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जानें उच्च ऊर्जा लेज़र हथियार प्रणाली क्या है और यह कैसे काम करती है?

CC0 / / A Pentagon artist's concept of a ground / space-based hybrid laser weapon, 1984
A Pentagon artist's concept of a ground / space-based hybrid laser weapon, 1984 - Sputnik भारत, 1920, 01.06.2024
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विश्व के अधिकांश देश ज़मीन, समुद्र, हवा और अंतरिक्ष में सैन्य अभियानों के लिए तीव्र गति से उच्च ऊर्जा वाले लेज़र हथियार विकसित कर रहे हैं।
आसमान में या समुद्र की लहरों के ऊपर छोटे, सस्ते ड्रोनों के झुंड को उड़ते हुए देखना सेना को महंगी और संभावित रूप से भारी मिसाइल रक्षा प्रणालियों के विकल्प के रूप में लेज़र हथियार विकसित करने और तैनात करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
लेजर हथियार तब से ही वैज्ञानिक कथाओं का मुख्य हिस्सा रहे हैं, जब लेज़र का आविष्कार भी नहीं हुआ था। हाल ही में ये हथियार कुछ षड्यंत्र सिद्धांतों में भी प्रमुखता से शामिल हुए हैं। दोनों ही कल्पनाएँ यह समझने पर बल देती हैं कि लेज़र हथियार वास्तव में कैसे काम करते हैं और उनका उपयोग किस लिए किया जाता है।
इस परिप्रेक्ष्य में Sputnik भारत से बात करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक और प्रवक्ता रहे रवि गुप्ता ने रेखांकित किया कि "किसी भी हथियार का उद्देश्य शत्रु के हथियारों को ध्वस्त करना होता है, इससे पहले कि शत्रु के हथियार हमारे किसी संपति या अवसंरचना को नुकसान पहुंचा पाए उससे पहले उसका विनाश करना बहुत आवश्यक होता है।"

"इसी उद्देश्य से उच्च ऊर्जा हथियार का निर्माण किया गया है। इस हथियार में कोई गोला-बारूद या मिसाइल नहीं छोड़ते हैं। जिस तरह से सूर्य की रोशनी को लेंस के माध्यम से कागज पर एक जगह केंद्रित करते है तो कागज जल उठता है, ठीक उसी तरह से उच्च ऊर्जा लेज़र हथियार काम करता है," विशेषज्ञ ने समझाया।

"50 के दशक के अंत में लेज़र का अविष्कार हुआ था। अंतर यह है कि लेज़र की जितनी भी किरणें हैं ये सीधी लाइन में चलती हैं और ज्यादातर एक ही तरंगदैर्ध्य पर काम करती हैं तथा उसकी किरणें बिलकुल सधी हुई होती हैं। फोकस, सीधी चलने और एक ही फेज में होने के कारण इनको किसी छोटे से स्थान पर केंद्रित करना आसान होता है। जिस स्थान पर केंद्रित किया जाता है वहां बहुत अधिक ऊर्जा केंद्रित हो जाती है नतीजतन अपनी गर्मी के कारण उसको लेज़र नष्ट कर देती है। लेज़र को कई किलोमीटर तक फोकस किया जा सकता है। लेज़र की किरणों में चूँकि बहुत अधिक ऊर्जा होती है इसलिए इसे उच्च ऊर्जा लेज़र कहा गया है," उन्होंने बताया।
साथ ही उन्होंने रेखांकित किया, "इस तरह के हथियारों को उच्च ऊर्जा हथियार का नाम दिया गया है। भारत में इसको निर्देशित ऊर्जा हथियार भी कहा जाता है। क्योंकि, किसी ऊर्जा को लक्ष्य पर विनाश करने के उद्देशय से निर्देशित कर सकते हैं।"
दरअसल लेज़र बिजली का उपयोग करके फोटॉन या प्रकाश कण उत्पन्न करता है। फोटॉन एक लाभ माध्यम से गुजरते हैं, एक ऐसी सामग्री जो अतिरिक्त फोटॉन का एक झरना बनाती है, जो तेजी से फोटॉन की संख्या बढ़ाती है। इन सभी फोटॉनों को फिर एक बीम डायरेक्टर द्वारा एक संकीर्ण किरण में केंद्रित किया जाता है।
1960 में प्रथम लेज़र के अनावरण के बाद के दशकों में कई तरह के लेज़र विकसित किए गए हैं जो विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में अवरक्त से लेकर पराबैंगनी तक विभिन्न तरंगदैर्घ्यों पर फोटॉन उत्पन्न करते हैं।
उच्च ऊर्जा लेज़र प्रणालियां, जिनका सैन्य अनुप्रयोगों में उपयोग हो रहा है, ठोस अवस्था लेज़र पर आधारित हैं, जो इनपुट विद्युत ऊर्जा को फोटॉन में परिवर्तित करने के लिए विशेष क्रिस्टल का उपयोग करती हैं।

"ड्रोन बाकी हथियारों के मुकाबले में बहुत अधिक सस्ते होते हैं और यह स्वचालित होता है अपने आप काम करने में सक्षम है। इसके माध्यम से सीमा पार से पाकिस्तान पंजाब में ड्रग्स भेज रहा है, जासूसी करने के लिए भेज रहा है ऐसे ड्रोन जो देश की अवसंरचना के लिए खतरा बन रहे हैं अगर हम उनको खत्म करने के लिए महंगे मिसाइल का इस्तेमाल करेंगे तो इससे देश को आर्थिक नुकसान होगा लेकिन उच्च ऊर्जा लेज़र हथियार बहुत सस्ता पड़ता है। इसलिए इसके द्वारा ड्रोन को खत्म करना बहुत आसान हो जाता है," गुप्ता ने टिप्पणी की।

उच्च-शक्ति ठोस-अवस्था लेज़रों का एक प्रमुख पहलू यह है कि फोटॉन विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के अवरक्त भाग में उत्पन्न होते हैं और इसलिए उन्हें मानव आंखों से नहीं देखा जा सकता है।

"लेज़र बीम वातावरण के साथ इंटरैक्ट करता है जिसके कारण उसका फोकस बिगड़ने लगता है तो उसके लिए बहुत ही उन्नत किस्म की तकनीक है जो अभी बहुत कम देशों के पास है। भारत ने भी इस दिशा में काफी प्रगति की है। इसे एडेप्टिव ऑप्टिक्स (AO) के नाम से जाना जाता है, जिससे बीम डायरेक्टर्स का बदलाव करते जाते हैं जो वातावरण के इंटरैक्ट के कारण उस लेज़र बीम में आ रहे बदलाव को सुधार देता है ताकि वह अपने लक्ष्य तक पहुँच जाए," विशेषज्ञ ने कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये सुनने में बहुत आसान लगता है लेकिन यह बहुत मुश्किल है। यह बहुत जटिल तकनीक है।"

दरअसल जब यह किसी सतह से संपर्क करता है, तो लेज़र बीम अपने फोटॉन तरंगदैर्ध्य, बीम में शक्ति और सतह की सामग्री के आधार पर अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करता है। कम शक्ति वाले लेजर जो स्पेक्ट्रम के दृश्य भाग में फोटॉन उत्पन्न करते हैं, सार्वजनिक कार्यक्रमों में पॉइंटर्स और लाइट शो के लिए प्रकाश स्रोत के रूप में उपयोगी होते हैं। ये किरणें इतनी कम शक्ति की होती हैं कि वे सतह को नुकसान पहुँचाए बिना आसानी से परावर्तित हो जाती हैं।

"उच्च ऊर्जा हथियार की गति प्रकाश की गति है। हम जानते हैं कि प्रकाश की गति से अधिक तेज कोई चीज चल नहीं सकती, इसलिए यह बहुत तेजी से काम करता है। आजकल हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से बहुत अधिक तीव्रता से चलते हैं। भारत के पास भी इस किस्म के मिसाइल हैं जो ध्वनि की गति से चार-पांच गुना तेजी से चलती हैं," विशेषज्ञ ने Sputnik Indiaको बताया।

आगे उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि "भारत की अग्नि मिसाइल जब अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ता है तो उसकी गति ध्वनि की गति से 25 गुणा अधिक हो जाती है, तो इतनी तीव्र गति से आने वाले मिसाइल को साधारण मिसाइल से नष्ट कर पाना बहुत कठिन होता है।"
उच्च-शक्ति औद्योगिक लेज़रों में हुई प्रगति के आधार पर, सेनाएं उच्च-ऊर्जा लेज़रों का बढ़ती संख्या में उपयोग कर रही हैं। उच्च-ऊर्जा लेज़र हथियारों का एक प्रमुख लाभ यह है कि बंदूकों और तोपों जैसे पारंपरिक हथियार जिनमें सीमित मात्रा में गोला-बारूद होता है, उनके विपरीत एक उच्च-ऊर्जा लेज़र तब तक फायर करता रह सकता है जब तक उसमें विद्युत शक्ति हो।

"अगर इन उच्च ऊर्जा हथियार को अंतरिक्ष में स्थापित कर दें तो जैसे ही हमारा दुश्मन सामरिक मिसाइल या परमाणु मिसाइल छोड़ता है तो उसे बूस्ट फेज में ही पता लगाकर ख़त्म किया जा सकता है। हालाँकि ये अभी प्राकल्पनात्मक है किसी भी देश ने इसका प्रदर्शन नहीं किया है। रूस और अमेरिका दोनों ही इस पर बहुत तेजी से काम कर रहे हैं," पूर्व वैज्ञानिक ने बताया।

Laser - Sputnik भारत, 1920, 26.08.2023
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