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कमला हैरिस की भारतीय जड़ों के बावजूद उनके राष्ट्रपति बनने को लेकर भारत में उत्साह कम
कमला हैरिस की भारतीय जड़ों के बावजूद उनके राष्ट्रपति बनने को लेकर भारत में उत्साह कम
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राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से आने वाले चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस लेने के बाद देश की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस पार्टी की तरफ से सबसे पसंदीदा मानी जा रही हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से आने वाले चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस लेने के बाद देश की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस पार्टी की ओर से सबसे पसंदीदा उम्मीदवार मानी जा रही हैं।बाइडन के निर्णय के बाद अगले चुनाव तक वे अमेरिकी राष्ट्रपति बने रहेंगे, इस पर रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर वे कार्यालय के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते, तो वे अमेरिका को नहीं चला सकते हैं।अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौर को लेकर Sputnik India ने अमेरिका स्थित बकनेल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर झिकुन झू से बात की। बाइडन द्वारा कमला हैरिस को दिए जाने वाले समर्थन पर प्रोफेसर झू ने कहा कि बाइडन के बाहर होने के निर्णय की व्यापक रूप से आशा की जा रही थी, और इसे एक बड़े आश्चर्य या ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।इसके साथ प्रोफेसर झू ने कहा कि हाल ही में ट्रम्प पर हुई गोलीबारी को लेकर ट्रम्प के लिए लोगों में बहुत अधिक समर्थन देखा जा रहा है, इसलिए अगर उप राष्ट्रपति कमला हैरिस राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बन जाएंगी, तो उनका जीतना कठिन होगा।हैरिस के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने को लेकर भारत में उत्साह कमइस साल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद, ऐसा लगता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के किसी और अम्मीदवार के लिए भारत में बहुत कम इच्छा है, चाहे वह कमला हैरिस हो या कोई और।भले ही जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका "व्यापक रणनीतिक वैश्विक साझेदारी" रक्षा के साथ-साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ी है, लेकिन मानवाधिकारों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर दबाव डालने की वाशिंगटन की प्रवृत्ति के कारण द्विपक्षीय संबंधों की सतह पर स्पष्ट घर्षण रहा है।बाइडन द्वारा राष्ट्रपति पद की दौड़ से पीछे हटने के बाद एक प्रभावशाली भारतीय थिंक टैंक के प्रमुख ने बाइडन की विरासत को याद करते हुए Sputnik India को बताया कि अमेरिका एक कामकाजी समाज के रूप में खुद को बनाए रखने में पूरी तरह से असमर्थ है।इसके आगे उन्होंने खालिस्तानी अलगाववादियों को अमेरिका द्वारा दिए जा रहे समर्थन पर बात करते हुए बताया कि वाशिंगटन ने खालिस्तानी चरमपंथियों का बचाव कर भारत पर "अंतरराष्ट्रीय दमन" का आरोप लगाया था।
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राष्ट्रपति जो बाइडन, बाइडन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार, बाइडन ने लिया नाम वापस, अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी,अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस, डेमोक्रेट्स की सबसे पसंदीदा कमला हैरिस,president joe biden, biden is the democratic party's candidate, biden withdraws his name, presidential candidacy in the us election, us vice president kamala harris, democrats' favourite kamala harris
राष्ट्रपति जो बाइडन, बाइडन डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार, बाइडन ने लिया नाम वापस, अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी,अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस, डेमोक्रेट्स की सबसे पसंदीदा कमला हैरिस,president joe biden, biden is the democratic party's candidate, biden withdraws his name, presidential candidacy in the us election, us vice president kamala harris, democrats' favourite kamala harris
कमला हैरिस की भारतीय जड़ों के बावजूद उनके राष्ट्रपति बनने को लेकर भारत में उत्साह कम
20:07 22.07.2024 (अपडेटेड: 20:08 22.07.2024) इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी की नियम समिति ने नए राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन के लिए एक रूपरेखा लागू करने के लिए बुधवार को एक अहम बैठक बुलाई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से आने वाले चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से अपना नाम वापस लेने के बाद देश की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस पार्टी की ओर से सबसे पसंदीदा उम्मीदवार मानी जा रही हैं।
बाइडन के निर्णय के बाद अगले चुनाव तक वे अमेरिकी राष्ट्रपति बने रहेंगे, इस पर रिपब्लिकन
उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर वे कार्यालय के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते, तो वे अमेरिका को नहीं चला सकते हैं।
अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दौर को लेकर Sputnik India ने अमेरिका स्थित बकनेल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर झिकुन झू से बात की।
बाइडन द्वारा
कमला हैरिस को दिए जाने वाले समर्थन पर प्रोफेसर झू ने कहा कि बाइडन के बाहर होने के निर्णय की व्यापक रूप से आशा की जा रही थी, और इसे एक बड़े आश्चर्य या ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
"बाइडन द्वारा डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में कमला हैरिस के लिए त्वरित समर्थन थोड़ा आश्चर्यजनक है। पिछले तीन सप्ताहों में, डेमोक्रेटिक नेताओं और प्रमुख दाताओं के बीच इस बात पर कोई सहमति नहीं थी कि बाइडन की जगह कौन लेगा। अब बाइडन द्वारा हैरिस का समर्थन उनकी उम्मीदवारी के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा," प्रोफेसर झिकुन झू ने बताया।
इसके साथ प्रोफेसर झू ने कहा कि हाल ही में ट्रम्प पर हुई
गोलीबारी को लेकर ट्रम्प के लिए लोगों में बहुत अधिक समर्थन देखा जा रहा है, इसलिए अगर उप राष्ट्रपति कमला हैरिस राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बन जाएंगी, तो उनका जीतना कठिन होगा।
"ट्रम्प को हराना हैरिस के लिए एक कठिन काम है। ट्रम्प की शूटिंग ने उनके समर्थकों को उत्साहित करने में सहायता की। यह कल्पना करना कठिन है कि हैरिस या कोई अन्य डेमोक्रेटिक उम्मीदवार समान रूप से उत्साहित होंगे और डेमोक्रेटिक मतदाताओं को एकजुट करने में सक्षम होंगे," प्रोफेसर ने जोर देकर कहा।
हैरिस के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने को लेकर भारत में उत्साह कम
इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद, ऐसा लगता है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के किसी और अम्मीदवार के लिए भारत में बहुत कम इच्छा है, चाहे वह कमला हैरिस हो या कोई और।
भले ही जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका "व्यापक रणनीतिक वैश्विक साझेदारी" रक्षा के साथ-साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ी है, लेकिन मानवाधिकारों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर दबाव डालने की वाशिंगटन की प्रवृत्ति के कारण द्विपक्षीय संबंधों की सतह पर स्पष्ट घर्षण रहा है।
बाइडन द्वारा राष्ट्रपति पद की दौड़ से पीछे हटने के बाद एक प्रभावशाली
भारतीय थिंक टैंक के प्रमुख ने बाइडन की विरासत को याद करते हुए Sputnik India को बताया कि अमेरिका एक कामकाजी समाज के रूप में खुद को बनाए रखने में पूरी तरह से असमर्थ है।
“बाइडन प्रशासन द्वारा भारत पर दबाव डालने के लिए मानवाधिकारों का इस्तेमाल विदेश नीति के उपकरण के रूप में तेजी से किया जा रहा है। अमेरिका को हम पर उंगली उठाने से पहले अपनी चुनौतियों पर गौर करना चाहिए। उनके पास ड्रग से संबंधित, बंदूक और आव्रजन संबंधी मुद्दे हैं। फिर भी, वे बाकी दुनिया को मानवाधिकारों का उपदेश देते हैं,” उन्होंने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया।
इसके आगे उन्होंने
खालिस्तानी अलगाववादियों को अमेरिका द्वारा दिए जा रहे समर्थन पर बात करते हुए बताया कि वाशिंगटन ने खालिस्तानी चरमपंथियों का बचाव कर भारत पर "अंतरराष्ट्रीय दमन" का आरोप लगाया था।
“खालिस्तानी चरमपंथी हमारे प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से धमकी दे रहे हैं और भारत को तोड़ने की बात कर रहे हैं। भारत को एक व्यापक रणनीतिक साझेदार बताते हुए बाइडन प्रशासन उन चरमपंथियों का बचाव कर रहा है और भारत पर अंतरराष्ट्रीय दमन करने का आरोप लगा रहा है। जिस तरह से उन्होंने पन्नु मामले को संभाला, उसका भविष्य में असर पड़ना तय है,” उन्होंने कहा।