रूस ने इसे लेकर आपत्ति जताई है। रूसी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क, यूरोपीय परिषद की मानवाधिकार आयुक्त दुन्या मिजाटोविक और यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (OSCE) के राष्ट्रीय अल्पसंख्यकों पर उच्चायुक्त कैरात अब्द्रखमानोव को एक शिकायत भेजी।
शिकायत पत्र में कहा गया, कि "लातवियाई अधिकारियों ने जो फैसला किया, वह संयुक्त राष्ट्र के नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध, मानव अधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन का उल्लंघन करता है। हम आपसे देश से लातवियाई निवासियों के जबरन निष्कासन को रोकने का आग्रह करते हैं।"
आज लातविया में करीब 6 हज़ार रूसी लोग निवास परमिट के आधार पर देश में रहते हैं। अब उनपर देश से निकालने का खतरा मंडराता है क्योंकि उन्होंने 2023 में पारित हुए एक कानून के तहत लातवियाई भाषा परीक्षा नहीं दी।
“5 हज़ार से 6 हज़ार तक रूसी नागरिक (…), जिन्होंने परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, उन्हें लातविया छोड़ने के लिए आधिकारिक सूचना पत्र प्राप्त होगा,” लातवियाई संसद में नागरिकता से जुड़े मामलों के आयोग का प्रमुख इंगमार्स लिडाक ने कहा।
रूस के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अपने पत्र में इस बात पर भी बल दिया है कि जिन लोगों को विस्थापित होने का खतरा आया, वे मुख्य तौर पर बुजुर्ग लोग हैं जो सोवियत काल से ही लातविया में रह रहे हैं। लातविया के आर्थिक आधार को तैयार करने के लिए उन्होंने भारी मशक्कत की है।
पहले लातवियाई सरकार ने रूसी लोगों से लातवियाई भाषा की परीक्षा पास करने की मांग कभी नहीं की थी। इतना ही नहीं, देश में रहने का उनका दीर्घकालिक अनुभव साबित करता है कि रूसी भाषा इस देश में जीवन के लिए काफी है।