उप विदेश मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने Sputnik के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि रूसी एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति को लेकर भारत में रूसी सैन्य उत्पादों की आपूर्ति तय समय पर होती है।
रुडेंको के अनुसार, "भारत को सैन्य उत्पादों की आपूर्ति को लेकर यह काम तय समय पर किया जा रहा है और दोनों पक्षों के अनुबंध संबंधी दायित्वों द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा।"
एस-400 मिसाइल प्रणाली क्या है?
एस-400 ट्रिम्फ (S-400 Triumf) यह लंबी-रेंज और मध्यम दूरी की एक रूसी विमान भेदी मिसाइल प्रणाली है, जो एयरोस्पेस हमले (हाइपरसोनिक सहित) के सभी आधुनिक और आशाजनक साधनों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और नाटो के संहिताकरण के अनुसार इसे SA-21 Growler ("ग्रोल्डर") के नाम पर जाना जाता है।
ट्रिम्फ यह इस मिसाइल प्रणाली केनिर्यात संस्करण का नाम है।रूसी सशस्त्रबल में इसे 2007 को अपनाया गया था।
ट्रिम्फ यह इस मिसाइल प्रणाली केनिर्यात संस्करण का नाम है।रूसी सशस्त्रबल में इसे 2007 को अपनाया गया था।
एनपीओ अल्माज (NPO Almaz) कंपनी द्वारा जो इस के मुख्य डिजाइनर अलेक्सांद्र रासप्लेटिन के नाम पर रखा गया है 1990 के दशक में S-300 परिवार को बेहतर बनाने के लिए इसे विकसित किया गया था।एनपीओ अल्माज उद्यम विमान-रोधी मिसाइल प्रणाली (SAM) और वायु रक्षा प्रणाली काविकास करता है। यह रूस के सैन्य-औद्योगिक संकुल का एक मुख्य उद्यम है। 2021 तक, “एयरोस्पेस बल में, 70% से अधिक विमान भेदी मिसाइल रेजिमेंट को एस-400 प्रणाली से फिर से लैस किया गया था।
एस-400 की मुख्य विशेषताएं
एस-400 का लक्ष्यीकरण प्रणाली, बहुक्रियाशील रडार, स्वायत्त पहचान प्रणाली का उपकरण है। प्रणाली एक स्तरित रक्षा बनाने के लिए तीन अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों को लॉन्च सकती है और इसकी रेंज 400 किलोमीटर की है। यह विमान, मानव रहित हवाई वाहन (UAVs) और 4.8 किमी/सेकंड तक की गति से उड़ान भरने वाले बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल जैसे हवाई लक्ष्यों को 30 किलोमीटर तक की ऊँचाई पर मार सकता है। इसे अक्सर ‘stealth killer’ (मतलब चुपके हत्यारा) कहते हैं।
कौनसे देशों में एस-400 कीआपूर्ति की जाती है?
तुर्की
2017 को तुर्की के विदेश मंत्रालय ने रूसी एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति पर एक समझौते की घोषणा की $2.5 अरब के अनुबंध के अंतर्गत। अनुबंध के कार्यान्वयन को लेकर अमेरिकी प्रशासन की तीखी आलोचना की परवाह किये बिना 25 जुलाई, 2019 को अंकारा की कमान में एस-400 प्रणाली के घटकों के पहले समूह के हस्तांतरण के पूरा होने की घोषणा की गई थी। पूरी तरह से प्रणाली को 2019 के अंत में तैनात किया गया था। अगस्त 2021 में, रोसोबोरोनेक्सपोर्ट (Rosoboronexport) यानी रूस में एकमात्र सैन्य और दोहरे उपयोग के लिए अंतिम उत्पादों, प्रौद्योगिकियों और सेवाओं की पूरी श्रृंखला के निर्यात और आयात के लिए राज्य मध्यस्थ कंपनी के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने 2021 में एस-400 की नई आपूर्ति के लिए तुर्की के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की।
चीन
अप्रैल 2015 में चीन के साथ एक अनुबंध की आधिकारिक तौर पर घोषणा कीगई थी, जिसका मूल्य $ 3 अरब सेअधिक था। पहली रेजिमेंटल किटजनवरी-मई 2018 में वितरित कीगई थी। जनवरी 2019 में, यहघोषणा कीगई किचीनी सेना ने एस-400 का परीक्षण कार्यक्रम पूरा करलिया हैऔर जुलाई2019 में, दूसरे एस-400 रेजिमेंट सेटकी आपूर्ति चीन को शुरू हुई।
भारत
अक्टूबर 2018 में, भारत ने रूस के साथ 5.5 अरब डॉलर मूल्य की पांच एस-400 मिसाइल प्रणालियों का ऑर्डर दिया। आपूर्ति 24 महीनों के भीतर शुरू होनी थी, लेकिन कई कारणों से इसमें देरी हुई है।
चीन और तुर्की के बाद भारत इस मिसाइल प्रणाली का तीसरा विदेशी खरीदार बन गया है।
नवंबर 2021 में, यह बताया गया कि रूस ने पहले ही इस प्रणाली की आपूर्ति करना शुरू कर दिया था।रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों के संबंध में, भारत रूसी हथियारों की आपूर्ति और उनके रखरखाव के लिए भुगतान करने के वैकल्पिक तरीकों की तलाश कर रहा है लेकिनआधिकारियों केअनुसार 2023 के अंत तक, भारत को नियमितरूप से एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों के पांच बैच प्राप्त होंगे।