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पुतिन के पुनर्निर्वाचन के लिए ग्लोबल साउथ की आकांक्षाएँ क्या हैं?

© AP Photo / Marco LongariA screen shows Russian President Vladimir Putin via video link delivering remarks as delegates look on while attending a meeting during the 2023 BRICS Summit at the Sandton Convention Centre in Johannesburg Thursday, Aug. 24, 2023.
A screen shows Russian President Vladimir Putin via video link delivering remarks as delegates look on while attending a meeting during the 2023 BRICS Summit at the Sandton Convention Centre in Johannesburg Thursday, Aug. 24, 2023.  - Sputnik भारत, 1920, 18.03.2024
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व्लादिमीर पुतिन 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ एक और छह साल के कार्यकाल के लिए तैयार हैं। इस जीत के साथ ग्लोबल साउथ के देशों को बहुधुवीय दुनिया का मार्ग प्रशस्त होता दिख रहा है।
फरवरी 2022 से यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के बाद रूस के खिलाफ एकतरफा पश्चिमी प्रतिबंधों का पालन करने में ग्लोबल साउथ के देशों ने बिलकुल भी उत्साह नहीं दिखाया और रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है।
इसके कई कारण हैं, जिनमें कई आर्थिक और भू-राजनीतिक हित, एकतरफा प्रतिबंधों का व्यापक संदेह और ऐतिहासिक पश्चिम-विरोधी भावनाएं शामिल हैं। भारत, ब्राज़ील, चीन, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ़्रीका, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात ग्लोबल साउथ के कुछ प्रमुख भागीदार हैं, जो एकतरफा प्रतिबंधों के विरोध में या तटस्थ बने हुए हैं। ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों के जून 2023 के एक संयुक्त बयान में कहा गया कि रूस के खिलाफ एकतरफा प्रतिबंधों का उपयोग संयुक्त राष्ट्र चार्टर के साथ 'असंगत' है।
रूस के साथ ग्लोबल साउथ का रिश्ता सिर्फ समकालीन भू-राजनीति द्वारा परिभाषित नहीं है। यह इतिहास, आर्थिक संबंधों और कूटनीति में भी परिलक्षित होता है। उदाहरण के लिए, भारत में एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि उत्तरदाताओं ने 1947 में आजादी के बाद से रूस को देश के 'सबसे विश्वसनीय भागीदार' के रूप में देखा।
इस बीच रूस और ग्लोबल साउथ के बीच संबंधों को विकसित करने में पुतिन के व्यक्तिगत योगदान के बारे में Sputnik India ने जब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रूसी और मध्य एशियाई अध्ययन केंद्र में सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. अनुराधा चेनॉय से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि 2000 में राष्ट्रपति पुतिन का सत्ता में आना भारत-रूस संबंधों को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण क्षण था और तब से राष्ट्रपति पुतिन ने इन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में विशेष रुचि ली है।

चेनॉय ने Sputnik India को बताया, "पुतिन भारत और भारतीय राजनीतिक नेतृत्व को उस तरह समझते हैं, जिस तरह दुनिया का कोई अन्य नेता नहीं समझता। वे भारत को बिना शर्त समर्थन देते हैं और कभी भी नैतिकता संबंधी उपदेश नहीं देते। वे भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते। वे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और भारतीय राष्ट्रीय हितों का समर्थन करते हैं, जो भारत-रूस के बीच घनिष्ठ सहयोग के लिए आधार का काम करता है।"

दरअसल इस मुद्दे के मूल में मुख्यतः पश्चिम द्वारा ग्लोबल साउथ के बारे में समझ की कमी है, क्योंकि दक्षिण की रणनीतिक प्राथमिकताएं और विकल्प पश्चिम से भिन्न हैं। ग्लोबल साउथ के देशों की अपनी कई गुना महत्वपूर्ण प्राथमिकताएँ हैं।

चेनॉय ने कहा, "ग्लोबल साउथ को तत्काल आर्थिक विकास की आवश्यकता है और वह किसी भी विदेशी इकाई द्वारा थोपे बिना विकास का अपना रास्ता चुनने का अधिकार चाहता है। इस विकास के लिए उन्हें बिना शर्त समर्थन की जरूरत है। ग्लोबल साउथ ने समझा है कि बहुध्रुवीयता ऐसे रास्ते की अनुमति देती है। इसलिए वे इस प्रयास में रूसी और राष्ट्रपति पुतिन के समर्थन की उम्मीद करते हैं।"

इस सवाल का जवाब देते हुए कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ संबंध स्थापित करने में पुतिन की रणनीति पश्चिमी नेताओं से कैसे भिन्न है, विशेषज्ञ ने रेखांकित किया कि "यह बिना शर्त के है।"
चेनॉय ने कहा, "रूस शासन परिवर्तन, सैन्य हस्तक्षेप, प्रतिबंधों, हत्याओं आदि के माध्यम से हस्तक्षेप नहीं करता है। रूस अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए अमेरिका की तरह छद्मवेशियों की तलाश में नहीं है। रूस के पास अन्य देशों की राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए कोई CIA भी नहीं है।"
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