यूक्रेन संकट
मास्को ने डोनबास के लोगों को, खास तौर पर रूसी बोलनेवाली आबादी को, कीव के नित्य हमलों से बचाने के लिए फरवरी 2022 को विशेष सैन्य अभियान शुरू किया था।

यूक्रेनी आक्रमण की असफलता नाटो के अस्तित्व पर संदेह का कारण बनकर उभरेगी

मास्को (Sputnik) – नाटो के देशों को यूक्रेनी जवाबी आक्रमण की विफलता के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसके कारण इस गठबंधन के अस्तित्व के अर्थ पर संदेह सामने आएगा और यूरोपीय नेता कीव को शांति संधि पर हस्ताक्षर करने पर विवश करेंगे, कॉलमनिस्ट रिचर्ड केम्प ने एक ब्रिटिश अखबार के लिए लेख में लिखा।
Sputnik
"[नाटो देशों के] नेताओं को विलनियस में [शिखर सम्मेलन में] स्वयं से सवाल पूछना चाहिए: अगर यूक्रेन गठबंधन की शक्ति की सहायता से भी रूसी आक्रमण को रोक नहीं सकता है, तो नाटो का क्या अर्थ है?" केम्प ने लिखा।
कॉलमनिस्ट ने इस बात पर जोर दिया कि नाटो के नेताओं को उसके लिए तैयार रहना चाहिए कि पश्चिम के सभी समर्थन के बावजूद यूक्रेनी जवाबी हमला असफल हो सकता है।

केम्प का कहना है कि अगर यूक्रेनी आक्रमण पूरी तरह से असफल हो जाएगा, तो फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़ जैसे लोग "वर्ष के अंत तक कीव को शांति संधि पर हस्ताक्षर करने पर विवश करने के लिए पुनः कदम उठाएंगे।“

डिफेंस
रूसी रक्षा मंत्री ने रूसी ओम्स्क क्षेत्र में सैन्य-औद्योगिक उद्यम की जाँच की
दक्षिण डोनेट्स्क, ज़पोज्ये, आर्टेमिव्स्क दिशाओं में यूक्रेनी आक्रमण 4 जून को शुरू हुआ था। कीव ने नाटो के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित और पश्चिमी उपकरणों से लैस ब्रिगेडों का प्रयोग करने का निर्णय किया था। 13 जून को सैन्य संवाददाताओं के साथ बैठक में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि आक्रमण के दौरान यूक्रेनी सैनिकों को भारी नुकसान हुआ और वे किसी भी दिशा में सफल नहीं हैं।
विचार-विमर्श करें