे हैं, जिससे पृथ्वी के वातावरण को शुद्ध बनाया जा सके। इसी तरह की एक पहल की है मुंबई में रहने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस ने।
उन्होंने विभिन्न फलों और पौधों के साथ फलों के जंगल विकसित किए हैं। इन जंगलों को बनाने के साथ साथ जॉर्ज रेमेडिऑस ने आदिवासियों के विभिन्न समुदायों को फसल उगाने के लिए भी मदद की है।
इसकी शुरुआत उन्होंने भारत के महाराष्ट्र राज्य के
मुंबई से की थी, जहां उन्होंने जगह की कमी के बावजूद सीमित जगह में आम, नारियल, पपीता, अमरूद, अनार, केले, भारतीय बेर जैसे फलों का जंगल बना दिया था, जो अब फल-फूल रहा है।
मुंबई में रहने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस मुख्य तौर पर गोवा के हैं। उन्होंने यह सब लगभग 8 साल पहले अपनी एडवरटाइजिंग एजेंसी से स्थापित नौकरी छोड़कर शुरू किया था। उन्होंने बचपन से अपनी मां को अस्थमा से पीड़ित देखा जिसकी वजह से वे साफ वायु के लिए हमेशा कुछ करना चाहते थे।
नौकरी छोड़कर उन्होंने टर्निंग टाइड नाम का एक
एनजीओ पंजीकृत करवाया, जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे आज भी लगातार अपने मिशन में लगे हुए हैं। महाराष्ट्र में मुंबई, पुणे, पुणे राजमार्ग और पालघर जैसी जगहों पर खाने के जंगलों को विकसित कर चुके हैं।
मुंबई में उन्होंने अभी तक लगभग 10 'खाद्य वन' विकसित किए हैं। यहां आपको हरियाली के साथ-साथ बंदर, गिलहरियां, पक्षी और मधुमक्खियां भी नजर आ जाएंगी।
Sputnik India ने खाने के जंगलों को स्थापित करने वाले जॉर्ज रेमेडिऑस से बात की तब उन्होंने बताया कि वे इससे पहले एडवरटाइजिंग एजेंसी के बड़े पद पर कार्यरत थे, लेकिन उनका दिल
पर्यावरण और आदिवासियों के लिए काम करने को करता रहता था। इसलिए उन्होंने टर्निंग टाइड शुरू किया।
"8 साल पहले मैंने कुछ करने का फैसला किया। मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूं जिस पर मुझे विश्वास हो। मेरे कुछ दोस्त पिछले कुछ वर्षों में स्वयं सेवा करने आए और बाद में हमने टर्निंग टाइड पंजीकृत किया। कुछ अन्य गैर-सरकारी संगठनों के साथ हमने पूरे महाराष्ट्र में पुणे, पुणे राजमार्ग और पालघर, कर्नाटक के बेंगलुरु, तमिलनाडु के तीन स्थानों और गोवा के कुछ स्थानों पर खाद्य वन उगाये हैं," जॉर्ज रेमेडिऑस ने कहा।
जॉर्ज रेमेडिऑस ने आगे बताया कि सभी तरह के खाद्य वन, फल, पेड़ों वाले जंगल एक अवधारणा है, जो जगह के मालिक पर निर्भर हैं। इसके आगे जॉर्ज रेमेडिऑस कहते हैं कि मैं
पर्यावरण संबंधी बहुत सारा काम करता हूं। हमने अन्य
गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी कर खाद्य वन अवधारणा की शुरुआत की। जॉर्ज कहते हैं कि एक खाद्य वन की
लागत 15,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच होती है।
"हमने 2014 से मुंबई और उसके आसपास यह परियोजना शुरू की है। [...] संपत्ति मालिक उठाए गए कुछ कदमों से खुश हैं। इस प्रकार के कदमों के लिए धन की आवश्यकता होती है। एक चीज जो मैं हमेशा करता हूं वह है फॉलो-अप। यह महत्वपूर्ण है। हालांकि, मुंबई में जगह की कमी होने के कारण पेड़ लगाना बहुत कठिन होता है," उन्होंने कहा।
रेमेडिऑस ने अपने टर्निंग टाइड फाउंडेशन के बारे में बताया कि यह
स्वयंसेवकों का एक समूह है, जिसकी मदद से हम संस्थानों को सशक्त करने और उनके साथ काम करने का प्रयास करते हैं। क्योंकि इन संस्थानों के पास पहले से ही चौकीदार और सुरक्षा गार्ड जैसे लोग होते हैं जो जंगलों की निगरानी करते हैं और तो और पानी देने में मदद करते हैं। जॉर्ज रेमेडिऑस ने आगे कहा कि वे खाने के जंगल बनाने से पहले इलाके की मिट्टी पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
"हम इन बागानों में जैविक उर्वरक का उपयोग करते हैं। मैं सबसे पहले मिट्टी पर ध्यान केंद्रित करता हूं। जमीन मालिक आमतौर पर मुझसे संपर्क करते हैं जब मैं क्षेत्र की जांच करता हूँ। सभी खाद्य वन एक जैसे नहीं हो सकते। प्रकृति में हर पहलू अलग है," जॉर्ज रेमेडिऑस कहते हैं।
अपने भविष्य के विकल्पों पर बात करते हुए उन्होंने अंत में बताया कि वे आदिवासियों, अनाथालयों और वृद्धाश्रमों के साथ बड़ी परियोजनाओं पर काम करना चाहते हैं। अनाथालयों में बच्चों के लिए बिना रसायन वाला खाना उनके लिए दवा है। हम अपने इस प्रयास की मदद से आदिवासियों को सशक्त बनाना चाहते हैं, उन्होंने कहा। यह सही दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि हम लोगों के जीवन पर बहुत ही सकारात्मक और साफ-सुथरे तरीके से सीधा प्रभाव डालना चाहते हैं। संभवतः ज्ञान और अनुभव के कारण शुष्क भूमि फलों के जंगल के लिए एक उत्कृष्ट स्थान हो सकती है।