शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल-1 सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
श्रीहरिकोटा द्वीप पर इसरो लॉन्चपैड से रॉकेट के प्रक्षेपित होने पर अंतरिक्ष केंद्र में स्थित मिशन नियंत्रण वैज्ञानिकों और बड़ी संख्या में दर्शकों ने तालियां की गूंज के साथ अभिवादन किया।
भारत का सौर मिशन उसके सफल चांद्र मिशन चंद्रयान-3 के बाद ही चल रहा है। आदित्य-एल1 के माध्यम से इसरो ने सौर ऊर्जा के अध्ययन करने के लिए ये कदम उठाया है।
आदित्य-एल1 सूर्य के व्यापक अध्ययन के लिए समर्पित उपग्रह है। इसमें सात अलग-अलग पेलोड हैं - पांच इसरो द्वारा और दो इसरो के सहयोग से शैक्षणिक संस्थानों द्वारा निर्मित हैं, जो स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
2 सितंबर को अपने निर्धारित प्रक्षेपण के बाद आदित्य-एल1 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा, इस दौरान इसे अपनी यात्रा के लिए आवश्यक वेग प्राप्त करने के लिए पांच अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख ने भारतीय मीडिया को बताया कि आदित्य-एल1 एक और महत्वपूर्ण मिशन है और उपग्रह को एल1 बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन (चार महीने) लगेंगे जहां से सूर्य का निरंतर अवलोकन किया जाना संभव होगा।