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जानें ईरान और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की खाई में क्यों नहीं उतरे?
जानें ईरान और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की खाई में क्यों नहीं उतरे?
Sputnik भारत
Sputnik ने मध्य पूर्व के जानकार से यह जानने की कोशिश की क्या यह हमले आगे किसी भी तरह के परमाणु युद्ध का रूप भी ले सकते हैं?
2024-01-22T19:26+0530
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पिछला हफ्ता ईरान और पाकिस्तान के लिए बहुत उथल पुथल भरा रहा, ईरान ने पश्चिमी पाकिस्तान के कुछ हिस्सों पर मिसाइल हमला बोला तो अगले ही दिन पाकिस्तान ने जवाब देते हुए दक्षिण पूर्वी ईरान में हवाई हमले किए। हालांकि, फिर ईरान ने एक बयान जारी कर कहा कि "ईरान एक भाईचारा वाला देश है।ईरान ने हमले के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैश अल-अदल को वहीं पाकिस्तान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और ईरान में बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के ठिकानों को निशाना बना रहा था।जैसा की सब जानते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, लेकिन आज के समय में ईरान पाकिस्तान से कहीं बेहतर हालात में है, और युद्ध के हालात में वह पाकिस्तान पर इक्कीस साबित हो सकता है। लेकिन दोनों देशों में एक सबसे बड़ी विषमता है वह है परमाणु ताकत जो पाकिस्तान के पास है लेकिन ईरान के पास नहीं।Sputnik ने यह भू-राजनीति, ईरान, मध्य पूर्व, चीन और वैश्विक दक्षिण पर विशेषज्ञ एहसान सफ़रनेजाद से यह जानने की कोशिश की कि अगर युद्ध के हालात होते हैं तो क्या परमाणु युद्ध भी दोनों देशों के बीच में हो सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि इतिहास पर नज़र डालें तो परिणाम वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं थे।वही आगे उन्होंने दोनों देशों के एक दूसरे पर बोले गए हमलों के बाद परमाणु युद्ध होने के आसार पर आगे जोड़ते हुए कहा कि इस्लामाबाद के दूसरों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए ईरान पाकिस्तान का सबसे विश्वसनीय पड़ोसी है।ईरान द्वारा पाकिस्तान पर किये गए हमले ने घरेलू स्तर पर और अपने सहयोगियों को अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया, इसके साथ साथ उसके यह हमले अपने दुश्मनों को एक चेतावनी देने के प्रयास के रूप में भी देखे जा सकते हैं।वहीं पाकिस्तान चुनाव के करीब है, इसके अलावा वह आंतरिक दबावों का भी सामना कर रहा है। इसलिए उसे ईरान के हमले का जवाब देना पड़ा। इस स्थिति का परिणाम यह है कि ईरान-पाकिस्तान के हमलों ने दोनों देशों को मजबूत दिखाने की आवश्यकता को पूरा कर दिया, हालांकि उम्मीद यही है कि ईरान और पाकिस्तान के बीच स्थिति यथास्थिति में वापस आ जाएगी।
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ईरान और पाकिस्तान परमाणु युद्ध, परमाणु युद्ध, पाकिस्तान का आतंकवादी समूह जैश अल-अदल, ईरान में बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट, विशेषज्ञ एहसान सफ़रनेजाद, iran and pakistan nuclear war, nuclear war, pakistan's terrorist group jaish al-adl, balochistan liberation front in iran, expert ehsan safranejad
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जानें ईरान और पाकिस्तान परमाणु युद्ध की खाई में क्यों नहीं उतरे?
ईरान और पाकिस्तान ने जब एक दूसरे के इलाकों पर हमला बोला तो क्षेत्र में तनाव बढ़ गया और लगने लगा कि कहीं यह एक बड़े युद्ध का रूप न ले ले। Sputnik ने मध्य पूर्व के जानकार से यह जानने की कोशिश की क्या यह हमले आगे किसी भी तरह के परमाणु युद्ध का रूप भी ले सकते हैं?
पिछला हफ्ता ईरान और पाकिस्तान के लिए बहुत उथल पुथल भरा रहा, ईरान ने पश्चिमी पाकिस्तान के कुछ हिस्सों पर मिसाइल हमला बोला तो अगले ही दिन पाकिस्तान ने जवाब देते हुए दक्षिण पूर्वी ईरान में हवाई हमले किए। हालांकि, फिर ईरान ने एक बयान जारी कर कहा कि "ईरान एक भाईचारा वाला देश है।
ईरान ने हमले के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह जैश अल-अदल को वहीं पाकिस्तान बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी और ईरान में बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट के
ठिकानों को निशाना बना रहा था।
जैसा की सब जानते हैं कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत ठीक नहीं है, लेकिन आज के समय में ईरान पाकिस्तान से कहीं बेहतर हालात में है, और युद्ध के हालात में वह पाकिस्तान पर इक्कीस साबित हो सकता है। लेकिन दोनों देशों में एक सबसे बड़ी विषमता है वह है
परमाणु ताकत जो पाकिस्तान के पास है लेकिन ईरान के पास नहीं।
Sputnik ने यह भू-राजनीति, ईरान, मध्य पूर्व, चीन और वैश्विक दक्षिण पर विशेषज्ञ एहसान सफ़रनेजाद से यह जानने की कोशिश की कि अगर युद्ध के हालात होते हैं तो क्या
परमाणु युद्ध भी दोनों देशों के बीच में हो सकता है? इस पर उन्होंने कहा कि इतिहास पर नज़र डालें तो परिणाम वास्तव में आश्चर्यजनक नहीं थे।
"ईरान पाकिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाला पहला देश था। इसके 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, एक गुप्त समझौते की शर्तों के तहत युद्ध के क्रम में कराची की वायु रक्षा को ईरानी वायु सेना पर छोड़ दिया गया था। दूसरा कारण दोनों देशों की जनसंख्या है जो तुलनात्मक रूप से एक दूसरे की निधि हैं। पाकिस्तानियों का एक बड़ा हिस्सा ईरान समर्थक और प्रतिरोध की धुरी (AOR) है, जिन्होंने पश्चिमी साम्राज्यवाद के खिलाफ युद्ध में बहुत बलिदान दिया है," एहसान सफ़रनेजाद ने कहा।
वही आगे उन्होंने दोनों देशों के एक दूसरे पर बोले गए हमलों के बाद परमाणु युद्ध होने के आसार पर आगे जोड़ते हुए कहा कि इस्लामाबाद के दूसरों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए ईरान पाकिस्तान का सबसे विश्वसनीय पड़ोसी है।
"तालिबान और कुछ अन्य समूहों को पाकिस्तान के समर्थन जैसी कार्रवाइयों से ईरान की शिकायतों के बावजूद, दोनों देश शायद एक-दूसरे के अधिक विश्वसनीय पड़ोसी हैं, भारत और इजरायली मोसाद की अज़रबैजान में घातक गतिविधियों के कारण पाकिस्तान के तनाव को देखते हुए और इराक का कुर्दिस्तानी क्षेत्र, संक्षेप में कहें तो, दोनों देशों के पास परमाणु युद्ध के अलावा और भी बड़े काम करने को हैं," सफ़रनेजाद ने कहा।
ईरान द्वारा पाकिस्तान पर किये गए हमले ने घरेलू स्तर पर और अपने सहयोगियों को अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया, इसके साथ साथ उसके यह हमले अपने दुश्मनों को एक चेतावनी देने के प्रयास के रूप में भी देखे जा सकते हैं।
वहीं पाकिस्तान चुनाव के करीब है, इसके अलावा वह
आंतरिक दबावों का भी सामना कर रहा है। इसलिए उसे ईरान के हमले का जवाब देना पड़ा। इस स्थिति का परिणाम यह है कि ईरान-पाकिस्तान के हमलों ने दोनों देशों को मजबूत दिखाने की आवश्यकता को पूरा कर दिया, हालांकि उम्मीद यही है कि ईरान और पाकिस्तान के बीच स्थिति यथास्थिति में वापस आ जाएगी।