DRDO के ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम ने कक्षा में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया
17:41 01.02.2024 (अपडेटेड: 17:42 01.02.2024)
© AP Photo / Aijaz RahiJournalists film the live telecast of spacecraft Chandrayaan-3 landing on the moon at ISRO's Telemetry, Tracking and Command Network facility in Bengaluru, India, Wednesday, Aug. 23, 2023.
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TDF रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे रक्षा और एयरोस्पेस, विशेषकर स्टार्ट-अप और एमएसएमई में नवाचार के वित्तपोषण के लिए 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत DRDO द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को बयान जारी कर बताया कि DRDO की प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) योजना के तहत विकसित किए गए ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम को पीएसएलवी सी-58 द्वारा लॉन्च कर कक्षा में स्थापित किया गया है।
ऊंचाई नियंत्रण और सूक्ष्म उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए 1N क्लास ग्रीन मोनोप्रोपेलेंट थ्रस्टर के लिए बेंगलुरू स्थित स्टार्ट-अप बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (विकास एजेंसी) को मंजूरी दी गई थी।
इसरो टेलीमेट्री में पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पीओईएम) से टेलीमेट्री डेटा, बेंगलुरु के ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) द्वारा जमीनी स्तर के समाधान के साथ मान्य किया गया है और यह सभी प्रदर्शन मापदंडों से आगे पाए गए हैं।
इस नई प्रौद्योगिकी के परिणाम स्वरूप निम्न कक्षा वाले स्थान के लिए गैर-विषाक्त और पर्यावरण-अनुकूल प्रणोदन प्रणाली तैयार हुई है। इस प्रणाली में स्वदेशी रूप से विकसित प्रोपेलेंट, फिल और ड्रेन वाल्व, लैच वाल्व, सोलेनॉइड वाल्व, कैटलिस्ट बेड, ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हैं जो उच्च थ्रस्ट आवश्यकताओं वाले अंतरिक्ष मिशन के लिए आदर्श है।
पूरा प्रोजेक्ट DRDO के प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एंड मेंटरिंग ग्रुप के मार्गदर्शन में विकास एजेंसी द्वारा किया गया है। इसने निर्वात में स्पंदित मोड और स्थिर अवस्था में फायरिंग, बाहरी अंतरिक्ष में अवशिष्ट प्रणोदक के पारित होने, प्रणोदक प्राप्ति और TDF के तहत भरने की प्रक्रिया की स्थापना का प्रदर्शन किया है।
ऊंचाई नियंत्रण और सूक्ष्म उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने के लिए 1N क्लास ग्रीन मोनोप्रोपेलेंट थ्रस्टर के लिए बेंगलुरू स्थित स्टार्ट-अप बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (विकास एजेंसी) को मंजूरी दी गई थी।
इसरो टेलीमेट्री में पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पीओईएम) से टेलीमेट्री डेटा, बेंगलुरु के ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) द्वारा जमीनी स्तर के समाधान के साथ मान्य किया गया है और यह सभी प्रदर्शन मापदंडों से आगे पाए गए हैं।
इस नई प्रौद्योगिकी के परिणाम स्वरूप निम्न कक्षा वाले स्थान के लिए गैर-विषाक्त और पर्यावरण-अनुकूल प्रणोदन प्रणाली तैयार हुई है। इस प्रणाली में स्वदेशी रूप से विकसित प्रोपेलेंट, फिल और ड्रेन वाल्व, लैच वाल्व, सोलेनॉइड वाल्व, कैटलिस्ट बेड, ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हैं जो उच्च थ्रस्ट आवश्यकताओं वाले अंतरिक्ष मिशन के लिए आदर्श है।
पूरा प्रोजेक्ट DRDO के प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एंड मेंटरिंग ग्रुप के मार्गदर्शन में विकास एजेंसी द्वारा किया गया है। इसने निर्वात में स्पंदित मोड और स्थिर अवस्था में फायरिंग, बाहरी अंतरिक्ष में अवशिष्ट प्रणोदक के पारित होने, प्रणोदक प्राप्ति और TDF के तहत भरने की प्रक्रिया की स्थापना का प्रदर्शन किया है।