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संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस: जानें भारत का योगदान

हर साल, संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 29 मई को मनाया जाता है। यह दिन विश्वभर में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में यूएन शांति सैनिकों के योगदान को सम्मानित करने के लिए समर्पित है।
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संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों ने 75 वर्षों से, दुनिया की सबसे विकट राजनीतिक और सुरक्षा स्थितियों में जीवन को बचाने का काम किया है।
रिकॉर्ड के अनुसार, 20 लाख से अधिक वर्दीधारी और नागरिक कर्मियों ने 1948 से देशों को युद्ध से शांति की ओर बढ़ने में मदद की है। वर्तमान में ऐसे 121 देश हैं जो संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा हैं और शांति बनाए रखने में मदद के लिए सैनिक भेजते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में भारत की भूमिका अहम है। 1950 से, भारत ने कम से कम 50 संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भाग लिया है। इन अभियानों में अब तक तैनात 2 लाख सैनिकों के साथ भारत सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

"संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, दुनिया भर के संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के साहस, समर्पण और प्रतिबद्धता को सलाम। शांति और सुरक्षा बनाए रखने में उनके योगदान की सराहना करते हैं और उनके अनेक बलिदानों को नमन करते हैं," भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट किया।

इस बीच भारतीय थल सेनाध्यक्ष, उप थल सेनाध्यक्ष और वायु सेना के अधिकारी, विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शहीद हुए साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि शांति रक्षक अभियानों में अब तक दुनियाभर के 4000 से भी ज्यादा शांति रक्षकों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इनमें भारत के शांति रक्षकों की संख्या लगभग 170 है। यह संख्या किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।
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इस बीच, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने एक संदेश में संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों को एक अधिक शांतिपूर्ण दुनिया के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता का "धड़कता हुआ दिल" कहा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों ने 75 वर्षों तक दुनिया भर में संघर्ष और उथल-पुथल से प्रभावित लोगों का समर्थन किया है।
बता दें कि पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन 29 मई, 1948 को स्थापित किया गया था, जब सुरक्षा परिषद ने इजरायल और उसके अरब पड़ोसी के बीच युद्धविराम समझौते की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र ट्रूस पर्यवेक्षण संगठन (UNTSO) की स्थापना को अधिकृत किया। यह मिशन संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित पहला शांति अभियान बन गया।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2002 में आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए पहली बार शांति रक्षा मिशन को अधिकार दिए। साथ ही महासभा ने शांति की सेवा में अपनी जान गंवाने वाले शांति सैनिकों की स्मृति का सम्मान करने के लिए 29 मई को संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया।
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