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क्या भारत के खिलाफ झुठे दावों के चलते ट्रूडो को इस्तीफा देना पड़ा?

© Sputnik / Pavel Bednyakov / मीडियाबैंक पर जाएंCanadian Prime Minister Justin Trudeau at the Emergency Meeting of World Leaders in Bali After Poland Incident
Canadian Prime Minister Justin Trudeau at the Emergency Meeting of World Leaders in Bali After Poland Incident - Sputnik भारत, 1920, 07.01.2025
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प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा सोमवार को इस्तीफे की घोषणा के बाद Sputnik इंडिया ने पूर्व राजनयिक और विदेशी मामलों के जानकार से इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण किया।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा पिछले एक साल में दिए गए बयान और उनके द्वारा लिए गए निर्णय सवालों के घेरे में रहे जिसकी वजह से उन पर इस्तीफा देने के लिए दवाब लगातार बढ़ता जा रहा था और उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी।
कनाडाई नेता ने अपने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि जैसे ही उनकी पार्टी एक नया नेता चुनती है, वे पद छोड़ देंगे, क्योंकि चुनावों में गिरावट और आंतरिक विभाजन ने उन्हें प्रभावित किया है।
पिछले कई महीनों से पार्टी के अंदर ट्रूडो की लगातार आलोचना की जा रही थी, जिसके कारण उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया। इसके अलावा उनके इस पतन के पीछे का एक कारण खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने जैसे विवादास्पद आरोपों को माना जा रहा है।
भारत के पूर्व राजनयिक और राजदूत रहे के.पी. फैबियन ने Sputnik इंडिया को बताया कि भारत के खिलाफ दिए गए प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों का समर्थन फाइव आईज देशों में से चार देशों - संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूके और न्यूजीलैंड ने किया। हालांकि, इससे कनाडा के अन्य देशों के साथ संबंधों पर कोई खास असर नहीं पड़ा। लेकिन उनके बयानों का असली असर कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ा, जो लगभग विनाशकारी रूप से प्रभावित हुई।
पूर्व राजदूत के.पी. फैबियन ने बताया, "कनाडा जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में भारी कमी आई और इससे पहले भी कई भारतीय और अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्र आवास खोजने के लिए संघर्ष कर रहे थे। चूंकि कनाडा की उच्च शिक्षा प्रणाली भारतीय छात्रों की बड़ी संख्या पर निर्भर करती है, इसलिए इस स्थिति का कनाडा पर महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़ा।"
जब विदेशी मामलों के जानकार से पूछा गया कि ट्रूडो के इस्तीफे के पीछे भारत के खिलाफ उनके बयान और भारतीय छात्रों को लक्षित करने वाली उनकी रणनीतियां रहीं तो उन्होंने कहा कि हमें उनके इस्तीफे की व्यापक तस्वीर पर विचार करने की आवश्यकता है। एक साल से अधिक समय से उनकी लोकप्रियता में मुख्य रूप से आवास की बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति के कारण गिरावट आ रही थी।

उन्होंने बताया, "राष्ट्रपति ट्रम्प की चुनावी जीत ने इस गिरावट को और बढ़ा दिया। ट्रूडो के साथ उनका विवादास्पद रात्रिभोज, जिसके बाद ट्रम्प ने उन्हें एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर "गवर्नर जस्टिन ट्रूडो" के रूप में संदर्भित किया, जिसका अर्थ था कि कनाडा एक अमेरिकी राज्य है, ने उनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया। आम धारणा थी कि ट्रूडो कनाडा पर उच्च टैरिफ लगाने की ट्रम्प की धमकियों से उत्पन्न संकट को संभालने में असमर्थ थे।"

भारत के खिलाफ ट्रूडो के झुठे दावों के बारे में पूर्व राजदूत के.पी. फैबियन कहते हैं कि वह इसे सीधे तौर पर एक रणनीतिक गलती नहीं कहेंगे, लेकिन यह कहना उचित है कि उनका राजनीतिक अस्तित्व न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन पर निर्भर था, जिसने उनसे भारत की खुले तौर पर आलोचना करने की अपेक्षा की थी।

पूर्व राजदूत के.पी. फैबियन ने जोर देकर कहा, "यह सच है कि भारतीय प्रवासी, विशेष रूप से हिंदू समुदाय, ट्रूडो की आलोचना करता था। उनके खिलाफ विरोध और आंदोलन हुए और भारतीय मूल के राजनीतिक नेताओं ने भी अपना असंतोष व्यक्त किया। हालांकि, ये आरोप उनके पतन में योगदान देने वाली बड़ी ताकतों का एक हिस्सा मात्र थे। यद्यपि उन्होंने भूमिका निभाई, लेकिन वे उनके इस्तीफे का निर्णायक कारक नहीं थे।"

President Donald Trump gives thumbs up as he greets Canadian Prime Minister Justin Trudeau upon his arrival at the White House, Thursday, June 20, 2019, in Washington. (AP Photo/Alex Brandon) - Sputnik भारत, 1920, 03.12.2024
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