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भारत ने विकसित किया नया आत्मघाती ड्रोन, दुश्मन के टैंक के लिए खतरे की घंटी
भारत ने विकसित किया नया आत्मघाती ड्रोन, दुश्मन के टैंक के लिए खतरे की घंटी
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भारतीय सेना की एक आर्मर्ड ब्रिगेड ने एंटी टैंक आत्मघाती ड्रोन बनाने में सफलता पाई है।
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इस ड्रोन को पिछले वर्ष अगस्त के महीने में बनाना शुरू किया गया था और सभी परीक्षणों को TBRL ने सत्यापित किया। सेना ने ऐसे 5 ड्रोन शामिल कर लिए हैं और अन्य 95 की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ये ड्रोन कम लागत के हैं और अपने निर्धारित निशाने पर हवा से अचूक प्रहार करते हैं।नए कामिकेज़ ड्रोन का आकार और उड़ान भरने की क्षमता इस ड्रोन को भारतीय सेना की दुश्मन टैंकों के खिलाफ कार्रवाइयों में बहुत उपयोगी बनाती हैं। इसके अलावा, आवागमन या प्रयोग के दौरान किसी दुर्घटना से बचने के लिए इसमें दोहरी सुरक्षा व्यवस्था की गई है जिससे इसका प्रयोग करने वाला सुरक्षित रहे। लांच होने के बाद ट्रिगर मेकेनिज़्म को भी सुरक्षित बनाया गया है और इसका विस्फोट केवल पायलट द्वारा रेडियो कंट्रोलर से ही किया जा सकता है। इस व्यवस्था से कार्रवाई के दौरान सटीक निशाना लगाने में सहायता मिलती है। एफपीवी चश्मों से पायलट को लगातार लाइव फीडबैक मिलता रहता है जिससे वह इसकी उड़ान के दौरान इससे संबंधित निर्णय ले सकता है। प्रत्येक ड्रोन की क़ीमत 140000 रुपए निर्धारित की गई हैं।भारतीय सेना ने पिछले कई वर्षों में नई पीढ़ी के हथियारों में योग्यता हासिल करने के लगातार प्रयास किए हैं। ड्रोन युद्ध के लिए भारतीय सेना ने बड़े स्तर पर स्वार्म ड्रोन, निगरानी के काम में आने वाले ड्रोन, रसद या हथियार पहुंचाने वाले ड्रोन और दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने वाले ड्रोन निर्मित किए हैं। ड्रोन का प्रयोग पिछले कुछ वर्षों में बहुत तीव्रता से बढ़ा है। खास तौर पर आर्मर्ड यानि टैंकों के दस्तों पर ड्रोन के हमले बहुत विनाशक सिद्ध हुए हैं।भारतीय सेना ने अपनी आवश्यकताओं के हथियारों को अपने यहां भी निर्मित करना शुरू किया है और इसमें कई बड़ी सफलताएं भी पाई हैं। सेना के एक कर्नल ने अपनी तरह की पहली मशीनी पिस्टल भी बनाई है जिसे सेना ने अपने प्रयोग के लिए शामिल कर लिया है।
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भारत ने विकसित किया नया आत्मघाती ड्रोन, दुश्मन के टैंक के लिए खतरे की घंटी
13:29 28.03.2025 (अपडेटेड: 13:32 28.03.2025) भारतीय सेना की एक आर्मर्ड ब्रिगेड ने एंटी टैंक आत्मघाती ड्रोन बनाने में सफलता पाई है। ब्रिगेड के मेजर सेफास चेतन ने यह ड्रोन विस्फोटकों और नए हथियारों पर कार्य करने वाली डीआरडीओ की शीर्ष सरकारी लैबोरेट्री चरम प्राक्षेपिकी अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL) के सहयोग से बनाया है।
इस ड्रोन को पिछले वर्ष अगस्त के महीने में बनाना शुरू किया गया था और सभी परीक्षणों को TBRL ने सत्यापित किया। सेना ने ऐसे 5 ड्रोन शामिल कर लिए हैं और अन्य 95 की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ये ड्रोन कम लागत के हैं और अपने निर्धारित निशाने पर हवा से अचूक प्रहार करते हैं।
भारतीय सेना से मिली जानकारी के अनुसार कामिकेज़ एंटी टैंक ड्रोन पूरी तरह से सेना के राइजिंग स्टार ड्रोन बैटल स्कूल में निर्मित किया गया है। TBRL की देख रेख में इस ड्रोन की गुणवत्ता और सुधार सुनिश्चित किए गए।
नए कामिकेज़ ड्रोन का आकार और उड़ान भरने की क्षमता इस ड्रोन को भारतीय सेना की दुश्मन टैंकों के खिलाफ कार्रवाइयों में बहुत उपयोगी बनाती हैं। इसके अलावा, आवागमन या प्रयोग के दौरान किसी दुर्घटना से बचने के लिए इसमें दोहरी सुरक्षा व्यवस्था की गई है जिससे इसका प्रयोग करने वाला सुरक्षित रहे।
लांच होने के बाद ट्रिगर मेकेनिज़्म को भी सुरक्षित बनाया गया है और इसका विस्फोट केवल पायलट द्वारा रेडियो कंट्रोलर से ही किया जा सकता है। इस व्यवस्था से कार्रवाई के दौरान सटीक निशाना लगाने में सहायता मिलती है। एफपीवी चश्मों से पायलट को लगातार लाइव फीडबैक मिलता रहता है जिससे वह इसकी उड़ान के दौरान इससे संबंधित निर्णय ले सकता है। प्रत्येक ड्रोन की क़ीमत 140000 रुपए निर्धारित की गई हैं।
भारतीय सेना ने पिछले कई वर्षों में नई पीढ़ी के हथियारों में योग्यता हासिल करने के लगातार प्रयास किए हैं। ड्रोन युद्ध के लिए भारतीय सेना ने बड़े स्तर पर स्वार्म ड्रोन, निगरानी के काम में आने वाले ड्रोन, रसद या हथियार पहुंचाने वाले ड्रोन और दुश्मन के ठिकाने पर हमला करने वाले ड्रोन निर्मित किए हैं। ड्रोन का प्रयोग पिछले कुछ वर्षों में बहुत तीव्रता से बढ़ा है। खास तौर पर आर्मर्ड यानि टैंकों के दस्तों पर ड्रोन के हमले बहुत विनाशक सिद्ध हुए हैं।
भारतीय सेना ने अपनी आवश्यकताओं के हथियारों को अपने यहां भी निर्मित करना शुरू किया है और इसमें कई बड़ी सफलताएं भी पाई हैं। सेना के एक कर्नल ने अपनी तरह की पहली मशीनी पिस्टल भी बनाई है जिसे सेना ने अपने प्रयोग के लिए शामिल कर लिया है।