गठबंधन सहयोगियों पर निर्भरता मोदी के सुधार एजेंडे को कैसे करेगी प्रभावित
© AP Photo / Manish SwarupIndian Prime Minister Narendra Modi, center, in a saffron cap, and Chief Minister of Uttar Pradesh Yogi Adityanath, left, in saffron robes, ride in an open vehicle as they campaign for Bharatiya Janata Party (BJP) for the upcoming parliamentary elections in Ghaziabad, India, Saturday, April 6, 2024.
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में कई सुधार लाने हेतु प्रण लिए थे, लेकिन 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में खंडित जनादेश ने इस पर संदेह उत्पन्न कर दिया है। Sputnik भारत ने जांच की है कि गठबंधन सहयोगियों पर निर्भरता उनके सुधार एजेंडे को कैसे प्रभावित करेगी।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का करिश्माई नेतृत्व उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान सहयोगियों का दिल जीत लेगा और उनकी सरकार के सुधार एजेंडे से समझौता नहीं किया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक शिक्षाविद ने यह बात कही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन की टिप्पणी मोदी को ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद आई है, क्योंकि उनके नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने 543 सदस्यीय लोकसभा में 292 सीटें जीती हैं।
इसके साथ ही मोदी जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले भारत के एकमात्र नेता बन जाएंगे।
यद्यपि मोदी के नेतृत्व वाली NDA ने अगली सरकार बनाने के लिए बहुमत प्राप्त कर लिया, लेकिन भाजपा को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल और राजस्थान में झटका लगा, जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक संगठन अपने दम पर बहुमत प्राप्त करने में विफल रहा।
अंततः भाजपा को केवल 240 सीटों पर विजय प्राप्त हुई, जिससे भारतीय संसद में साधारण बहुमत के लिए भाजपा को 32 सीटों की कमी रह गई।
अब मोदी को अपनी सरकार चलाने के लिए सहयोगियों के समर्थन की आवश्यकता है, जिसकी उन्हें अपने पिछले दो कार्यकालों में आवश्यकता नहीं पड़ी थी, ऐसे में उनके सुधार एजेंडे पर खंडित जनादेश के संभावित प्रभावों के बारे में चर्चा हो रही है।
हालांकि, महाजन का मानना है कि गठबंधन की राजनीति की विविषताएं मोदी सरकार पर अधिक प्रभाव नहीं डालेंगी, क्योंकि उनके मुख्य सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार अपने-अपने राज्यों आंध्र प्रदेश और बिहार में अच्छे शासन के लिए जाने जाते हैं ।
इसके अतिरिक्त, मोदी की तरह नायडू और कुमार दोनों भ्रष्टाचार पर अपने सख्त रुख के लिए जाने जाते हैं ।
महाजन ने शुक्रवार को Sputnik भारत से कहा, "मौजूदा परिदृश्य में कुछ भी बदलने वाला नहीं है। इसका कारण यह है कि NDA के अधिकांश सहयोगी लंबे समय से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। भाजपा के वैचारिक एजेंडे में सबसे ऊपर देश में समान नागरिक संहिता (UCC) लाना है और इसके लिए मोदी को अपने गठबंधन सहयोगियों को विश्वास में लेना होगा और मुझे लगता है कि इस पर कुछ आम सहमति अवश्य बनेगी।"
उन्होंने कहा, "जहां तक 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का प्रश्न है, वे इस पर सहमत हो सकते हैं, क्योंकि यह करदाताओं के लाखों डॉलर बचाने के मामले में देश के लिए लाभप्रद है।"
जो लोग नहीं जानते, उनके लिए बता दें कि UCC के अंतर्गत भारत में दक्षिण एशियाई राष्ट्र में सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक आदि के लिए समान नागरिक कानून होंगे । वर्तमान में, भारत में इस क्षेत्र में मुसलमानों और हिंदुओं के लिए अलग-अलग कानून हैं।
"एक राष्ट्र एक चुनाव" के माध्यम से भाजपा देश के चुनाव आयोग को एक ही समय में संसद और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का अधिकार देना चाहती है। वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों के लिए अलग-अलग समय-सीमाएं हैं।
उल्लेखनीय है कि संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ 1971 तक होते रहे, उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस प्रणाली को समाप्त कर दिया।
इसके अतिरिक्त, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का मानना है कि भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की शून्य सहनशीलता की नीति में कोई कमी नहीं आएगी।
दूसरी ओर, राजस्थान स्थित भू-राजनीतिक थिंक टैंक यूसनस फाउंडेशन के सीईओ डॉ. अभिनव पंड्या का मानना है कि देश में गठबंधन की राजनीति की वापसी से भाजपा की बड़े सुधारों को लागू करने की क्षमता, विशेष रूप से हिंदुत्व विचारधारा से संबंधित सुधारों को लागू करने की क्षमता बाधित होगी।
उन्होंने Sputnik भारत को बताया, "उनके बड़े एजेंडे को आगे बढ़ाने में कई बाधाएं आएंगी, जैसे 1995 के वक्फ अधिनियम को खत्म करना।"
कानून के आलोचकों के अनुसार, यह वक्फ बोर्ड (शीर्ष प्रशासनिक मुस्लिम निकाय) को असीमित शक्तियां प्रदान करता है , जो उसे इस्लामी दान के नाम पर हिंदुओं सहित अन्य धर्मों की संपत्तियों को हड़पने की अनुमति देता है।
उदाहरण के लिए, कुछ वर्ष पहले तमिलनाडु में 1500 वर्ष पुराने एक हिंदू मंदिर को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था।
पांड्या ने कहा, "यहां तक कि जब लोग भाजपा को वोट देते हैं, तो वे पार्टी से ये परिवर्तन लाने की आशा करते हैं। उदाहरण के लिए, अपने पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जिसने कश्मीर को अर्ध-स्वायत्त दर्जा दिया था, जो एक प्रकार से विकास योजनाओं को वहां पहुंचने में बाधा डाल रहा था।"