केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को सूचित किया कि भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र कोयला से चलने वाले थर्मल पावर प्लांटों की तुलना में सालाना 41 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड कम उत्सर्जित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन से ऊर्जा के स्थान पर परमाणु ऊर्जा से मुक्त बेस लोड बिजली देने पर विचार किया जा सकता है इसके अलावा निर्माणाधीन परियोजनाओं के प्रगतिशील समापन और मंजूरी मिलने पर वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक 6,780 मेगावाट से बढ़कर 22,480 मेगावाट हो जाएगी।
सिंह ने आगे कहा, कि परमाणु ऊर्जा वर्तमान में भारत के कुल बिजली उत्पादन का केवल तीन प्रतिशत है।
आगे हम जानते हैं कि कैसा है भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र, रूस से कैसे मिली मदद, अभी क्या है परमाणु ऊर्जा का भविष्य ?
कैसा है भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र
भारत एक विकासशील राष्ट्र है जिसने बिजली उत्पादन के लिए स्वदेशी रूप से विकसित, प्रदर्शित और परमाणु रिएक्टरों को तैनात किया है। यह मुख्य रूप से कई दशकों के व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से संभव हुआ था। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग और विकास है।
दुनिया में चीन और अमेरिका के बाद भारत को दुनिया का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक कहा जाता है और इस्तेमाल के मामले में भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा बिजली उपभोक्ता भी है। परमाणु ऊर्जा भारत के लिए बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है। परमाणु रिएक्टरों की संख्या के मामले में भी भारत सातवें स्थान पर है।
देश भर के 7 बिजली संयंत्रों में 23 से अधिक परमाणु रिएक्टर हैं जो 6780 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करते हैं और इनका 2031 तक अपने परमाणु ऊर्जा योगदान को 3.2% से बढ़ाकर 5% करने का उद्देश्य है। भारत सरकार देश में न्यूक्लियर पावर प्लांट की संख्या को और अधिक बढ़ाने की तैयारी कर रही है और इसी संदर्भ में 10 और पावर रिएक्टर बनाए जा रहे हैं।
भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में रूसी सहयोग
1960 के दशक से भारत और रूस के बीच परमाणु सहयोग है । उन दशक के दौरान मास्को ने भारत को वैज्ञानिक और तकनीकी परमाणु सहायता प्रदान की। सोवियत संघ ने कनाडा निर्मित रिएक्टरों के लिए भारत को भारी पानी की आपूर्ति की और 1980 और 1990 के दशक के दौरान मास्को देश के वैश्विक परमाणु अलगाव के दौरान ईंधन की आपूर्ति करके भारत के परमाणु कार्यक्रम के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण अध्याय बना रहा। इसी तरह भारत ने दो गीगावाट प्रेशराइज्ड लाइट वाटर रिएक्टर बनाने के लिए सोवियत संघ और फिर रूस के साथ संधी किए।
रूस 2018 तक भारत को छह और रिएक्टरों की आपूर्ति करने पर सहमत हो गया था ।रूस भारत में विदेशी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के लिए बाजार का सबसे बड़ा हितैषी रहा है।विश्व स्तर पर रूस अपने परमाणु निर्यात के लिए आकर्षक वित्तीय शर्तों पर पैकेज डील प्रदान करता है। इसके अलावा रूस साल 2014 में अपने अनुबंध में अतिरिक्त दायित्व बीमा पॉलिसियों के माध्यम से, भारतीय असैन्य परमाणु दायित्व कानून के बावजूद रूस भारत को अपने नियोजित निर्यात के साथ आगे बढ़ने में सक्षम था।
भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम में रूसी VVER-1000 रिएक्टरों की पहली दो इकाइयाँ सुचारू रूप से बिजली पैदा कर रही हैं इसके अलावा चार और रूसी रिएक्टरों का निर्माण चल रहा है। ये चार इकाइयां कुडनकुलम 3, 4, 5 और 6 - फिर से वीवीईआर-1000 रिएक्टर होंगी। ये सभी 1,000 मेगावाट बिजली उत्पन्न करेंगे।
भारत के तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम में रूसी VVER-1000 रिएक्टरों की पहली दो इकाइयाँ सुचारू रूप से बिजली पैदा कर रही हैं इसके अलावा चार और रूसी रिएक्टरों का निर्माण चल रहा है। ये चार इकाइयां कुडनकुलम 3, 4, 5 और 6 - फिर से वीवीईआर-1000 रिएक्टर होंगी। ये सभी 1,000 मेगावाट बिजली उत्पन्न करेंगे।
परमाणु ऊर्जा का भविष्य
परमाणु ऊर्जा एकमात्र ऐसी बिजली उत्पादन तकनीक है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम किया जा सकता है और दुनिया की ऊर्जा की लगातार बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सकता है। अभी विश्व भर में लगभग 440 परमाणु रिएक्टर काम कर रहे हैं जो 32 देशों और ताइवान में फैले हुए हैं। इनसे पैदा हुई बिजली से लगभग 10% वैश्विक मांग पूरी की जाती है।
अभी विश्व भर में साठ नए रिएक्टर वर्तमान में बनाए जा रहे हैं जिसमे ज्यादातर रूस,चीन और भारत में हैं। इसके अलावा अन्य 100 औपचारिक रूप से प्लानिंग चरण में हैं और 300 अन्य पर चर्चा चल रही है। अधिकांश गतिविधियां मौजूदा परमाणु कार्यक्रमों वाले देशों में हैं और समय की मांग के अनुसार दर्जनों नए देश इसमें शामिल हो रहे हैं।