इन दो शक्तियों ने एक दूसरे के "मूल हितों" की रक्षा करने में एक दूसरे की मदद करने के अपने इरादे की घोषणा की है, जिन में "संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षा और विकास" हैं।
अमेरिकी रासायनिक हथियार और जैविक सैन्य गतिविधियां
चीन और रूस ने जोर देकर कहा है कि अमेरिका को अपने रासायनिक हथियारों के भंडार को हटाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए, क्योंकि अमेरिका रासायनिक हथियार संघि का एकमात्र हस्ताक्षरकर्ता है जिसने अभी तक यह नहीं किया।
मास्को और बीजिंग ने उन "सैन्य जैविक गतिविधियों" को लेकर अपनी "गंभीर चिंता" व्यक्त की, जो अमेरिका अमेरिकी क्षेत्र में और उसके बाहर करता है।
यह कहते हुए कि, ये गतिविधियाँ "अन्य राज्यों और बड़े क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा” हैं, रूस और चीन ने मांग की कि अमेरिका को "इस मामले को स्पष्ट रूप से समझाना” चाहिए और जैविक और विषैला हथियार संघि का विरोध करने वाली गतिविधियां नहीं करनी चाहिए।
वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए अमेरिकी परियोजनाएं
रूस और चीन ने कहा कि वे अमेरिका द्वारा वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करने और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में उस प्रणाली को तैनात करने के प्रयासों से चिंतित हैं।
उन्होंने अमेरिका की "एशिया-प्रशांत और यूरोपीय क्षेत्रों में जमीन-आधारित मिसाइलों, मध्यम-दूरी और कम दूरी की मिसाइलों को तैनात करने और उन्हें अपने सहयोगियों को स्थानांतरित करने की इच्छा" को लेकर भी चिंता व्यक्त की है।
AUKUS और परमाणु पनडुब्बियां
मास्को और बीजिंग ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया यानी त्रिपक्षीय सैन्य संगठन AUKUS के सदस्य की परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की योजनाओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।
चीन-रूस के संयुक्त बयान में कहा गया है, "पक्ष इस साझेदारी के सदस्यों से इस क्षेत्र में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी आपूर्ति के साधनों के अप्रसार के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाने का आग्रह करते हैं।"
कोई परमाणु युद्ध नहीं
अपने बयान में रूस और चीन ने इस बात पर ध्यान दिया कि अगर परमाणु युद्ध शुरू होने दिया जाए तो इस तरह के संघर्ष में कोई विजेता नहीं होगा।
उन्होंने दावा किया कि "परमाणु युद्ध की रोकथाम और हथियारों की दौड़ की रोकथाम पर पांच परमाणु-हथियार वाले देशों के नेताओं के संयुक्त बयान के महत्व पर ध्यान देते हुए, पक्ष दोहराते हैं कि परमाणु युद्ध में विजेता बनना असंभव है और इसे कभी शुरू होने देना नहीं चाहिए।"
मास्को और बीजिंग ने परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि के तहत अपने दायित्वों की फिर से पुष्टि की, जिसे उन्होंने "परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय तंत्र का आधार और परमाणु हथियारों के अप्रसार के लिए अंतर्राष्ट्रीय शासन" कहा।
उन्होंने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के हित में उस संधि को "संरक्षित और मजबूत" करने के लिए समन्वय प्रयास करना जारी रखेंगे।
अफ्रीकी संघ का G20 में प्रवेश, विश्व व्यापार संगठन में सुधार
रूस और चीन दोनों ने कहा कि वे G20 में अफ्रीकी संघ के प्रवेश का समर्थन करते हैं।
मास्को और बीजिंग ने जोर देकर कहा कि वे "G20 और अन्य बहुपक्षीय तंत्रों में समन्वय को मजबूत करने के लिए तैयार हैं" ताकि "वैश्विक आर्थिक शासन को निष्पक्ष और तर्कसंगत तरीके से सुधारा जा सके। इस तरह यह विश्व अर्थव्यवस्था की संरचना को बेहतर दिखाएगी, जिसमें उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों के बढ़ते प्रतिनिधित्व और उनको अधिक आवाज देने की प्रक्रिया शामिल है।“
उन्होंने "विश्व व्यापार संगठन के नियमों पर आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का समर्थन करने और व्यापार संरक्षणवाद का मुकाबला करने के मुद्दों” पर सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। उनके अनुसार व्यापार संरक्षणवाद “अन्य बातों के अलावा व्यापार में नाजायज एकतरफा प्रतिबंधों की स्थापना में" सामने आता है।
इसके साथ उन्होंने "विश्व व्यापार संगठन के एजेंडे पर बातचीत को मजबूत करने की और वैश्विक आर्थिक शासन में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका बढ़ाने के लिए इसमें सुधार लाने” की इच्छा जताई।
फुकुशिमा रेडियोधर्मी जल
रूस और चीन ने 2011 में परमाणु आपदा के बाद फुकुशिमा -1 परमाणु ऊर्जा संयंत्र में जमा हुए दूषित पानी को समुद्र में फेंकने की टोक्यो की योजनाओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।
दोनों पक्षों ने जोर देकर कहा कि जापान को "निकटवर्ती देशों, दिलचस्पी लेनेवाले अन्य राज्यों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ संपर्क में पारदर्शिता दिखानी चाहिए, और अन्य बातों के अलावा, इस मुद्दे पर व्यापक विचार-विमर्श करना चाहिए।"