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रूसी सुदूर पूर्व में मौजूद संसाधनों से भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा: भारत-रूस व्यापार परिषद

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Next Stop, Wonder: Most Astonishing Train Routes of the World - Sputnik भारत, 1920, 05.09.2024
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भारत और रूस ने 2030 तक 100 बिलियन डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा है। इस बीच साल दर साल आगे बढ़ रहे संबंधों के परिप्रेक्ष्य में पूर्वी आर्थिक मंच के अवसर पर Sputnik India ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) में भारत-रूस व्यापार परिषद के अध्यक्ष त्रिभुवन दरबारी से बात की।
"भारत और रूसी सुदूर पूर्व क्षेत्र में जबरदस्त तालमेल है। भारत रूसी सुदूर पूर्व के समग्र विकास के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दे सकता है, जो राष्ट्रपति पुतिन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। और, वर्षों पहले व्लादिवोस्तोक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति रूस के सुदूर पूर्व के विकास के लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, भारत-रूस व्यापार परिषद के अध्यक्ष ने Sputnik India को पूर्वी आर्थिक मंच के अवसर पर बताया।
उन्होंने भरोसा जताया कि "विभिन्न क्षेत्रों के गवर्नर की कार्यशैली में, यहाँ तक कि सुदूर पूर्व में भी, एक जबरदस्त बदलाव देख रहा हूँ। गवर्नर द्वारा व्यापार समुदाय के साथ सीधे बातचीत करने की इच्छा है। यह प्रवृति एक अलग ही सहयोग और आयाम का रूप ले लेगी।"

"चूंकि रूसी संघ में गवर्नर काफी शक्तिशाली हैं, वे अपने क्षेत्रों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। वे भारत की क्षमता एवं भारत और रूस के बीच समय-परीक्षित संबंधों को समझते हैं। वहीं, भारत को यह भी एहसास है कि रूस के सुदूर पूर्व में मौजूद अपार एवं विविध संसाधनों, खनिजों के मामले में, दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए न केवल निकट भविष्य में बल्कि दीर्घावधि में भी जीत की स्थिति हो सकती है," दरबारी ने पूर्वी आर्थिक मंच (EEF) के अवसर पर Sputnik India के साथ साक्षात्कार में रेखांकित किया।

पर्यटन की अपार संभावनाएं

वहीं भारत और रूस द्वारा 2030 तक 100 बिलियन डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा और ऊर्जा के अलावा अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर त्रिभुवन दरबारी ने कहा कि रूस समृद्ध है और इसमें पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।

"अगर दोनों देशों के बीच पर्यटन के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो तो हम बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं," दरबारी ने आशा व्यक्त की।

उन्होंने आगे कहा, "हम भारत में उर्वरकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए सहयोग कर सकते हैं। रूस के पास कृषि विकास के लिए बहुत अधिक संभावना वाले विशाल भू-भाग हैं।"

"कृषि उत्पादन बढ़ाना और ऐसा माहौल बनाना, जहां रूस भारत से वह सब कुछ प्राप्त कर सके जो वह चाहता है और भारत को वह सब कुछ मिले जो रूस दे सकता है। इसलिए कृषि में यह दोनों पक्षों के लिए जीत वाली स्थिति है, बहुत बड़ा अवसर है, बहुत बड़ी गुंजाइश है, और हमें इसे पर्यटन और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के साथ विविधीकरण के लिए सहयोग के साथ आगे बढ़ाने की जरूरत है," दरबारी ने टिप्पणी की।

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