विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

आदित्य-L1 ने पृथ्वी से जुड़ी दूसरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया: इसरो

आदित्य-L1 पहली भारतीय अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है जो पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु (L1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करेगी, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित है।
Sputnik
भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी से जुड़ी दूसरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को कहा।
इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।

"दूसरी पृथ्वी-संबंधित प्रक्रिया (EBN#2) इस्ट्रैक, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक किया गया है। मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में इस्ट्रैक/इसरो के ग्राउंड स्टेशनों ने इस ऑपरेशन के दौरान उपग्रह को ट्रैक किया। प्राप्त की गई नई कक्षा 282 किमी x 40225 किमी है," इसरो ने एक पोस्ट में कहा।

अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि अगली प्रक्रिया (EBN#3) 10 सितंबर को भारतीय समयानुसार लगभग 02:30 बजे निर्धारित है।
इससे पहले 3 सितंबर को इसरो ने पहला ऑर्बिट प्रक्रिया अभ्यास सफलतापूर्वक पूरा किया था। दरअसल अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु L1 की ओर स्थानांतरण कक्षा में स्थापित करने से पहले दो और पृथ्वी-कक्षीय प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। लगभग 127 दिनों के बाद आदित्य-L1 के इच्छित कक्षा में पहुंचने की उम्मीद है।
बता दें कि इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) के दूसरे लॉन्च पैड से आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान अवधि के बाद, आदित्य-L1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर 235 x 19500 किमी की अण्डाकार कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया।
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