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रूस से मिलेगा भारतीय नौसेना को नया अस्त्र, कालिबर मिसाइलों का सौदा हुआ: रक्षा सूत्र
रूस से मिलेगा भारतीय नौसेना को नया अस्त्र, कालिबर मिसाइलों का सौदा हुआ: रक्षा सूत्र
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भारतीय नौसेना की सबमरीन को नई मारक क्षमता देने के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ कालिबर एंटी शिप क्रूज़ मिसाइलों का सौदा किया है। रक्षा सूत्रों... 06.02.2025, Sputnik भारत
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इन मिसाइलों की रेंज 220 से 300 किमी तक है और इनकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना यानी 3 मैक तक हो सकती है। इनका वजन एक से दो टन होता है और इसमें 500 किलोग्राम का वारहेड लगा होता है। इनमें से कुछ में सेकंड प्रोपल्शन स्टेज होता है जिससे लक्ष्य के पास पहुंचने पर मिसाइल सुपरसोनिक स्प्रिंट की रफ्तार हासिल करती है। इससे किसी डिफेंस सिस्टम के लिए बचाव की संभावना समाप्त हो जाती है। भारत ने रूस से ऐसी 10 सबमरीन का सौदा 80 के दशक में किया था। इनमें से दो डिकमीशन हो चुकी हैं जबकि एक सिंधुध्वज को 2022 में म्यांमार नौसेना को दे दिया गया है। सिंधुघोष क्लास की 7 सबमरीन के अतिरिक्त भारतीय नौसेना के पास 6 स्वदेशी कलवरी क्लास और 4 शिशुमार क्लास यानी कुल 17 डीज़ल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। इनके अतिरिक्त दो स्वदेशी न्यूक्लियर बैलेस्टिक सबमरीन (SSBN) अरिहंत और अरिघात हैं। भारतीय नौसेना 6 नई डीज़ल-इलेक्ट्रिक और 2 न्यूक्लियर अटैक (SSN) बनाने की तैयारी कर रही है।
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कृष्णमोहन मिश्रा, भारत, रूस, भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय, भारतीय नौसेना, एंटी शिप मिसाइल, सबमरीन, न्यूक्लियर सबमरीन
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रूस से मिलेगा भारतीय नौसेना को नया अस्त्र, कालिबर मिसाइलों का सौदा हुआ: रक्षा सूत्र
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भारतीय नौसेना की सबमरीन को नई मारक क्षमता देने के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने रूस के साथ कालिबर एंटी शिप क्रूज़ मिसाइलों का सौदा किया है। रक्षा सूत्रों ने Sputnik India को बताया कि इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना की सिंधुघोष क्लास की सबमरीन में लगाया जाएगा।
इन मिसाइलों की रेंज 220 से 300 किमी तक है और इनकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना यानी 3 मैक तक हो सकती है।
इनका निशाना अचूक है और इनकी सटीकता 50 मीटर तक है यानी ये निशाने से अधिकतम 50 मीटर दूर हमला करती हैं। इस सटीकता के साथ दुश्मन के बड़े युद्धपोत पर मिसाइल का हमला उसे पूरी तरह तबाह कर सकता है।
इनका वजन एक से दो टन होता है और इसमें 500 किलोग्राम का वारहेड लगा होता है। इनमें से कुछ में सेकंड प्रोपल्शन स्टेज होता है जिससे लक्ष्य के पास पहुंचने पर मिसाइल सुपरसोनिक स्प्रिंट की रफ्तार हासिल करती है। इससे किसी डिफेंस सिस्टम के लिए बचाव की संभावना समाप्त हो जाती है।
रूस ने इनका प्रयोग यूक्रेन संघर्ष में किया है और यह काफ़ी कारगर रही हैं। भारतीय नौसेना अपनी सबमरीन को नई मारक क्षमता से लैस करना चाहता है।
भारत ने रूस से ऐसी 10 सबमरीन का सौदा 80 के दशक में किया था। इनमें से दो डिकमीशन हो चुकी हैं जबकि एक सिंधुध्वज को 2022 में म्यांमार नौसेना को दे दिया गया है। सिंधुघोष क्लास की 7 सबमरीन के अतिरिक्त भारतीय नौसेना के पास 6 स्वदेशी कलवरी क्लास और 4 शिशुमार क्लास यानी कुल 17 डीज़ल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। इनके अतिरिक्त दो स्वदेशी न्यूक्लियर बैलेस्टिक सबमरीन (SSBN) अरिहंत और अरिघात हैं। भारतीय नौसेना 6 नई डीज़ल-इलेक्ट्रिक और 2 न्यूक्लियर अटैक (SSN) बनाने की तैयारी कर रही है।