भारत की जी20 अध्यक्षता

खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे को कम करने के प्रयास जारी: हर्षवर्धन श्रृंगला

विश्व नेता 9 और 10 सितंबर को G-20 बैठक के लिए भारत की राजधानी नई दिल्ली में एकत्रित हो रहे हैं, जिसकी मेजबानी भारत द्वारा की जा रही है इस बार के एजेंडे में जलवायु वित्त, खाद्य सुरक्षा और विकास जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे सम्मिलित हैं।
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G-20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने शिखर सम्मेलन से पूर्व प्रेस वार्ता को संबोधित करने के बाद Sputnik संवाददाता से बात करते हुए बताया कि खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं।
भारत द्वारा G20 की तात्कालिक अध्यक्षता के दौरान खाद्य और उर्वरक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए व्यावहारिक कदमों पर बात करते हुए हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि ये बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे हैं और भारत ने अध्यक्ष के तौर पर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) प्रक्रिया की विकास पूर्ति, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसी प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की सहायता कैसे की जा सकती है, इस मुद्दे की पहचान की है।

"हम खाद्य सुरक्षा की उच्च सिद्धांत परिभाषा 2023 पर सहमत हुए हैं। इस बात पर भी बल है कि G-20 देश बाजरा और प्राचीन अनाजों पर शोध पर जोर देंगे। तो यह सब खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे को कम करने का एक प्रयास है," G-20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने Sputnik को कहा।

हर्षवर्धन श्रृंगला ने आगे Sputnik को बताया कि ऐसे कई सारे मुद्दे जैसे पर्यावरण, ब्लू इकॉनमी और ऊर्जा से संबंधित ऐसे कई मुद्दे होंगे जो आप आगे G20 सम्मेलन के दौरान देखेंगे।

"पर्यावरण संबंधी मुद्दों को कैसे सुलझाया जा सकता है और ये बड़ी प्राथमिकताएं रही हैं। इसके अतिरिक्त, कई अन्य महत्वपूर्ण पहलें हैं जो इस संदर्भ में की गई हैं कि हम सर्कुलर इकोनॉमी को कैसे प्रोत्साहित कर सकते हैं, ब्लू इकॉनमी को कैसे काम करनी चाहिए और ऊर्जा दक्षता कैसे आएगी," हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया।

Sputnik संवाददाता ने G-20 के मुख्य समन्वयक से रूस-यूक्रेन संघर्ष पर पूछा कि भारत की स्थिति संयुक्त दस्तावेजों में प्रतिबिंबित होगी तब उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते क्योंकि हम इसके सम्मेलन के परिणामों को पूर्व निर्धारित नहीं कर सकते लेकिन मुझे विश्वास है कि सम्मेलन में इस पर निर्णय हो जायेगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के 2019 के अनुमान के अनुसार विकासशील देशों में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए वित्तपोषण का अंतर प्रति वर्ष 2.5 अमेरिकी डॉलर और 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के मध्य होगा।

"आपने फंडिंग का भी उल्लेख किया था और इस बात पर समझौता हुआ है कि जलवायु वित्तपोषण के मामले में विकसित देशों से 100 अरब डॉलर की फंडिंग होगी। और निश्चित रूप से बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है और इस पर भी सम्मेलन में चर्चा होगी," G-20 के मुख्य समन्वयक ने Sputnik को बताया।

एसडीजी में सुधार लाने को लेकर हर्षवर्धन ने बताया कि मैंने विदेश मंत्रियों की बैठक में देखा है कि इसपर सहमति हुई कि सात साल की एसडीजी योजना होगी जो इस प्रक्रिया को गति देगी।
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