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अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान कैसे लागू हुआ?
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भारत जल्द ही 75 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। देश भर में इसे लेकर अलग अलग तरह की तैयारियां चल रही हैं, इसके साथ साथ देश की राजधानी दिल्ली भी इसे लेकर पूरी तरह से तैयार है।
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26 जनवरी 1950 में भारत द्वारा अपने संविधान को लागू किया गया था, इसलिए हर साल इस दिन को चिह्नित करने के लिए देश भर में समारोहों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा इनमें से सबसे भव्य और महत्वपूर्ण परेड नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है, जिसके जरिए देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य कौशल की बहुरंगी छवि का प्रदर्शन किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।राष्ट्रपति के साथ हर वर्ष के एक मुख्य अतिथि को भी निमंत्रण दिया जाता है, इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा परेड के दौरान देश पर कुर्बान होने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि और विपरीत परिस्थितियों में साहस दिखाने के लिए सैनिकों, नागरिकों और बच्चों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जाता है।गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर Sputnik भारत इससे जुड़ी कुछ जानकारियाँ साझा करने जा रहा है।गणतंत्र दिवस का इतिहास क्या है?भारत की आजादी से पहले देश को चलाने के लिए एक संविधान बनाने का प्रस्ताव अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के समक्ष रखा गया। इसी के तहत भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया और इसकी पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी।संविधान सभा की कई बैठकों के पश्चात चुनाव के माध्यम से एक का सरकार का गठन हुआ और इस सरकार ने एक कमेटी का गठन किया जिसने गहन मंत्रणा के बाद संविधान की रचना की, जिसकी प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर को बनाया गया था ।देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हो गया। 4 नवंबर 1948 को समिति ने संविधान का मसौदा तैयार करके इसे संविधान सभा को सौंप दिया। हालांकि, इसके बाद संविधान को अंतिम रूप से अपनाने से पहले लगभग दो वर्षों तक कई बैठकें हुईं, 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया।24 जनवरी 1950 को कुछ बदलावों के बाद समझौते के हिन्दी और अंग्रेजी में लिखे दो हस्तलिखित संस्करणों पर संसद के 308 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।यह 26 जनवरी को क्यों लागू हुआ, इसकी वजह एक घटना थी जो आजादी मिलने से कई वर्ष पहले 26 जनवरी 1929 में हुई जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ब्रिटिश शासन की डोमिनियन स्थिति का विरोध और भारतीय स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) की घोषणा करना शामिल था । इसलिए 26 जनवरी को संविधान लागू करने के लिए चुना गया।संविधान का क्या महत्व है?किसी भी देश को चलाने के लिए एक नियमावली की जरूरत होती है, जिसके आधार पर देश में फैसले किए जाते हैं।भारत में संविधान के लागू होने से पहले ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत सरकार अधिनियम (1935) के आधार पर देश चलाया जा रहा था।संविधान की प्रस्तावना संविधान के मूल संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। यह भारत को एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की घोषणा करता है जो लोगों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता दिलाने लिए प्रतिबद्ध है।प्रस्तावना मौलिक अधिकार प्रदान नहीं करती है और अदालतों में लागू करने योग्य नहीं है, लेकिन विभिन्न भारतीय अदालतें प्रस्तावना के साथ जुड़ी हुई हैं और इसे संविधान की व्याख्या को मार्गदर्शक के रूप में मानती हैं। इसके अलावा प्रस्तावना के शुरुआती और अंतिम वाक्य: "हम, लोग... अधिनियम को अपनाते हैं और खुद को यह संविधान सौंपते हैं" उस शक्ति का प्रतीक है जो लोगों के हाथों में निहित है।भारतीय संविधान और गणतंत्र दिवस के कुछ रोचक तथ्य
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अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान कैसे लागू हुआ?
भारत जल्द ही 75 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। देश भर में इसे लेकर अलग अलग तरह की तैयारियाँ चल रही हैं, इसके साथ साथ देश की राजधानी दिल्ली भी इसे लेकर पूरी तरह से तैयार है। Sputnik भारत यह बताने जा रहा है कि गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है।
26 जनवरी 1950 में भारत द्वारा अपने संविधान को लागू किया गया था, इसलिए हर साल इस दिन को चिह्नित करने के लिए देश भर में समारोहों का आयोजन किया जाता है।
इसके अलावा इनमें से सबसे भव्य और महत्वपूर्ण परेड नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित की जाती है, जिसके जरिए देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सैन्य कौशल की बहुरंगी छवि का प्रदर्शन किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
राष्ट्रपति के साथ हर वर्ष के एक मुख्य अतिथि को भी निमंत्रण दिया जाता है, इस बार फ्रांस के राष्ट्रपति
इमैनुएल मैक्रॉन गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा परेड के दौरान देश पर कुर्बान होने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि और विपरीत परिस्थितियों में साहस दिखाने के लिए सैनिकों, नागरिकों और बच्चों को वीरता पुरस्कार से नवाजा जाता है।
गणतंत्र दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर Sputnik भारत इससे जुड़ी कुछ जानकारियाँ साझा करने जा रहा है।
गणतंत्र दिवस का इतिहास क्या है?
भारत की आजादी से पहले देश को चलाने के लिए एक संविधान बनाने का प्रस्ताव अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के समक्ष रखा गया। इसी के तहत भारतीय संविधान सभा का गठन किया गया और इसकी पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी।
संविधान सभा की कई बैठकों के पश्चात चुनाव के माध्यम से एक का सरकार का गठन हुआ और इस सरकार ने एक कमेटी का गठन किया जिसने गहन मंत्रणा के बाद संविधान की रचना की, जिसकी प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ.
भीमराव आंबेडकर को बनाया गया था ।
देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हो गया। 4 नवंबर 1948 को समिति ने संविधान का मसौदा तैयार करके इसे संविधान सभा को सौंप दिया। हालांकि, इसके बाद संविधान को अंतिम रूप से अपनाने से पहले लगभग दो वर्षों तक कई बैठकें हुईं, 26 नवंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया।
24 जनवरी 1950 को कुछ बदलावों के बाद समझौते के हिन्दी और अंग्रेजी में लिखे दो हस्तलिखित संस्करणों पर संसद के 308 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
यह 26 जनवरी को क्यों लागू हुआ, इसकी वजह एक घटना थी जो आजादी मिलने से कई वर्ष पहले 26 जनवरी 1929 में हुई जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा
ब्रिटिश शासन की डोमिनियन स्थिति का विरोध और भारतीय स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) की घोषणा करना शामिल था । इसलिए 26 जनवरी को संविधान लागू करने के लिए चुना गया।
संविधान का क्या महत्व है?
किसी भी देश को चलाने के लिए एक नियमावली की जरूरत होती है, जिसके आधार पर देश में फैसले किए जाते हैं।भारत में संविधान के लागू होने से पहले ब्रिटिश औपनिवेशिक
भारत सरकार अधिनियम (1935) के आधार पर देश चलाया जा रहा था।
संविधान की प्रस्तावना संविधान के मूल संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। यह भारत को एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की घोषणा करता है जो लोगों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता दिलाने लिए प्रतिबद्ध है।
प्रस्तावना मौलिक अधिकार प्रदान नहीं करती है और अदालतों में लागू करने योग्य नहीं है, लेकिन विभिन्न भारतीय अदालतें प्रस्तावना के साथ जुड़ी हुई हैं और इसे संविधान की व्याख्या को मार्गदर्शक के रूप में मानती हैं। इसके अलावा प्रस्तावना के शुरुआती और अंतिम वाक्य: "हम, लोग... अधिनियम को अपनाते हैं और खुद को यह संविधान सौंपते हैं" उस शक्ति का प्रतीक है जो लोगों के हाथों में निहित है।
भारतीय संविधान और गणतंत्र दिवस के कुछ रोचक तथ्य
भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को सुबह 10:18 बजे लागू हुआ था, जिसके बाद भारत एक गणतंत्र देश बन गया।
भारत का संविधान पूरे विश्व में सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसे पूरा होने में लगभग 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। भारतीय संविधान की अंग्रेजी और हिंदी में दो प्रतियां हाथ से लिखी गई हैं।
भारतीय संविधान डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर द्वारा लिखा गया है। उन्हें भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाना जाता है।
सत्यमेव जयते (सबसे बड़े भारतीय आदर्श वाक्य में से एक) मुंडका उपनिषद, अथर्ववेद से लिया गया है। इसका पहली बार हिंदी भाषा में अनुवाद आबिद अली ने 1911 में किया था।
भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। हर साल 21 तोपों की सलामी के साथ भारत के राष्ट्रपति सम्मान सहित गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।
26 जनवरी 1950 को भारत के पहले
गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो पहले मुख्य अतिथि थे।
मलिक गुलाम मोहम्मद (पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल) 1955 में राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि थे जब गणतंत्र दिवस परेड पहली बार शुरू हुई थी।