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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आदेश को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आदेश को बरकरार रखा
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है।
2023-12-11T13:07+0530
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भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 370 भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के विलय को आसान बनाने के लिए एक अस्थायी प्रावधान था।सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सरकार को जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया और चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का भी आदेश दिया।विशेष दर्जे की जरूरत क्यों नहीं, इसका जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब जम्मू और कश्मीर भारत में शामिल हुआ तो उसने संप्रभुता बरकरार नहीं रखी और भारत में विलय होते ही उसकी संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया।बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 16 दिनों की सुनवाई के बाद इस साल 5 सितंबर को मामले में 23 याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के आदेश को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सर्वोच्च अदालत की पांच सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 370 भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के विलय को आसान बनाने के लिए एक अस्थायी प्रावधान था।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सरकार को
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया और चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का भी आदेश दिया।
"हम निर्देश देते हैं कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए," मुख्य न्यायाधीश ने कहा। हालाँकि, अदालत ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को बरकरार रखा।
विशेष दर्जे की जरूरत क्यों नहीं, इसका जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब जम्मू और कश्मीर भारत में शामिल हुआ तो उसने संप्रभुता बरकरार नहीं रखी और भारत में विलय होते ही उसकी संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया।
"जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का इरादा स्थायी निकाय बनने का नहीं था। इसका गठन केवल संविधान बनाने के लिए किया गया था। संविधान सभा की सिफारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी," सुप्रीम कोर्ट ने कहा।
बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 16 दिनों की सुनवाई के बाद इस साल 5 सितंबर को मामले में 23 याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल थे।