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भारत का रक्षा निर्यात एक दशक में 34 गुना, रक्षा उत्पादन 174 प्रतिशत बढ़ा
भारत का रक्षा निर्यात एक दशक में 34 गुना, रक्षा उत्पादन 174 प्रतिशत बढ़ा
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भारत का रक्षा बजट पिछले 11 साल में ढाई गुना से ज्यादा बढ़ा है, वहीं रक्षा उत्पादन में इसी दशक में 174 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार एक दशक में भारत के रक्षा उत्पादों के निर्यात में 34 गुना का उछाल आया है।
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रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 में भारत का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपए था जो 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन इसका बड़ा हिस्सा स्वदेशी रक्षा उद्योग से सिस्टम और हथियार खरीदने के लिए प्रयोग किया जाएगा। पिछले कुछ सालों में रक्षा मंत्रालय ने सैनिक आवश्यकता के 5500 आइटम की सूची जारी की है जिन्हें अब केवल स्वदेशी उद्योद से ही खरीदा जा सकता है। परिणाम यह है कि स्वदेशी रक्षा उद्योग अब हेलीकॉप्टर, लड़ाकू जेट, भारी तोपें सहित हर तरह का रक्षा उत्पाद बना रहा है। वर्ष 2014-15 में भारत का रक्षा उत्पादन 46429 करोड़ रुपए का था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह वृद्धि 174 प्रतिशक की है।भारत लंबे समय से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है लेकिन अब वह इस छवि के विपरीत हथियारों के निर्यातक के रूप में उभर रहा है। वर्ष 2013-14 में भारत ने केवल 686 करोड़ रुपए के हथियार निर्यात किए जो विश्व बाज़ार में नगण्य थे। लेकिन वर्ष 2024-25 में यह निर्यात 34 गुना बढ़कर 23622 करोड़ रुपए का हो गया। भारत ने रूस के साथ मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात किया जो पहला बड़ा निर्यात था। लेकिन अब भारत अमेरिका, फ्रांस सहित दुनिया के 100 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट्स से लेकर हेलीकॉप्टर, रडार, टारपीडो जैसी आधुनिक तकनीक वाले रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है। वर्ष 2029 तक भारत ने सालाना 50000 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।
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भारत, भारत सरकार, रक्षा मंत्रालय (mod), भारतीय सेना, भारतीय सशस्त्र सेनाएँ, अमेरिका, फ्रांस, ब्रह्मोस
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भारत का रक्षा निर्यात एक दशक में 34 गुना, रक्षा उत्पादन 174 प्रतिशत बढ़ा
भारत का रक्षा बजट पिछले 11 साल में ढाई गुना से ज्यादा बढ़ा है, वहीं रक्षा उत्पादन में इसी दशक में 174 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार एक दशक में भारत के रक्षा उत्पादों के निर्यात में 34 गुना का उछाल आया है।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 में भारत का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपए था जो 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपए हो गया है। लेकिन इसका बड़ा हिस्सा स्वदेशी रक्षा उद्योग से सिस्टम और हथियार खरीदने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
वर्ष 2024-25 में रक्षा मंत्रालय ने कुल 209050 करोड़ रुपए में 193 सिस्टम या हथियारों की खरीद के समझौते किए जिसमें 177 समझौते स्वदेशी कंपनियों से किए गए। भारत सरकार के इन कदमों से स्वदेशी रक्षा उद्योग को नई शक्ति मिल रही है।
पिछले कुछ सालों में रक्षा मंत्रालय ने सैनिक आवश्यकता के 5500 आइटम की सूची जारी की है जिन्हें अब केवल स्वदेशी उद्योद से ही खरीदा जा सकता है। परिणाम यह है कि स्वदेशी रक्षा उद्योग अब हेलीकॉप्टर, लड़ाकू जेट, भारी तोपें सहित हर तरह का रक्षा उत्पाद बना रहा है। वर्ष 2014-15 में भारत का रक्षा उत्पादन 46429 करोड़ रुपए का था जो वर्ष 2023-24 में बढ़कर 1.27 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह वृद्धि 174 प्रतिशक की है।
भारत लंबे समय से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है लेकिन अब वह इस छवि के विपरीत हथियारों के निर्यातक के रूप में उभर रहा है। वर्ष 2013-14 में भारत ने केवल 686 करोड़ रुपए के हथियार निर्यात किए जो विश्व बाज़ार में नगण्य थे। लेकिन वर्ष 2024-25 में यह निर्यात 34 गुना बढ़कर 23622 करोड़ रुपए का हो गया।
भारत ने रूस के साथ मिलकर बनाई गई ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात किया जो पहला बड़ा निर्यात था। लेकिन अब भारत अमेरिका, फ्रांस सहित दुनिया के 100 देशों को बुलेटप्रूफ जैकेट्स से लेकर हेलीकॉप्टर, रडार, टारपीडो जैसी आधुनिक तकनीक वाले रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है। वर्ष 2029 तक भारत ने सालाना 50000 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।