रिपोर्ट में कहा गया है, "[पश्चिमी देशों की] कई राजधानियों में यह माना जाता है कि नए टैंक के महंगे भंडार की तुलना में अक्सर रिटायर लेपर्ड-1 को छोड़ देना अधिक सुविधाजनक है।"
गौरतलब है कि लेपर्ड-1 में कवच पतला है जिससे समतल इलाके में वह कमज़ोर हो सकता है।
पश्चिमी मीडिया ने जर्मन बुंडेसवेहर के लेफ्टिनेंट जनरल एंड्रियास मार्लो के हवाले से कहा है कि लेपर्ड-2 "उच्च लड़ाई मूल्य" का हो सकता है। उन्होंने कहा, "लेपर्ड-1 का फायदा यह है कि हम इन टैंकों की तीन गुनी अधिक आपूर्ति कर सकते हैं।"
उन्होंने कहा, "मात्रा भी भूमिका निभाती है।"
यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति को लेकर रूस नाटो देशों को एक नोट भेज चुका है। रूसी विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा कि यूक्रेन के लिए हथियार रखने वाला कोई भी माल रूस के लिए सैन्य लक्ष्य के रूप में माना जाएगा। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि नाटो देश यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करके "आग से खेल रहे हैं।"
साथ ही क्रेमलिन ने कहा कि यूक्रेन को पश्चिम से हथियार भेजना रूसी-यूक्रेनी वार्ता की सफलता में योगदान नहीं देगा और इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
लवरोव ने यह भी कहा कि अमेरिका और नाटो यूक्रेन में संघर्ष में सीधे तौर पर हिस्सा ले रहे हैं, वे न केवल हथियारों की आपूर्ति करते हैं, बल्कि ब्रिटन, जर्मनी, इटली सहित पश्चिमी देशों में यूक्रेनी सैनिकों का प्रशिक्षण भी किया जाता है।