तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने सोमवार को रूस के सोची में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठक के दौरान कहा कि द्विपक्षीय व्यापार में राष्ट्रीय मुद्राओं पर स्विच करना महत्वपूर्ण है।
पुतिन और एर्दोगन के बीच आमने-सामने की पिछली मुलाकात लगभग एक साल पहले हुई थी, जब 13 अक्तूबर 2022 को दो नेताओं ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में एशिया में बातचीत और विश्वास-निर्माण के उपायों (सीआईसीए) पर 7वें सम्मेलन के दौरान वार्तालाप किया था।
नेताओं ने इन मामलों पर भी अपने विचार पेश किए:
एर्दोगन ने आगे कहा, "हमारे लिए एक और महत्वपूर्ण कदम ईस्ट थ्रेस में एक [गैस] हब का निर्माण करना है।"
पुतिन ने तुर्की के साथ रूसी सहयोग को लेकर कहा, "अकुयू परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण जारी है, अब तुर्की वास्तव में विश्व परमाणु संघ का सदस्य बन गया है, अगले साल रूसी परमाणु ईंधन अक्कुयू के पहले बैच की डिलीवरी के बाद हम बिजलीघर की पहली इकाई लॉन्च करेंगे, सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा है”।
राष्ट्रपति पुतिन ने अपने समकक्ष से यह भी कहा कि रूस
अनाज समझौते को फिर से शुरू करने पर बातचीत के लिए तैयार है।
अनाज निर्यात समझौता वैश्विक खाद्य संकट को रोकने के लिए 22 जुलाई 2022 को बनाया गया था।
संयुक्त राष्ट्र, रूस, तुर्की और यूक्रेन इसके हस्ताक्षरकर्ता थे। इस समझौते के तहत रूस ने यूक्रेन के तीन बंदरगाह चोर्नोमोर्स्क, पिवडेनी और ओडेसा से अनाज ले जा रहे जहाजों को जांच के बाद जाने की अनुमति दे दी थी। साथ ही रूस के अनाज और उर्वरक भी वैश्विक बाज़ारों तक पहुंचने का रास्ता खुला था।
18 नवंबर 2022 को अनाज समझौते को 120 दिन हुए। इस अंतराल रूस ने 15 मिलियन टन से अधिक अनाज का निर्यात किया, रूसी अनाज की आपूर्ति मुख्य तौर पर अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे गरीब देशों में की गई।
वहीं, यूक्रेन के बंदरगाहों से 11 मिलियन टन खाद्य का निर्यात किया गया था। लेकिन
रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार इस निर्यात का 51 प्रतिशत विकसित देशों में किया गया था, जबकि गरीब देशों को इस अनाज का 3 प्रतिशत ही मिला था। साथ ही यूक्रेन ने
काला सागर अनाज गलियारे का इस्तेमाल रूस के जहाजों और बंदरगाहों पर
ड्रोन आक्रमण के लिए करना शुरू किया था।
समझौते के तहत अनाज और उर्वरक निर्यात में लगे रूसी जहाजों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने के दायित्वों को पूरा नहीं किया गया। इसके कारण विदेशी बंदरगाहों में रूसी जहाजों के बीमा और सर्विसिंग करना नामुमकिन था।
इस स्थिति को देखते हुए 13 जून को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने संवाददाताओं के साथ एक मुलाकात के दौरान कहा कि रूस अनाज समझौते से हटने के बारे में सोच रहा है। 4 जुलाई को रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि रूस काला सागर अनाज समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा।