Sputnik मान्यता
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों द्वारा प्रदान किया गया क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाओं का गहन विश्लेषण पढ़ें - राजनीति और अर्थशास्त्र से लेकर विज्ञान-तकनीक और स्वास्थ्य तक।

पुतिन का 'बहु-पक्षीय' विश्व का आह्वान मोदी के ग्लोबल साउथ के दृष्टिकोण के अनुरूप

© AP Photo / Alexander ZemlianichenkoRussian President Vladimir Putin, right, and Indian Prime Minister Narendra Modi shake hands during their meeting on the sidelines of BRICS Summit at Kazan Kremlin in Kazan, Russia, Tuesday, Oct. 22, 2024. (AP Photo/Alexander Zemlianichenko, Pool)
Russian President Vladimir Putin, right, and Indian Prime Minister Narendra Modi shake hands during their meeting on the sidelines of BRICS Summit at Kazan Kremlin in Kazan, Russia, Tuesday, Oct. 22, 2024. (AP Photo/Alexander Zemlianichenko, Pool) - Sputnik भारत, 1920, 09.11.2024
सब्सक्राइब करें
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वाल्दाई चर्चा क्लब के दौरान कहा कि दुनिया 'बहुध्रुवीय' से ‘बहु-पक्षीय’ व्यवस्था की ओर बढ़ रही है, इसमें समावेशिता की आवश्यकता होती है और यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत होती है कि विश्व में सभी की आवाज़ सुनी जाए।
भू-राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का ‘पॉलीफोनिक’ यानी ‘बहु-पक्षीय’ विश्व व्यवस्था का लक्ष्य भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र जैसे संस्थानों में वैश्विक दक्षिण समावेशिता के दृष्टिकोण से मेल खाता है।
बहुध्रुवीय से ‘पॉलीफोनिक’ दुनिया में बदलाव वैश्विक दक्षिण के देशों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें उनके बढ़ते आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव के बावजूद नज़रअंदाज किया जाता है, सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ शशि भूषण अस्थाना ने Sputnik India को बताया।

अस्थाना ने जोर देकर कहा, "बहुध्रुवीय और पॉलीफोनिक विश्व एक साथ अस्तित्व में रहेगा।एक बहुध्रुवीय दुनिया में, यह महत्वपूर्ण है कि सभी आवाज़ें सुनी जाएँ, खासकर वैश्विक दक्षिण के छोटे देशों की आवाजें। समावेशी विकास, शांति और मानवीय विकास के लिए बहुध्रुवीयता और पॉलीफोनिक दृष्टिकोण दोनों की आवश्यकता होती है।"

अस्थाना ने बताया कि पॉलीफोनिक दुनिया की अवधारणा वैश्विक शक्ति संरचनाओं के ऐतिहासिक संदर्भ पर आधारित है।
उन्होंने याद किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया काफी हद तक द्विध्रुवीय थी, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ का प्रभुत्व था। सोवियत संघ के पतन के बाद, दुनिया एकध्रुवीय युग में प्रवेश कर गई, जिसमें अमेरिका प्रमुख शक्ति के रूप में भूमिका निभाता था। लेकिन अस्थाना ने कहा कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों के उदय ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को जन्म दिया है।
उन्होंने समझाया कि बहुध्रुवीयता के बिना वास्तविक पॉलीफोनिक दुनिया नहीं रह सकती।

अस्थाना ने जोर देकर कहा, "एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था, जो सभी आवाज़ों को समान महत्व देती है और सत्ता के संतुलन को बनाए रखती है, अधिक न्यायसंगत वैश्विक समाधानों को प्रेरित कर सकती है। चाहे ये आवाजें अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख शक्तियों से हों या भारत और ब्राजील जैसी उभरती ताकतों से, हर एक का महत्व स्वीकार करना इस दिशा में सहायक हो सकता है।"

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में भू-राजनीतिक विशेषज्ञ और राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर रेशमी काज़ी ने Sputnik India को बताया कि पुतिन द्वारा पॉलीफोनिक विश्व व्यवस्था का आह्वान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की राह को मजबूत कर सकता है।

काज़ी ने कहा, "दोनों नेता एक पुनर्गठित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली की वकालत करते हैं जो सभी देशों के योगदान को महत्व देती है। यह तत्व एक अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था को आकार देने में विविध आवाज़ों के महत्व को समझने की दिशा में एक व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है।"

पुतिन ने यह भाषण गुरुवार को रूसी शहर सोची में वल्दाई अंतर्राष्ट्रीय चर्चा क्लब की 20वीं वार्षिक बैठक के पूर्ण सत्र में दिया।
Russian President Vladimir Putin speaks at the Valdai Forum plenary session  - Sputnik भारत, 1920, 08.11.2024
Sputnik मान्यता
आर्थिक नीतियों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करना वैश्विक असमानता को बढ़ावा देता है: विशेषज्ञ
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала