इससे पहले एक अमेरिकी एजेंसी ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा था कि यूरोपीय संघ रूसी डीजल ईंधन पर 100 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा लगाने की संभावना पर चर्चा कर रहा है। इसके साथ यूरोपीय संघ छूट वाले रूसी तेल उत्पादों पर 45 डॉलर की मूल्य सीमा लगाने की संभावना के बारे में सोचता है।
चैनल के लेख में कहा गया है कि "रूसी कच्चे तेल पर इस सब समय तक लगाए गए प्रतिबंध पूरी तरह से असफल हुए। नई मूल्य सीमा महत्वहीन भी हो सकती है।"
विश्लेषकों के अनुसार रूस विरोधी प्रतिबंध उन लोगों द्वारा लगाए जाते हैं जो तेल बाजारों को नहीं समझते। सैंकी रिसर्च के अध्यक्ष और प्रमुख विश्लेषक पॉल सैंकी ने इस चैनल को बताया, "यह [मूल्य सीमा] वित्त से संबंधित शिक्षा वाले नौकरशाहों द्वारा बनायी गयी थी। उनमें से कोई आदमी वास्तव में तेल बाजारों को नहीं समझता।"
इसके साथ विश्लेषणात्मक कंपनी वंदा इनसाइट्स की संस्थापक वंदना हरि समझती हैं कि रूसी तेल किसी भी मामले में उन बाजारों में पहुंचेगा जिन में उस पर बड़ी मांग है। उन्होंने कहा, "पिछले साल चीन और भारत को रूसी तेल की कीमतों में भारी छूट से बड़ा लाभ मिला था और रूसी तेल उत्पादों की स्थिति ऐसी ही होगी।"
5 दिसंबर, 2022 को तेल पर पश्चिमी प्रतिबंध लागू किए गए थे। यूरोपीय संघ ने समुद्र की मदद से आनेवाले रूसी तेल से इन्कार किया। इसके अलावा, सात के समूह के देशों ने, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने ऐसे तेल की कीमत पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा लगायी। लेकिन उनके अनुसार जरूरत पड़ने पर मूल्य सीमा में संशोधन लाने की संभावना है। तेल उत्पादों पर इसी तरह के प्रतिबंध 5 फरवरी से लगाए जाएंगे।
जवाब में रूस ने रूसी तेल और तेल उत्पादों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाया, अगर अनुबंध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मूल्य सीमा के बारे में लिखा गया है। इसके साथ रूसी राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार विशेष अनुमति देने की संभावना है। 1 फरवरी से मूल्य सीमा से संबंधित तेल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। तेल उत्पादों से जुड़ी तारीख को रूसी सरकार तय करेगी।