https://hindi.sputniknews.in/20240208/bhaaritiiy-senaa-ne-antriiksh-rikshaa-shkti-bdhaane-ke-lie-3-arib-dlri-niridhaariit-kie-shiirish-sainy-adhikaariii-6484097.html
भारतीय सेना ने अंतरिक्ष रक्षा शक्ति बढ़ाने के लिए 3 अरब डॉलर निर्धारित किए: शीर्ष सैन्य अधिकारी
भारतीय सेना ने अंतरिक्ष रक्षा शक्ति बढ़ाने के लिए 3 अरब डॉलर निर्धारित किए: शीर्ष सैन्य अधिकारी
Sputnik भारत
भारत के आईएसआर ने खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं में सुधार करने के उद्देश्य से सेना की जरूरतों और उद्योग की जिम्मेदारी पर ध्यान दिया।
2024-02-08T16:58+0530
2024-02-08T16:58+0530
2024-02-08T16:59+0530
डिफेंस
अंतरिक्ष
अंतरिक्ष उद्योग
भारत
भारत का विकास
तकनीकी विकास
रक्षा मंत्रालय (mod)
भारत सरकार
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय सुरक्षा
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0c/17/5939643_0:0:3072:1728_1920x0_80_0_0_2ceb6fb97623ccc9d5d6a6959d5d7e2b.jpg
बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अंतरिक्ष रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश के सशस्त्र बल द्वारा 25,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है। मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया है कि आवश्यकताओं में निगरानी उपग्रहों का एक नेटवर्क स्थापित करना और सुरक्षित संचार नेटवर्क में सुधार करना शामिल है।उन्होंने रक्षा बल की मूलभूत जरूरतों को मजबूत करके खुफिया, निगरानी और टोह क्षमता बढ़ाने में इस क्षेत्र की मूल भूमिका पर भी जोर दिया है। इसके लिए उन्होंने मल्टी-सेंसर उपग्रहों, लॉन्च-ऑन-डिमांड सेवाएँ और ग्राउंड स्टेशनों के एक मजबूत नेटवर्क के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।उन्होंने कहा, “भारत के रक्षा बल अपनी PNT आवश्यकताओं के लिए विदेशी उपग्रहों पर निर्भर नहीं रह सकते। नेविगेशन, सिंक्रोनाइज़ेशन के साथ-साथ लंबी दूरी की सहभागिता के लिए PNT सेवाओं के लिए एक सुरक्षित, विश्वसनीय और लचीले नेविगेशन समूह के निर्माण की जरूरत होगी।"उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि उच्च गति, सुरक्षा, उपग्रह-सहायता संचार विस्तार के कारण एक और अवसर मिला है।जनरल चौहान ने कहा, "विश्वसनीय और टिकाऊ कवरेज प्रदान करने के लिए उपग्रह इंटरनेट की शुरुआत, 5G पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने वाले उपग्रह, स्वचालित उपग्रह और एलईओ उपग्रहों की दिशा में निवेश करने की आवश्यकता है।"
https://hindi.sputniknews.in/20240207/bhartiya-antriksh-station-ko-charanbaddh-tareke-se-2035-tk-sthaapit-kiyaa-jaayega-vigyan-mantri-6476820.html
भारत
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2024
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/0c/17/5939643_230:0:2961:2048_1920x0_80_0_0_2d6fc5e144d21135a746ae4960944efa.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
भारत, बूजेट, अंतरिक्ष, भारतीय सेना रक्षा, 25 हजार करोड़, 25,000 करोड़, शीर्ष सैन्य अधिकारी, मल्टी-सेंसर उपग्रह, ऑन-डिमांड लॉन्च सेवा, ग्राउंड स्टेशन, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, भारतीय सशस्त्र बल, भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (navic), स्वदेशी पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (pnt), pnt, आत्मनिर्भरता, सिंक्रोनाइज़ेशन, जनरल अनिल
भारत, बूजेट, अंतरिक्ष, भारतीय सेना रक्षा, 25 हजार करोड़, 25,000 करोड़, शीर्ष सैन्य अधिकारी, मल्टी-सेंसर उपग्रह, ऑन-डिमांड लॉन्च सेवा, ग्राउंड स्टेशन, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, भारतीय सशस्त्र बल, भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (navic), स्वदेशी पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (pnt), pnt, आत्मनिर्भरता, सिंक्रोनाइज़ेशन, जनरल अनिल
भारतीय सेना ने अंतरिक्ष रक्षा शक्ति बढ़ाने के लिए 3 अरब डॉलर निर्धारित किए: शीर्ष सैन्य अधिकारी
16:58 08.02.2024 (अपडेटेड: 16:59 08.02.2024) भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने खुफिया, निगरानी और टोही क्षमताओं में सुधार करने के उद्देश्य से सेना की जरूरतों पर ध्यान दिया। इस उद्देश्य को मल्टी-सेंसर उपग्रह बनाकर, आवश्यकतानुसार लॉन्च सेवाएं प्रदान करके और एक बहुमुखी नेटवर्क स्थापित करके पूरा किया जा सकता है।
बुधवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अंतरिक्ष रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश के सशस्त्र बल द्वारा 25,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है। मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया है कि आवश्यकताओं में निगरानी उपग्रहों का एक नेटवर्क स्थापित करना और सुरक्षित संचार नेटवर्क में सुधार करना शामिल है।
एसआईए-इंडिया द्वारा आयोजित डेफसैट सम्मेलन और एक्सपो के दौरान जनरल चौहान ने भारत के निजी क्षेत्र के अंतरिक्ष उद्यमियों को यह सुनहरा मौका हाथ से न जाने देने के लिए और इस क्षेत्र में देश को जल्द ही आत्मनिर्भरता हासिल करने में योगदान करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने
रक्षा बल की मूलभूत जरूरतों को मजबूत करके खुफिया, निगरानी और टोह क्षमता बढ़ाने में इस क्षेत्र की मूल भूमिका पर भी जोर दिया है। इसके लिए उन्होंने मल्टी-सेंसर उपग्रहों, लॉन्च-ऑन-डिमांड सेवाएँ और ग्राउंड स्टेशनों के एक मजबूत नेटवर्क के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया।
सीडीएस ने भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (NAVIC) को मजबूत करके स्वदेशी पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (PNT) सेवाओं को विकसित करने के महत्त्व पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, “भारत के रक्षा बल अपनी PNT आवश्यकताओं के लिए विदेशी उपग्रहों पर निर्भर नहीं रह सकते। नेविगेशन, सिंक्रोनाइज़ेशन के साथ-साथ लंबी दूरी की सहभागिता के लिए PNT सेवाओं के लिए एक
सुरक्षित, विश्वसनीय और लचीले नेविगेशन समूह के निर्माण की जरूरत होगी।"
जनरल अनिल चौहान ने बताया, “भविष्य की हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए, अगर मैं एक मोटा अनुमान लगाऊं, तो आने वाले कुछ वर्षों में हमारा परिव्यय 25,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा। निजी उद्योग के लिए इस अवसर का उपयोग करने का यह सही समय है। निजी अंतरिक्ष उद्योग के लिए यह अमृतकाल हो सकता है। मैं सोचता हूं कि आत्मनिर्भर रक्षा अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का समय आ गया है।"
उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि उच्च गति, सुरक्षा, उपग्रह-सहायता संचार विस्तार के कारण एक और अवसर मिला है।
जनरल चौहान ने कहा, "विश्वसनीय और टिकाऊ कवरेज प्रदान करने के लिए उपग्रह इंटरनेट की शुरुआत, 5G पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने वाले उपग्रह, स्वचालित उपग्रह और एलईओ उपग्रहों की दिशा में निवेश करने की आवश्यकता है।"