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रूसी परमाणु रिएक्टरों के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहा है भारत
रूसी परमाणु रिएक्टरों के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहा है भारत
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भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए रूस के साथ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
2024-05-14T14:52+0530
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को मुंबई में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया कि देश के अधिकारी अभी रूसी परमाणु रिएक्टरों के लिए अतिरिक्त स्थानों की खोज कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने भारतीय परमाणु ऊर्जा के विकास के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि फ़्रांस के साथ भी परमाणु सहयोग के तहत प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए चर्चा जारी है। दरअसल वर्तमान में कुडनकुलम में चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (इकाई 3, 4, 5 और 6) का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से प्रत्येक इकाई 1,000 मेगावाट क्षमता की है। कुडनकुलम में पहले से ही 1,000 मेगावाट के दो संयंत्र (यूनिट 1 और 2) चालू हैं। सभी छह इकाइयां रोसाटॉम द्वारा प्रदान की गई रूसी प्रौद्योगिकी और उपकरणों से बनाई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संयंत्र के 2027 में पूरी क्षमता से काम शुरू करने की उम्मीद है। गौरतलब है कि भारत और रूस ने दिसंबर 2023 में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित कुछ "बहुत महत्वपूर्ण" समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।
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रूसी परमाणु रिएक्टरों के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहा है भारत
भारत अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए रूस के साथ परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को मुंबई में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया कि देश के अधिकारी अभी रूसी परमाणु रिएक्टरों के लिए अतिरिक्त स्थानों की खोज कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हमारी चर्चा कुडनकुलम में हुई प्रगति पर चल रही है। वास्तव में हम रूसी रिएक्टर के लिए अतिरिक्त स्थानों की तलाश कर रहे हैं।"
विदेश मंत्री ने भारतीय परमाणु ऊर्जा के विकास के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि फ़्रांस के साथ भी परमाणु सहयोग के तहत प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए चर्चा जारी है।
दरअसल वर्तमान में
कुडनकुलम में चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (इकाई 3, 4, 5 और 6) का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से प्रत्येक इकाई 1,000 मेगावाट क्षमता की है। कुडनकुलम में पहले से ही 1,000 मेगावाट के दो संयंत्र (यूनिट 1 और 2) चालू हैं। सभी छह इकाइयां रोसाटॉम द्वारा प्रदान की गई रूसी प्रौद्योगिकी और उपकरणों से बनाई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संयंत्र के 2027 में पूरी क्षमता से काम शुरू करने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत और रूस ने दिसंबर 2023 में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भविष्य की बिजली उत्पादन इकाइयों के निर्माण से संबंधित कुछ "बहुत महत्वपूर्ण" समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।