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अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि जरूरतों के लिए मांगी भारत से मदद
अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि जरूरतों के लिए मांगी भारत से मदद
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अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि, सिंचाई, पशुधन, कृषि उत्पादों के निर्यात और मशीनीकृत कृषि उपकरणों के आयात में भारत से सहयोग मांगा है।
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अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि, सिंचाई, पशुधन, कृषि उत्पादों के निर्यात और मशीनीकृत कृषि उपकरणों के आयात में भारत से सहयोग मांगा है।काबुल में भारतीय राजदूत करण यादव और अफगानिस्तान के कृषि मंत्री मौलवी अताउल्लाह ओमारी के बीच गुरुवार को हुई बैठक के विवरण के मुताबिक अफगानिस्तान ने अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत से मदद मांगी है।अफ़ग़ानिस्तान के विवरण में कहा गया है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू करने और कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया।वहीं मौलवी अताउल्लाह ओमारी ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान जलवायु परिवर्तन और सूखे की बुरी मार झेल रहा है, जिससे देश के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित हुई है। इसके साथ साथ उन्होंने जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों के विकास पर वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
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अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि जरूरतों के लिए मांगी भारत से मदद
अफ़गान मंत्री ने प्रयोगशालाओं को सुसज्जित करने, चेक डैम बनाने तथा पशु स्वास्थ्य एवं पशुधन गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ बनाने में भारत के सहयोग का अनुरोध किया।
अफ़ग़ानिस्तान ने कृषि, सिंचाई, पशुधन, कृषि उत्पादों के निर्यात और मशीनीकृत कृषि उपकरणों के आयात में भारत से सहयोग मांगा है।
काबुल में भारतीय राजदूत करण यादव और अफगानिस्तान के कृषि मंत्री मौलवी
अताउल्लाह ओमारी के बीच गुरुवार को हुई बैठक के विवरण के मुताबिक अफगानिस्तान ने अपनी
कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत से मदद मांगी है।
शीर्ष भारतीय राजनयिक ने आश्वासन दिया कि भारत एक "अफगान-भारत अनुसंधान केंद्र" स्थापित करने और नई परियोजनाओं को लागू करने पर काम करने के साथ साथ अफ़ग़ान कृषि विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेगा।
अफ़ग़ानिस्तान के विवरण में कहा गया है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू करने और
कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर ज़ोर दिया।
वहीं मौलवी अताउल्लाह ओमारी ने कहा कि
अफ़ग़ानिस्तान जलवायु परिवर्तन और सूखे की बुरी मार झेल रहा है, जिससे देश के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा प्रभावित हुई है। इसके साथ साथ उन्होंने जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों के विकास पर वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।