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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव का लेख

पंद्रहवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22-24 अगस्त को दक्षिण अफ़्रीका में जोहान्सबर्ग में चलेगा। भारत, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ़्रीका के नेता इस आयोजन में भाग लेंगे। रूस का प्रतिनिधित्व रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव करेंगे। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन ने जानकारी दी कि वे वीडियो कांफ़्रेसिंग के ज़रिए सम्मेलन में भाग लेंगे।
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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोव ने दक्षिण अफ़्रीकी पत्रिका "उबंटू" के लिए 'ब्रिक्स: न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ना' नाम से एक लेख लिखा।

ब्रिक्स: न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ना

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर मैं सम्मानित पाठकों के साथ वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में "पाँच के समूह" के बीच सहयोग की संभावनाओं पर अपने विचार साझा करना चाहूंगा।
आज विश्व में विवर्तनिक परिवर्तन हो रहे हैं। किसी भी एक देश या देशों के एक छोटे समूह के प्रभुत्व की संभावना लुप्त होती जा रही है। "गोल्डन बिलियन" की भलाई को बनाए रखने के लिए दुनिया के बहुसंख्यकों के संसाधनों के दोहन पर बनाया गया अंतरराष्ट्रीय विकास का मॉडल संपूर्णतः अव्यावहारिक हो चुका है। यह मॉडल सारी मानव जाति की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है।
"सामूहिक पश्चिम" अपना आधिपत्य बनाए रखने हेतु इस प्रवृत्ति को उलटने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इससे बिल्कुल विपरीत ही प्रभाव पड़ता है। विश्व समुदाय तो पश्चिमी अभिजात्य वर्ग के ब्लैकमेल और दबाव, उसकी औपनिवेशिक और नस्लवादी आदतों से थक गया है। इसलिए न केवल रूस, बल्कि कई अन्य राज्य भी उत्तरोत्तर अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता कम कर रहे हैं, वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों और राष्ट्रीय मुद्राओं में निपटान के उपयोग की दिशा में अपनी नीति बना रहे हैं। यहां नेल्सन मंडेला के बुद्धिमान विचार याद आता है — "जब पानी उबलने लगे तो आंच धीमी करना मुर्खता होगा।" और वास्तव में ऐसा ही होता है।
रूस जो है एक राज्य-सभ्यता, सबसे बड़ी यूरेशियाई और यूरो-प्रशांत शक्ति, वह अंतरराष्ट्रीय जीवन के आगे के लोकतंत्रीकरण पर काम करना जारी रखता है, ऐसे अंतरराज्यीय ढांचे के निर्माण में लगा हुआ है जो समान और अविभाज्य सुरक्षा के सिद्धांतों, सांस्कृतिक और सभ्यतागत विविधता पर आधारित हो जिससे बिना किसी अपवाद के विश्व समुदाय के सभी सदस्यों को विकास के समान अवसर प्रदान किए जाए। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी 2023 को रूस की संघीय विधानसभा में वार्षिक सम्बोधन के दौरान बोलते हुए कहा था — "आधुनिक दुनिया में तथाकथित "सभ्य देशों" और सभी बाकी देशों में कोई विभाजन नहीं होना चाहिए… एक ईमानदार साझेदारी की आवश्यकता है, जो किसी भी प्रकार की विशिष्टता से मुक्त हो। हमारे ख़याल में यह सब "उबंटू" के विचार-दर्शन के अनुरूप है, जो राष्ट्रों और लोगों के बीच अंतर्संबंध का उपदेश देता है।
इस संदर्भ में रूस बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में अफ़्रीकी महाद्वीप की आवाज मज़बूत करने का पक्षधर। हम वर्तमान चुनौतियों से निपटने में और भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के अपने अफ़्रीकी मित्रों के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेंगे। हमारा गहरा विश्वास है कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया से भी संबंधित है, जिसके अंतर्गत सबसे पहले अफ़्रीका सहित विकासशील देशों के वैध हितों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
बहुपक्षीय कूटनीति वैश्विक रुझानों से बाहर नहीं रहती। ब्रिक्स समूह ईमानदार अंतरराष्ट्रीय संचार का उदाहरण है। इसमें विभिन्न राजनीतिक प्रणालियों, विशिष्ट मूल्य प्लेटफ़ार्मों और स्वतंत्र विदेश नीतियों वाले देश विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से सहयोग करते हैं। मुझे लगता है, अतिश्योक्ति नहीं होगी अगर यह कहा जाए कि "पांच का समूह" एक प्रकार का सहकारी "जाल" है जो पारंपरिक उत्तर-दक्षिण और पश्चिम पूर्व रेखाओं पर फेंका गया है।
एकजुट प्रयासों के माध्यम से ब्रिक्स बातचीत की संस्कृति बनाने में सफल रहा जो समानता, विकास का अपना रास्ता चुनने के प्रति सम्मान और एक-दूसरे के हितों की इज़्ज़त पर आधारित है। इससे हमें सबसे कठिन मुद्दों पर भी आम राय बनाने में सहायता मिलती है।
आज ब्रिक्स देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी गति पकड़ रही है। यह एसोसिएशन विश्व को रचनात्मक, दूरदर्शी पहल की पेशकश करता है जिसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना, वैश्विक अर्थव्यवस्था का स्वस्थ विकास, संघर्षों का समाधान करना तथा उचित ऊर्जा परिवर्तन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना है।
इन समस्याओं को हल करने के लिए एक उपयुक्त तंत्र व्यवस्था बनाया गया है। 2025 तक आर्थिक साझेदारी रणनीति लागू की जा रही है, जिसने मध्यम अवधि में सहयोग के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए। रूसी पहल पर शुरू किया गया ब्रिक्स एनर्जी रिसर्च प्लेटफॉर्म काम कर रहा है। ब्रिक्स टीका अनुसंधान एवं विकास केंद्र का शुभारंभ किया गया है, जिसे हमारे देशों के सामने महामारी से संबंधित चुनौतियों से निबटने में योग देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। भ्रष्ट अधिकारियों और आपराधिक संपत्तियों के लिए "सुरक्षित पनाहगाहों" को खत्म करने, सतत विकास के लिए व्यापार और निवेश, आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की पहल को मंजूरी दी गई। ब्रिक्स खाद्य सुरक्षा रणनीति को अपनाया गया है।
ब्रिक्स की प्राथमिकताओं में न्यू डेवलपमेंट बैंक की क्षमता को मजबूत करना, ब्रिक्स के विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाना, भुगतान तंत्र में सुधार और आपसी निपटान में राष्ट्रीय मुद्राओं की भूमिका बढ़ाना सम्मिलित है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इन मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
हमारे पास मौजूदा बहुपक्षीय तंत्र को प्रतिस्थापित करने का कोई उद्देश्य नहीं है, विशेषतः एक नया "सामूहिक आधिपत्य" बनने की तो बात ही छोड़ दें। इसके बरक्स"पाँच के समूह" के सदस्य सभी देशों के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण के पक्षधरहैं, जो "शीत युद्ध" और "शून्य-राशि" भू-राजनीतिक खेलों के ब्लॉक लॉजिक को खारिज करता है। ब्रिक्स सामूहिक दृष्टिकोण के आधार पर समावेशी समाधान पेश करने का प्रयास करता है।
इस संदर्भ में हम ब्रिक्स संगठन और विश्व बहुमत के देशों के बीच बातचीत बढ़ाने पर लगातार काम कर रहे हैं। विशेषतः दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता की प्राथमिकताओं में से एक अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना था। हम इस दृष्टिकोण को पूरी तरह साझा करते हैं। हम अफ्रीकी महाद्वीप पर आर्थिक विकास सुनिश्चित करने तथा खाद्य और ऊर्जा सहित सुरक्षा को मजबूत करने में योग देने के लिए तैयार हैं। 27-28 जुलाई 2023 को सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित द्वितीय रूस-अफ्रीका शिखर सम्मेलन के नतीजे इसका स्पष्ट प्रमाण बन गए हैं।
इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि दुनिया भर में बहुत समान विचारधारा वाले हमारे संगठन का समर्थन करते हैं। उनके लिए ब्रिक्स एक सकारात्मक शक्ति है जो वैश्विक दक्षिण और पूर्व के देशों की एकजुटता को मजबूत करके एक नई, अधिक न्यायपूर्ण, बहुकेंद्रित विश्व व्यवस्था के स्तंभों में से एक है।
ब्रिक्स उनकी आशाएं पूरा करने के लिए तैयार है। चुनांचे हमने इसके विस्तार की प्रक्रिया शुरू की। यह प्रतीकात्मक है कि यह प्रक्रिया दक्षिण अफ्रीकी सभापति में ही इतनी तेजी से विकसित होने लगी, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका एक ऐसा देश है जिसे सर्वसम्मति से लिए गए निश्चय के बाद ब्रिक्स में सम्मिलित किया गया था।
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