Long Reads
Sputnik संवाददाता प्रमुख घटनाओं का विस्तृत विश्लेषण करते हैं जो गहरे अध्यायन और विश्लेषकों की राय पर आधारित है।

डोनबास के भूतपूर्व सैनिकों का मार्मिक वर्णन: कैसे हुई 2014 में युद्ध की शुरुआत

नौ साल पहले यानी 2014 में 14 अप्रैल को कीव ने डोनबास में 'आतंकवाद-विरोधी अभियान' शुरू किया था, जिसका उद्देश्य निवासियों के विद्रोह को दबाना था जो पिछली सरकार को गिराने के बाद नई सरकार के विरुद्ध उठा था।
Sputnik
मिलिशिया कैसे सामने आई? उसके सदस्यों को किसने प्रेरित किया? आज पश्चिमी देशों के लिए सैनिकों का संदेश क्या है? यह जानने के लिए Sputnik ने उनसे बात की।
यह सब तब शुरू हुआ, जब डोनबास के कस्बों और शहरों में यूक्रेनी टैंक दिखाई दिए, और जब स्थानीय लोग उनके सामने चिल्लाने लगे और उन्हें आगे चलने से रोकने का प्रयास किया।
"आप किस को गोली मारने वाले हैं?" 17 अप्रैल, 2014 को उत्तरी डोनेट्स्क के प्रमुख धातुकर्म केंद्र क्रामटोरस्क में एक समाचार रिपोर्ट में एक व्यक्ति चिल्लाया। "मैं लड़ाई करने वाला नहीं हूँ, मैं इस सब के खिलाफ हूँ," एक सैनिक ने संवाददाता से कहा।
कीव के अधिकारियों ने डोनबास में 'आतंकवाद-रोधी अभियान' शुरू करने का फैसला तब किया, जब पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के अधिकांश क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूस समर्थक विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, खार्कोव से ओडेसा तक के क्षेत्रों में लोगों ने बैठकें कीं, प्रशासनिक भवनों को जब्त किया, "पीपुल्स रिपब्लिक" की घोषणा की और स्वतंत्रता और स्वायत्तता के जनमत संग्रह आयोजित करने का अपना इरादा जताया। पूर्वी यूक्रेन में वे विरोध प्रदर्शन उसके बाद शुरू हुए जब फरवरी 2014 पिछली सरकार को गिराया गया था और सत्ता में रूसी-विरोधी, पश्चिमी समर्थित और अति-राष्ट्रवादी नई सरकार आई थी।
यूक्रेन संकट
यूक्रेन सरकार का धर्म पर हमला, ईसाईओं को मठ खाली करने का दिया अल्टीमेटम
कार्यवाहक यूक्रेनी राष्ट्रपति ऑलेक्ज़ेंडर तुर्चीनोव ने 7 अप्रैल को टीवी पर वह कहकर सैन्य अभियान की शुरुआत की घोषणा की कि यूक्रेनी सेना देश के पूर्व में "सशस्त्र अलगाववादियों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी गतिविधियां" करेगी। तुर्चीनोव ने अशांति के लिए रूस को दोषी ठहराया और दावा किया कि मास्को सरकार को "गिराना" और मई में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को "रोकना” चाहता था। गृह मंत्री अर्सेन अवाकोव ने दावा किया कि कीव 48 घंटों के दौरान बातचीत या बल का प्रयोग करके विद्रोह को दबाएगा। उन्होंने 9 अप्रैल को कहा कि "इस संकट को खत्म करने के दो विपरीत तरीके हैं - राजनीतिक संवाद या कठोर गतिविधि। हम दोनों के लिए तैयार हैं।"
14 अप्रैल को तुर्चीनोव ने एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद ‘आतंकवाद-विरोधी अभियान’ आधिकारिक तौर पर शुरू हुआ। 15 अप्रैल को गृह मंत्रालय के सैनिकों ने और यूक्रेनी सेना की स्पेशल फोर्स यूनिट अल्फा ने क्रामटोरस्क में एक अभियान शुरू किया। हेलीकॉप्टर गनशिपस ने वहाँ के हवाई क्षेत्र पर गोलीबारी की। यूक्रेनी सैनिकों से लड़ाई में कई मिलिशियनों की मौत हुई और कई अन्य घायल हो गए। सैकड़ों स्थानीय निवासी सेना का सामना करने लगे, जबकि अन्य स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक भवनों में बैरिकेड्स बनाए। 16 अप्रैल को कीव ने सैन्य अनुभव वाले पुरुषों की लामबंदी की घोषणा की और पश्चिमी और मध्य यूक्रेन से पूर्व में सैनिकों को भेजने के बाद उनको स्थानीय बलों के साथ तैनात करने की तैयारी की घोषणा की।
"48 घंटों" के दौरान संकट को समाप्त करने का अवाकोव का वादा 48 दिनों, 48 सप्ताहों, 48 महीनों और उससे अधिक समय में बदल गया, क्योंकि डोनबास में लड़ाई तेज हो गई और यूक्रेन में रूस और नाटो के बीच प्रॉक्सी संघर्ष में बदल गयी जो आज चल रहा है।
यूक्रेन संकट
रूस 3.6 मिलियन सैनिकों वाली नाटो की सेना से लड़ाई में है: रूसी राजनयिक मेदवेदेव

'हम सोचते थे कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगा'

2014 में विरोध में शामिल हुए डोनेट्स्क पीपुल्स मिलिशिया के सैनिक विटालिय शेचकोव ने कहा, "सब से पहले सब कुछ शांतिपूर्ण लगता था।"
“लेकिन इसके बाद एक गोला उड़कर हमारे गाँव में आया और मेरे घर के ठीक बगल में फट गया जिसके अन्दर् मेरी पत्नी और बच्चे थे। मैं वह नहीं समझा सकता कि मुझे कितना डर लगा। फिर क्रोध, नाराजगी और बहुत सवाल सामने आए," शेचकोव ने कहा, जिसको दूसरे सैनिक रूसी में “तीखीय” यानी “शांत” कहते हैं।
संघर्ष से पहले शेचकोव का अपना छोटा निर्माण की सामग्री की आपूर्ति करने वाला कारोबार था।

“मेरे दादा जी ने द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ाई की थी। मैं और बहुत मेरे मित्र और सहयोगी इन राक्षसों से क्रोधित थे, जिन्होंने बिना किसी कारण के नागरिकों पर गोली चलाना शुरू कर दिया था। इसलिए मैं 2014 में मिलिशिया का सदस्य बना, तब हम केवल स्वयंसेवक थे," मिलिशियन ने कहा। “मैं समझ गया कि मैं मेरे प्रियजनोंं [और अपने परिवार] को खोने की जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं हूँ। मैं दुश्मन को और करीब पहुँचने देना नहीं चाहता था, बल्कि उन्हें यहां से हटाना चाहता था ताकि वे किसी को नुकसान न पहुंचा सकें। मैं कार्रवाई से इनकार नहीं कर सकता था या अपनी भूमि, अपनी जड़ों को नहीं छोड़ सकता था।"

डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के एक अन्य मिलिशियन फ्योदोर रोमानोव ने कहा कि वह समझ गया कि एक बड़ा संघर्ष शुरू हुआ, हालांकि सब से पहले वह यह स्वीकार करना नहीं चाहता था। वह यह तब समझ गया जब यूक्रेन ने भारी सैन्य उड्डयन का उपयोग करना शुरू किया, मरिंका गांव पर बमबारी की और मई 2014 में एक स्थानीय कोयला खदान पर हमला किया।
"मैं नहीं सोचता था कि यह बहुत समय तक चलेगा। मुझे उम्मीद थी कि यह सुलझ जाएगा, लेकिन मैं वह कल्पना नहीं कर सकता था कि यह इस तरह के संघर्ष में बदल जाएगा जिसमें हर कोई शामिल है। मैं सोचता था कि यह तेजी से चलेगा, और वे बात करके समझौता करेंगे। लेकिन सब कुछ ठीक इसके विपरीत हो गया। हम सोचते थे कि यह सब जल्द ही खत्म हो जाएगा। एक साल, डेढ़ साल बस, कोई नहीं सोचता था कि यह ज्यादा समय चलेगा," मिलिशियन ने कहा।

'बेतुकापन की हद तक' स्वाभाविकता

रोमानोव को दूसरे सैनिक ज़ार कहते हैं। वह 2014 के वसंत में डोनेट्स्क की मिलिशिया में शामिल हो गया। उसने कहा, “मिलिशिया किसी तरह स्वाभाविक रूप से दिखाई दी। सबसे पहले, यहाँ जनमत संग्रह हुआ था [मई 2014 का डोनबास के दर्जे को लेकर जनमत संग्रह], फिर बहुत से लोग चेकपॉइंटों पर गए, जिन्हें मैं जानता था। हम साथ-साथ गए, बात की और दोस्त बन गए।

“सबसे पहले हम वहाँ बेतुकापन की हद तक लाठी और रसोई के चाकू लेकर खड़े थे, बहुत लोग हन्टिंग राइफलों के साथ आए। उन्होंने अपने हाथों से विस्फोटक उपकरण बनाए ताकि दुश्मन आगे न पहुँच सके। जरूर ऐसे हथियार का प्रयोग करते हुए हम आसान निशाना थे, इसलिए हमें डर लगा। हम मरिंका से चालीस मिनट की दूरी पर खड़े थे, जहां यूक्रेनी सैनिक अच्छी तरह से टिके हुए थे। हमें डर था कि वे यहाँ पेत्रोव्का की दिशा में आएँगे, क्योंकि यह करने का प्रयास बहुत बार किया गया था। हम इससे डरते थे क्योंकि उनके पास बहुत हथियार थे और सामान्य तौर पर, हमारे पास सब चीजों की तुलना में उनके पास ज्यादा चीजें थीं," रोमानोव ने बताया।

शेचकोव ने यह भी बताया कि सब से पहले मिलिशिया के सदस्य "पूरी तरह से सामान्य पुरुष" थे, जिनके पास “टी-शर्ट, जींस” सहित कपड़े थे और कुछ पुरुषों के पास डबल-बेरल राइफल थीं । "जरूर, इतने सारे हथियार नहीं थे, और खासकर शुरुआत में यह बहुत मुश्किल था। लोग सिर्फ पिचफोर्क और रसोई के चाकू लेकर आए थे। फिर कमांडर चुने गए, विशेष कोर बनाए गए, अधिक उपयुक्त हथियार उपलब्ध हो गए। मैंने अपनी कार लोगों को दे दी, और खुद मरिंका के पास एक चौकी पर पहुँचा। मैंने इसी विशेष टुकड़ी का सदस्य बनने का अनुरोध किया क्योंकि मैं स्थानीय हूँ, मैं यहां सब कुछ अच्छी तरह से जानता हूँ, यहाँ रहता हूँ, यह मेरा घर है, मैं इसकी रक्षा करना चाहता हूँ। इसी तरह हमारी पेट्रोव्स्कीय बटालियन [कमांडर के नाम पर नामित] बनाई गई,” उसने कहा।
रोमानोव ने कहा कि जब मिलिशिया बनाई गई थी, तो स्वयंसेवकों को कोई वेतन नहीं मिलता था, और उन्हें अपने खर्चों का भुगतान अपने पैसों की मदद से करना पड़ता था। उसने कहा कि “हर कोई विचार के कारण शामिल हुआ, कोई पैसे के बारे में बिल्कुल नहीं सोचता था। और फिर जून में हमें पहला मौद्रिक भुगतान मिला, क्योंकि हमारे पास सिगरेट या चाय नहीं थीं। नागरिकों ने बहुत मदद की, उन्होंने सब कुछ हमें दिया जो वे सकते थे।”
सैनिक ने कहा कि कुछ समय बाद मिलिशिया को मशीनगनों सहित बेहतर हथियार मिला और सैनिक स्नेज़्नोये, सौर-मोगीला, इलोवेस्क, शखतेर्सक, मरिंका में लड़ाई में हिस्सा लेने लगे। रोमानोव ने 2014-2015 की दो महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों में, स्लाव्यास्क की घेराबंदी में और डोनेट्स्क के हवाई अड्डे की लड़ाई में हिस्सा लिया। हवाई अड्डे में गोली लगने सहित सैनिक को कई चोटें लगीं। उसने कहा कि वह अभी अपने सपनों में लड़ाई देखते रहते हैं। रोमानोव ने 2022 की शुरुआत में चोटों के कारण डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक के बालों के सैनिक के रूप में अपनी सेवा खत्म की।
शेचकोव को भी बहुत चोटें लगीं, उसने अपना दाहिना हाथ खोया, उसके पैर को दो बार गोली मारी गई, वह भ्रम से पीड़ित हुआ जिससे उसकी याद नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई। अब वह सैन्य मुख्यालय में काम करता है। रोमानोव की तरह, शेचकोव ने भी डोनेट्स्क के हवाई अड्डे की लड़ाई में भाग लिया था। "जब यह सब खत्म हो गया था तो मेरा एकमात्र विचार था - भगवान का शुक्र है कि मैं जीवित हूं," उन्होंने कहा।

शुरू से क्रूरता

रोमानोव के अनुसार, 2014 में डोनबास के विद्रोह को दबाने की कोशिश करने के लिए भेजे गए यूक्रेनी बलों को शुरू से ही कीव के आदेशों को पूरा करने के लिए उकसाया गया था, और उन्होंने स्थानीय सैनिकों को क्रूरता से मारने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई।

"वे टैंकों के साथ हमारे पास आए थे, तुरंत मरिंका पर हमला करना शुरू कर दिया और ग्रैड [रॉकेट आर्टिलरी] का उपयोग करते हुए बमबारी करना शुरू किया। और तुरंत 5-10 मिनट बाद टैंक दिखाई दिए। यानी वे बड़े युद्ध के लिए तैयार थे। हमारी पहली स्लावयस्काया ब्रिगेड मरिंका के पास तैनात थी। वह यूक्रेनी सेना के हमले का सामना करने में असफल रहा। हमारे सैनिकों को पीछे हटना पड़ा। उन्होंने शहर में आकार खुद को मजबूत करना और खोदना शुरू कर दिया,” सैनिक ने जोर देकर कहा।

शेचकोव ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता था कि यूक्रेनी सेना डोनबास के लोगों के खिलाफ लड़ना नहीं चाहती थी। "उन्होंने लोगों, युवा लोगों का इस्तेमाल तोप चारे के रूप में किया। उन्होंने अपने लोगों को बचाना जरूरी नहीं समझा। और उनके पीछे… वे भयानक राष्ट्रवादी बटालियनें चलती थीं जो उनका पीछा करके लोगों को गोली मारती थीं।”

रोमानोव ने बताया कि दुर्भाग्य से, बहुत यूक्रेनियन लोगों को, युवा और बूढ़े दोनों को मीडिया और अन्य संस्थानों ने हाल के दशकों में रूसी लोगों को यूक्रेन के ऐसे दुश्मन के रूप में मानने को कहा है, जो मौत के अलावा किसी भी चीज के लायक नहीं हैं। "यूक्रेन में, वे इतिहास को बदल रहे हैं, वहाँ रूस के बारे में और किसी भी इतिहास के बारे में बात करना मना है, हालांकि 1980 से पहले पैदा हुए सभी लोग ग्रेट पैट्रीआटिक वर के बारे में जानते हैं, जिसके दौरान हमारे सभी दादा, पोलिश, जॉर्जियाई, यूक्रेनियन लोग एक साथ लड़ाई करते थे। इस इतिहास को बदला गया है और उल्टा कर दिया गया है, और अब वे बांदेरा [स्टेपन बांदेरा यानी एक यूक्रेनी फासीवादी और द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी सहयोगी] का आदर करते हैं।"

रोमानोव का मानना ​​है कि अन्य लोग और विशेष रूप से नागरिक डरे हुए हैं और इसलिए चुप रहते हैं।
शेचकोव ने कहा, "मैं इन नौजवानों को देखता हूं और सोचता हूं: उनके दिमागों पर इस तरह का दबाव डालना कैसे संभव था कि वे आज्ञाकारी रूप से गुलामों की तरह मार्च करते हैं? एक और, जब सब कुछ शुरू हुआ था, तो यह भाई भाई के बीच युद्ध था। दूसरी ओर, यह अब वही यूक्रेन नहीं है, जब उन्होंने नाजी झंडे, हथियार और क्रॉस उठाए।

भयानक यादें

जब रोमानोव से पूछा गया कि क्या उन्होंने किसी ऐसी लड़ाई में भाग लिया था, जो उसको दूसरी लड़ाइयों से ज्यादा अच्छी तरह याद है, रोमानोव ने पूर्वी डोनेट्स्क में सौर-मोगीला की लड़ाई के बारे में बताया, जो 2014 के जुलाई-अगस्त में कई हफ्तों तक चली। उसके अनुसार, उसमें 100 मिलिशियन 600 यूक्रेनी कोरों का सामना किया और यह सब डरावनी फिल्म के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
चेतावनी: नीचे पैराग्राफ में ग्राफिक और परेशान करने वाले विवरण हैं जो सभी पाठकों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। अगर आप आसानी से आहत या परेशान हो जाते हैं तो कृपया अगले पैराग्राफ को बिना पढे उसके बाद लिखित पैराग्राफ पर जाएं
“एक दुश्मन सैनिक आगे रेंग रहा था, उसका हाथ उड़ गया। वह उठा और आगे बढ़ता रहा। यानी यूक्रेनी सैनिक या तो नशे में थे या तो किसी चीज से प्रभावित थे। कोई भी समझदार व्यक्ति सदमे में होगा अगर उसका हाथ किसी गोली या किसी गोली के टुकड़े से फट जाएगा। लेकिन वह सैनिक उठा, अपने कटे हुए हाथ को उठाया और आगे बढ़ता रहा बस। वह भागा नहीं, छिपा नहीं, बल्कि हम पर हमला करने की कोशिश करता रहा... वह मेरे लिए सबसे यादगार चीज थी, क्योंकि मैं सिर्फ फिल्मों में यह देख सकता था। जब आप यह अपनी आँखों से देखते हैं और यह आपके पास हो रहा है, तो लोगों पर और आम तौर पर आपके आस-पास की हर चीज़ के प्रति आपका विचार बदल जाता है... यह भयानक था, सामान्य नहीं था," मिलिशियन ने कहा।
Ruins of the Saur-Mogila (Saur Grave) Memorial in Donetsk Region where festive events were held to celebrate the Day of Donbass Liberation from Nazi Invaders.
रोमानोव ने कहा कि अपने परिवार की याद उसको सबसे कठिन समय मदद दी थी और यह भी कहा कि "खाइयों में हर कोई आस्तिक बन जाता है।" मिलिशियन ने कहा कि चाहे चीजें कितनी भी कठिन क्यों न हों, सैनिकों को आशा है कि "हम जीतेंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा, शांति आ जाएगी।"

विदेशियों के लिए विशेष संदेश

जब उस से यह पूछा गया कि क्या उसका कोई विशेष संदेश है जो वह Sputnik के ऐसे पाठकों को भेजना चाहता है, जो रूसी भाषा नहीं जानते, रोमानोव ने कहा कि "सबसे पहले" वह शांति से रहने के महत्व के बारे में बताना चाहता है।
“यदि शांति होती है, तो इससे क्या फर्क पड़ता है कि कोई व्यक्ति अंग्रेज है या फ्रांसीसी? हम युद्ध के बिना रह सकते हैं। लेकिन अभी यह लगता है कि कोई कहीं न कहीं सोचता है कि युद्ध का मतलब बहुत पैसा कमाने का अवसर है,” मिलिशियन ने कहा। "जैसा कि [सोवियत बार्ड व्लादिमीर] विसॉस्कीय ने कहा था कि 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, लेकिन फिर भी इंसान रहें।'"
"हम अपनी रक्षा कर रहे थे, और वे [रूस] हमें सहायता देने के लिए आए। हम इंग्लैंड में उनके पास नहीं आए। हम अमेरिका में युद्ध आयोजित नहीं करते हैं। हम अपनी भूमि की रक्षा कर रहे हैं। शांति से रहो और सब कुछ ठीक हो जाएगा," रोमानोव ने कहा।
इसी सवाल का जवाब देते हुए शेचकोव ने एक अलग तरीके से कहा। उसने नाटो देशों के किसी भी नागरिक को संबोधित करते हुए जवाब दिया, जो अब शायद यूक्रेन के पक्ष में संकट में भाग ले रहे हैं।
“मैं केवल एक बात कहना चाहता हूँ - घर पर रहें। हम आपको नहीं छू रहे हैं, हमें मत छुओ, हम खुद सब चीजों का समाधान करेंगे। अपने पतियों और भाइयों को वापस ले जाओ, जो यूक्रेनियन की तरह यहां मर रहे हैं... जो लोग दूसरे पक्ष का समर्थन करते हुए निर्णय ले रहे हैं, वे सोचते हैं कि वे अच्छी चीजें कर रहे हैं। वे नहीं समझते कि वे क्या कर रहे हैं। मुझे लगता है कि आपके पाठक यह सब कुछ समझते हैं, लेकिन हम यहां जिन लोगों को पोलिश और अंग्रेजी बोलते हुए देखते हैं, तो मुझे मालूम नहीं है की क्या वे यह समझते हैं या नहीं। अपने लोगों को घर ले जाओ। हम इसका समाधान करेंगे, हम चाहते हैं कि यह जल्दी खत्म हो जाए,” मिलिशियन ने कहा।

शेचकोव ने पोलिश सैनिकों द्वारा निभाई गई वीरतापूर्ण भूमिका की याद दिलाई, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूक्रेन को आज़ाद कराने में लाल सेना के साथ लड़ाई में भाग लिया था। "[वोलोडिमिर] ज़ेलेंस्की के दादा ने लड़ाई लड़ी थी, उन्होंने यूक्रेन को आज़ाद कराने में मदद की थी। अब वे दिग्गजों की निंदा करते हैं, उन्होंने उन चर्चों को नष्ट करना शुरू कर दिया है जिनके लिए हमारे परदादाओं ने लड़ाई लड़ी थी। इसमें कुछ भी अच्छी चीज नहीं है। फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका भी जर्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। अब वे क्या कर रहे हैं? वे वास्तविक रूप से फासीवादी हैं,” उन्होंने कहा।

मिलिशियन ने इस बात पर जोर दिया कि डोनबास का निवासी होने के नाते वह "हजारों" दुश्मनों के खिलाफ भी अपने घर की रक्षा करने के लिए तैयार रहेगा, यदि आवश्यक होगा।

"उनके विपरीत हम समझते हैं कि हम किस चीज के लिए लड़ रहे हैं। लक्ष्य क्या है? हम किसकी रक्षा कर रहे हैं? वे नहीं समझते, उन्हें पकड़ा गया, उनको सैन्य कपड़े दिए गए, मशीन गन दी गई और फिर उन्हें मोर्चे पर भेज दिया गया। इसलिए वे आत्मसमर्पण करते हैं या खुद को पकड़े जाने देते हैं। वे समझते हैं कि उन्हें इसकी आवश्यकता नहीं है। हम अपनी मातृभूमि के लिए लड़ रहे हैं,” उन्होंने कहा।

विचार-विमर्श करें