डिफेंस
भारतीय सेना, इसके देशी और विदेशी भागीदारों और प्रतिद्वन्द्वियों की गरमा गरम खबरें।

सेना के डॉग्स अब स्कूली बच्चों में प्यार और मैत्री बांटेगे

© Photo : Indian ArmyThe Indian Army has donated 12 of its retired dogs to Asha Schools for children with special needs.
The Indian Army has donated 12 of its retired dogs to Asha Schools for children with special needs. - Sputnik भारत, 1920, 23.12.2024
सब्सक्राइब करें
भारतीय सेना के प्रशिक्षित डॉग अब विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों में प्रेम, प्रसन्नता और मित्रता के भाव फैलाएंगे। सेना ने अपने 12 सेवानिवृत्त डॉग्स को विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए सेना द्वारा चलाए जा रहे आशा स्कूलों को दान दिया है। ये प्रशिक्षित, समर्पित और शांत स्वभाव के डॉग्स इन बच्चों के साथ अपना समय बिताएंगे।
इनके साथ समय बिताकर ये बच्चे बेहद खुश तो होंगे ही इनसे इन विशेष बच्चों में मेलजोल, भावनात्मक लगाव और समझदारी भी विकसित होगी। चिकित्सकों का मानना है कि पालतू जानवरों के साथ रहने से इन बच्चों को बहुत फ़ायदा होता है। ये सभी डॉग्स सेना में विस्फोटकों का पता लगाने, राहत और बचाव, प्राकृतिक आपदाओं में लापता लोगों की तलाश और चौकीदारी जैसे काम करते थे।

भारतीय सेना अपने सेवानिवृत्त डॉग्स को रिमाउंट एंड वेटनेरी कोर के मुख्यालय मेरठ में सम्मान और देखभाल के साथ रखती है। यहीं सेना में भर्ती होने से पहले ये डॉग्स प्रशिक्षित होते हैं। यहाँ अंतिम समय तक उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है और ये डॉग्स अपने पुराने घर में पुराने दोस्तों के साथ अपनी सेवानिवृत्ति के दिन बिताते हैं।

बहुत ज्यादा बीमार या घायल डॉग्स को यहाँ के विशेष अस्पताल या पुनर्वास केंद्र में रखकर उनका इलाज किया जाता है। यहाँ से लोग इनको गोद भी ले सकते हैं और इसके लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है। विशेष रूप से अकेले रहने वाले बुज़ुर्गों की सुरक्षा के लिए यह डॉग्स बहुत सहायक सिद्ध होते हैं।
भारतीय सेना विदेशी नस्ल के अलावा मुढोल,कोम्बई, चिप्पीपराई, राजापालयम, रामपुर हाउंड जैसी देशी नस्लों के डॉग्स रखती है। ये डॉग्स सबसे जटिल वातावरण में आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाइयों में सैनिकों के सबसे भरोसमंद साथी होते हैं। सेना के कई डॉग्स अपने वीरतापूर्ण कार्यों के कारण काफ़ी चर्चित रहे हैं।
29 अक्टूबर को जम्मू के अखनूर में फैंटम नाम का ऐसा ही डॉग अपने साथी सैनिक को आतंवादियों के आघात से उनका जीवन रक्षण करते हुए मारा गया। इसी वर्ष 15 अगस्त को केंट नाम के डॉग के मरणोपरांत राष्ट्रपति के वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। केंट पिछले वर्ष आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुई थी।
अक्टूबर 2022 को ज़ूम नाम का डॉग आतंकवादियों के साथ लड़ते हुए श्रीनगर में वीरगति को प्राप्त हुआ। ज़ूम को दो गोलियाँ लगी लेकिन उसने चोटिल होते हुए भी आतंकवादियों का सामना करना जारी रखा। सेना ने विशेष श्रद्धांजलि देकर अपने वीर साथी को विदा किया था। 1965 में भूटान के राजा की जान लेने के प्रयास को बचाने का श्रेय एलेक्स नाम के डॉग को दिया जाता है जिसे राजा ने उस समय अपनी सोने की अंगूठी और 1000 रुपए की धनराशि से पुरस्कृत किया था।
Indian President Droupadi Murmu and Nepali Army Chief General Ashok Raj Sigdel - Sputnik भारत, 1920, 12.12.2024
डिफेंस
नेपाली सेनाप्रमुख बने भारतीय सेना के मानद जनरल, 70 साल से पुरानी पंरपरा
न्यूज़ फ़ीड
0
loader
चैट्स
Заголовок открываемого материала