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भारत जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए तैयार: हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए?
भारत जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए तैयार: हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए?
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9-10 सितंबर को भारत नई दिल्ली के 'भारत मंडपम' सम्मेलन केन्द्र में 18वें जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। शिखर सम्मेलन भारत की साल भर की अध्यक्षता का समापन कार्यक्रम है।
2023-09-07T18:24+0530
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नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन
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9-10 सितंबर को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में 19 देशों और यूरोपीय संघ सहित दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं के नेतृत्व स्तर के प्रतिनिधिमंडल भाग लेंगे।भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय "वसुधैव कुटुंबकम" है, जो एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अनुवाद "संपूर्ण पृथ्वी, एक परिवार" है।2023 जी20 शिखर सम्मेलन: आमंत्रित सदस्य और एजेंडानई दिल्ली में होने वाले बड़े आयोजन में नौ अतिथि देशों को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनमें से हैं:जी20 शिखर सम्मेलन में प्रमुख बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेंगे, जिनमें संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) सम्मिलित हैं।महत्वपूर्ण वैश्विक बैठक में 10 देशों के दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और 55 सदस्यीय अफ्रीकी संघ (AU) जैसे क्षेत्रीय तंत्रों का भी प्रतिनिधित्व किया जाएगा।शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का प्रतिनिधित्व उनके विदेश मंत्री सर्गे लवरोव करेंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी जी20 शिखर सम्मेलन में सम्मिलित नहीं होंगे।चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में बीजिंग का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।जी20 क्या है?जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक आबादी का दो-तिहाई हिस्सा है।सन 1999 में स्थापित यह शुरू में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिए एक संवाद तंत्र था। सन 2008 में इसे नेताओं के स्तर तक बढ़ा दिया गया और "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच" नामित किया गया।पहला जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी में हुआ था। सभी G7 सदस्यों के साथ-साथ BRICS के मूल संस्थापक सदस्यों का भी जी20 में प्रतिनिधित्व है। वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को उजागर करते हुए अफ्रीकी संघ के स्थायी जी20 सदस्य बनने की आशा है।जी20 काम कैसे करता है?जी20 में घूर्णनशील अध्यक्षता प्रणाली है, जिसके सदस्यों को पाँच समूहों में विभाजित किया गया है।जी20 अध्यक्ष अपनी अध्यक्षता के दौरान एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होते हैं।जी20 में दो ट्रैक सम्मिलित हैं: वित्तीय ट्रैक और शेरपा ट्रैक। वित्तीय ट्रैक का नेतृत्व संघीय वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर करते हैं, जबकि शेरपा ट्रैक में विभिन्न मंत्रालयों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कार्य समूह सम्मिलित होते हैं।सहभागिता समूहों में नागरिक समाज के प्रतिनिधि, व्यवसाय और शोधकर्ता सम्मिलित हैं।भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में क्या खास है?जी20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन बुलाकर वैश्विक दक्षिण के हितों को प्राथमिकता दी है, जिसमें 125 से अधिक विकासशील देशों ने भाग लिया।भारत ने खाद्य और उर्वरक की आपूर्ति श्रृंखलाओं के गैर-राजनीतिकरण, गैर-भेदभावपूर्ण ऊर्जा बाजारों की स्थापना और ऋण उपचार पर "कॉमन फ्रेमवर्क" पर प्रगति का आह्वान किया है।भारत ने अधिक प्रतिनिधि वैश्विक संस्थानों की भी पैरवी की है, जिसमें अफ्रीकी संघ को पूर्ण G20 सदस्य के रूप में सम्मिलित करना भी शामिल है।क्या हमें जी20 शिखर सम्मेलन में अंतिम परिणाम दस्तावेज़ की आशा करनी चाहिए?एक तरफ रूस और चीन और दूसरी तरफ पश्चिमी शक्तियों के बीच यूक्रेन संघर्ष पर मतभेद जी20 शिखर सम्मेलन में भी दिखने की संभावना है।जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एजेंडे से साफ संकेत मिलता है कि जी20 शिखर सम्मेलन में पश्चिमी नेता यूक्रेन को लेकर मुखर होंगे।अपनी ओर से भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि यूक्रेन संघर्ष एक भू-राजनीतिक मुद्दा होकर जी20 के लिए नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए विचार-विमर्श का विषय है।पश्चिमी दबाव के बाद भी भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमर ज़ेलेंस्की को आमंत्रित करने से भी इनकार कर दिया है।जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सप्ताहांत में रेखांकित किया, भारत ने अब तक अपने जी20 अध्यक्ष पद के दौरान महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं।इसमें सम्मिलित हैं:क्या भारत-चीन के बीच मतभेद जी20 पर भारी पड़ेंगे?अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के मध्य चल रहे सीमा गतिरोध की स्थिति में जी20 शिखर सम्मेलन पर राष्ट्रपति शी की संभावित अनुपस्थिति मीडिया का ध्यान आकर्षित कर रही है।परंतु विश्लेषकों का अनुमान है कि शी की अनुपस्थिति शिखर सम्मेलन के परिमाणों को प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि चीन ने मार्च में विदेश मंत्रियों सहित सभी प्रमुख जी20 बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।पुतिन ने मोदी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान भारत के जी20 एजेंडे के प्रति समर्थन भी जताया। इसलिए शी और पुतिन दोनों भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के साथ वैश्विक दक्षिण और इसकी विकासात्मक प्राथमिकताओं के प्रमुख समर्थक रहे हैं।
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भारत जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के लिए तैयार: हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए?
9-10 सितंबर को भारत नई दिल्ली के 'भारत मंडपम' सम्मेलन केन्द्र में 18वें जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। शिखर सम्मेलन भारत की साल भर की अध्यक्षता का समापन कार्यक्रम है।
9-10 सितंबर को नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में 19 देशों और यूरोपीय संघ सहित दुनिया की शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं के नेतृत्व स्तर के प्रतिनिधिमंडल भाग लेंगे।
भारत की जी20 अध्यक्षता का विषय "वसुधैव कुटुंबकम" है, जो एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अनुवाद "संपूर्ण पृथ्वी, एक परिवार" है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा कि नवंबर में औपचारिक रूप से अध्यक्षता समाप्त होने के बाद भारत के जी20 अध्यक्षता के अंतर्गत भारत के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें होंगी।
2023 जी20 शिखर सम्मेलन: आमंत्रित सदस्य और एजेंडा
नई दिल्ली में होने वाले बड़े आयोजन में नौ अतिथि देशों को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनमें से हैं:
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)।
जी20 शिखर सम्मेलन में प्रमुख बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल भी भाग लेंगे, जिनमें संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF),
विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO),
विश्व व्यापार संगठन (WTO), अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) सम्मिलित हैं।
महत्वपूर्ण वैश्विक बैठक में 10 देशों के
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और 55 सदस्यीय अफ्रीकी संघ (AU) जैसे क्षेत्रीय तंत्रों का भी प्रतिनिधित्व किया जाएगा।
शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का प्रतिनिधित्व उनके विदेश मंत्री सर्गे लवरोव करेंगे। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी जी20 शिखर सम्मेलन में सम्मिलित नहीं होंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में
बीजिंग का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।
जी20
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक आबादी का दो-तिहाई हिस्सा है।
सन 1999 में स्थापित यह शुरू में वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिए एक संवाद तंत्र था। सन 2008 में इसे नेताओं के स्तर तक बढ़ा दिया गया और "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच" नामित किया गया।
पहला
जी20 शिखर सम्मेलन नवंबर 2008 में वाशिंगटन डीसी में हुआ था। सभी G7 सदस्यों के साथ-साथ BRICS के मूल संस्थापक सदस्यों का भी जी20 में प्रतिनिधित्व है। वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को उजागर करते हुए अफ्रीकी संघ के स्थायी जी20 सदस्य बनने की आशा है।
जी20 में घूर्णनशील अध्यक्षता प्रणाली है, जिसके सदस्यों को पाँच समूहों में विभाजित किया गया है।
अध्यक्षता 'तिकड़ी' द्वारा समर्थित है, जिसमें पिछली, वर्तमान और अगली अध्य्क्ष सम्मिलित हैं। भारतीय अध्यक्षता की स्थिति पहली बार है जब जी20 को विकासशील देशों की तिकड़ी द्वारा संचालित किया गया है, और यह प्रवृत्ति ब्राज़ील की अध्यक्षता के अंतर्गत जारी रहेगी।
जी20 अध्यक्ष अपनी अध्यक्षता के दौरान एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
जी20 में दो ट्रैक सम्मिलित हैं: वित्तीय ट्रैक और शेरपा ट्रैक। वित्तीय ट्रैक का नेतृत्व संघीय वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर करते हैं, जबकि शेरपा ट्रैक में विभिन्न मंत्रालयों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कार्य समूह सम्मिलित होते हैं।
सहभागिता समूहों में नागरिक समाज के प्रतिनिधि, व्यवसाय और शोधकर्ता सम्मिलित हैं।
भारत की जी20 अध्यक्षता के बारे में क्या खास है?
जी20 के अध्यक्ष के रूप में भारत ने "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन बुलाकर वैश्विक दक्षिण के हितों को प्राथमिकता दी है, जिसमें 125 से अधिक विकासशील देशों ने भाग लिया।
भारत ने
खाद्य और उर्वरक की आपूर्ति श्रृंखलाओं के गैर-राजनीतिकरण, गैर-भेदभावपूर्ण ऊर्जा बाजारों की स्थापना और ऋण उपचार पर "कॉमन फ्रेमवर्क" पर प्रगति का आह्वान किया है।
भारत ने अधिक प्रतिनिधि वैश्विक संस्थानों की भी पैरवी की है, जिसमें अफ्रीकी संघ को पूर्ण G20 सदस्य के रूप में सम्मिलित करना भी शामिल है।
अफ्रीकी देश भारत के एजेंडे की सराहना करते रहे हैं, भारत में अफ्रीकी राजदूत ने कहा कि किसी भी जी20 अध्यक्ष ने वैश्विक दक्षिण की चिंताओं के बारे में इतना अधिक नहीं बताया।
क्या हमें जी20 शिखर सम्मेलन में अंतिम परिणाम दस्तावेज़ की आशा करनी चाहिए?
एक तरफ रूस और चीन और दूसरी तरफ पश्चिमी शक्तियों के बीच यूक्रेन संघर्ष पर मतभेद
जी20 शिखर सम्मेलन में भी दिखने की संभावना है।
जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एजेंडे से साफ संकेत मिलता है कि जी20 शिखर सम्मेलन में पश्चिमी नेता यूक्रेन को लेकर मुखर होंगे।
अपनी ओर से भारतीय विदेश मंत्री
एस. जयशंकर ने कहा है कि यूक्रेन संघर्ष एक भू-राजनीतिक मुद्दा होकर जी20 के लिए नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए विचार-विमर्श का विषय है।
पश्चिमी दबाव के बाद भी भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति
वोलोडिमर ज़ेलेंस्की को आमंत्रित करने से भी इनकार कर दिया है।
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सप्ताहांत में रेखांकित किया, भारत ने अब तक अपने जी20 अध्यक्ष पद के दौरान महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं।
संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDG) पर प्रगति में तेजी लाने के लिए जी20 "कार्य योजना" को अपनाया गया;
वैश्विक खाद्य संकट का समाधान करने के लिए "खाद्य सुरक्षा और पोषण पर डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांत";
डिजिटल लिंग विभाजन को पाटने और श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जी20 की आम सहमति;
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हरित हाइड्रोजन" पर जी20 के उच्च-स्तरीय सिद्धांत और "वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन" की स्थापना;
व्यापार दस्तावेज़ों को डिजिटल बनाने के लिए जी20 समझौता;
"व्यवसायों के वर्गीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय गाइड" के विकास पर समझौता;
सन 2040 तक भू-क्षरण को 50 प्रतिशत तक कम करने की जी20 की योजना।
क्या भारत-चीन के बीच मतभेद जी20 पर भारी पड़ेंगे?
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सेनाओं के मध्य चल रहे सीमा गतिरोध की स्थिति में जी20 शिखर सम्मेलन पर राष्ट्रपति शी की संभावित अनुपस्थिति मीडिया का ध्यान आकर्षित कर रही है।
परंतु विश्लेषकों का अनुमान है कि शी की अनुपस्थिति शिखर सम्मेलन के परिमाणों को प्रभावित नहीं करेगी, क्योंकि चीन ने मार्च में विदेश मंत्रियों सहित सभी प्रमुख जी20 बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
पुतिन ने मोदी के साथ
फोन पर बातचीत के दौरान भारत के जी20 एजेंडे के प्रति समर्थन भी जताया। इसलिए शी और पुतिन दोनों भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के साथ वैश्विक दक्षिण और इसकी विकासात्मक प्राथमिकताओं के प्रमुख समर्थक रहे हैं।