- Sputnik भारत, 1920
रूस की खबरें
रूस की गरमा-गरम खबरें जानें! सबसे रोचक आंतरिक मामलों के बारे में सूचना, रूस से स्पेशल स्टोरीस और रूसी विशेषज्ञों की प्रमुख वैश्विक मामलों पर मान्यता प्राप्त करें। रूसियों द्वारा जानें रूस का सच!

अफ़्रीकी संघ ने लेव तोलस्तोय अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार जीता

© SputnikLeo Tolstoy International Peace Prize award ceremony. Moscow, September 9, 2024
Leo Tolstoy International Peace Prize award ceremony. Moscow, September 9, 2024 - Sputnik भारत, 1920, 10.09.2024
सब्सक्राइब करें
प्रसिद्ध रूसी लेखक और मानवतावादी लेव तोलस्तोय के नाम पर दिए जाने वाला यह पुरस्कार एक अंतरराष्ट्रीय जूरी द्वारा शांति स्थापना गतिविधियों में संलग्न लोगों की उपलब्धियों के सम्मान के लिए प्रदान किया जाता है।
इस वर्ष लेव तोलस्तोय पुरस्कार अफ़्रीकी संघ को शांति को प्रबल करने और तीसरे विश्व युद्ध या परमाणु आपदा के संकट को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया था।
यह पुरस्कार लोगों द्वारा हथियारों की दौड़ का विरोध, बहुध्रुवीय विश्व मूल्यों को बढ़ावा और तृतीय विश्व युद्ध के खतरे को टालने का प्रयास करने वाले लोग भी सम्मिलित होते हैं। इसे विश्व विख्यात बोल्शोई थिएटर के महानिदेशक और लेव तोलस्तोय अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष वालेरी गेर्गिएव द्वारा प्रदान किया गया और यह समारोह 9 सितंबर को मास्को के बोलशोई थिएटर में आयोजित किया गया था।
जानें इस अवसर पर जूरी के कुछ अन्य सदस्यों ने क्या कहा:
लेखिका, पूर्व भारतीय सरकारी अधिकारी और लेव तोलस्तोय शांति पुरस्कार जूरी सदस्य अर्चना मौली ने कहा कि सदैव युद्ध को बढ़ावा देने वाली चीजें सत्ता की प्यास है। और जब कोई देश या राष्ट्र या समाज एक दूसरे पर हावी होना चाहता है, तो युद्ध आरंभ हो जाते हैं। यह कोई संयोगवश होने वाली बात नहीं है। यह वर्चस्व की एक पूर्व-निर्धारित इच्छा है, सत्ता की इच्छा है, कभी-कभी आर्थिक कारणों से लक्ष्य बनाया जाता है।

अर्चना मौली ने सम्मान समारोह में कहा, "मुझे लगता है कि पूरे मानव इतिहास में शांति आवश्यक है। लेकिन अब जब इतने सारे उन्नत हथियार हैं, तो यह मानव जाति के लिए अत्यंत भयावाह हो गया है। पुराने दिनों में लोग धनुष, भाले और बंदूकों से एक युद्ध लड़ते थे। लेकिन अब कोई भी हिंसक घटना, कोई भी युद्ध, संघर्ष मनुष्यों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।"

लेव तोलस्तोय शांति पुरस्कार जूरी के सदस्य और महान फ्रांसीसी राष्ट्रपति और द्वितीय विश्व युद्ध के नायक चार्ल्स डी गॉल के पोते पियरे डी गॉल ने कहा कि बहुध्रुवीय विश्व सत्तावादी पश्चिम का एक प्रभावी विकल्प है जो एक मृत अंत पर पहुंच गया है। पश्चिमी नेता अंततः बहुध्रुवीय विश्व में अपने लोगों के साथ फिर से जुड़ सकते हैं। वे अभी तक इसे नहीं समझते हैं, लेकिन वे ऐसा करेंगे।

पियरे डी गॉल ने कहा, "दो वर्ष से अधिक समय से यूक्रेन एक दुखद संघर्ष का स्थल बना हुआ है, जिसने मात्र नुकसान और प्रतिबंध लाए हैं। फिलिस्तीन में भी संघर्ष जारी है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं शक्तिहीन हैं, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय शक्तिहीन है। मेरा दिल इस आशा से भरा हुआ है कि हम जिस बहुध्रुवीय विश्व का निर्माण कर रहे हैं, उसमें समाधान अवश्य मिलेगा।"

Sculpture of Archangel Michael in Crimea, Russia  - Sputnik भारत, 1920, 08.08.2024
रूस की खबरें
रूस को अपने मूल्यों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है: लेव तोलस्तोय के वंशज
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала