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भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-4 की चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल का खुलासा
भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-4 की चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल का खुलासा
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की भविष्य की चंद्र अन्वेषण योजनाओं पर देसाई की हालिया प्रस्तुति के दौरान यह जानकारी सामने आई।
2024-05-13T15:52+0530
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की भविष्य की चंद्र अन्वेषण योजनाओं पर देसाई की हालिया प्रस्तुति के दौरान यह जानकारी सामने आई।दरअसल चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के उतरने का स्थान, शिव शक्ति पॉइंट, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट होने और स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों की उपस्थिति के कारण महत्वपूर्ण वैज्ञानिक रुचि का स्थल है।यह सीमित समय-सीमा चंद्रमा की सतह पर कठोर परिस्थितियों के कारण है, क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान अत्यधिक तापमान परिवर्तन और सूरज की रोशनी की कमी दीर्घकालिक संचालन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है।चंद्रयान-4 एक जटिल मिशन होगा जिसमें कई प्रक्षेपण और अंतरिक्ष यान मॉड्यूल शामिल होंगे। इसरो ने मिशन के लिए अलग-अलग पेलोड ले जाने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट हेवी-लिफ्ट एलवीएम-3 और वर्कहॉर्स पीएसएलवी लॉन्च करने की योजना बनाई है।बता दें कि मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्र नमूने एकत्र करना और विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। मिशन सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
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भारत के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-4 की चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल का खुलासा
अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC) के निदेशक नीलेश देसाई के अनुसार, भारत का महत्वाकांक्षी चंद्रयान-4 मिशन, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी को भारत वापस लाना है, चंद्रमा की सतह पर शिव शक्ति बिंदु के करीब उतरने का प्रयास करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की भविष्य की चंद्र अन्वेषण योजनाओं पर देसाई की हालिया प्रस्तुति के दौरान यह जानकारी सामने आई।
दरअसल चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के उतरने का स्थान, शिव शक्ति पॉइंट, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट होने और स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों की उपस्थिति के कारण महत्वपूर्ण वैज्ञानिक रुचि का स्थल है।
देसाई ने कहा, "इस क्षेत्र के पास उतरने से, चंद्रयान-4 को इन वैज्ञानिक रूप से मूल्यवान क्षेत्रों का अध्ययन करने और संभावित रूप से नमूने प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। मिशन का परिचालन काल एक चंद्र दिवस का होगा, जो पृथ्वी पर लगभग 14 दिन के बराबर है।"
यह सीमित समय-सीमा
चंद्रमा की सतह पर कठोर परिस्थितियों के कारण है, क्योंकि चंद्रमा पर रात के दौरान अत्यधिक तापमान परिवर्तन और सूरज की रोशनी की कमी दीर्घकालिक संचालन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा करती है।
चंद्रयान-4 एक जटिल मिशन होगा जिसमें कई प्रक्षेपण और
अंतरिक्ष यान मॉड्यूल शामिल होंगे। इसरो ने मिशन के लिए अलग-अलग पेलोड ले जाने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट हेवी-लिफ्ट एलवीएम-3 और वर्कहॉर्स पीएसएलवी लॉन्च करने की योजना बनाई है।
बता दें कि मिशन का प्राथमिक उद्देश्य
चंद्र नमूने एकत्र करना और विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। मिशन सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।