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पुतिन और किम ने अमेरिकी आधिपत्य को कैसा झटका दिया?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच बुधवार, 13 सितंबर को व्यापक बातचीत हुई। डॉ. कियुल चुंग ने Sputnik को बताया कि पुतिन और किम के मध्य बैठक ऐतिहासिक क्यों साबित हुई।
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रूस और उत्तर कोरियाई (कोरिया लोकतांत्रिक जन गणराज्य/ डीपीआरके) के नेताओं ने 13 सितंबर को रूस के अमूर क्षेत्र में वोस्तोच्नी कोस्मोड्रोम (एक प्रमुख रूसी अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण केंद्र) में भेंट की।

4th Media के प्रधान संपादक, सिंघुआ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. कियुल चुंग ने Sputnik को कहा, "रूस के वोस्तोच्नी कोस्मोड्रोम में आज का ऐतिहासिक 2023 डीपीआरके-रूस शिखर सम्मेलन सबसे महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक घटनाओं में से एक है।"

उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, "सम्मेलन 21वीं शताब्दी के साम्राज्यवाद-विरोधी और स्व-निर्धारित बहुध्रुवीय दुनिया के आगमन का उत्कर्ष है।" प्रोफ़ेसर के अनुसार, रूस के कोस्मोड्रोम पर बैठक आयोजित करने का विचार पश्चिम के विरोध के बावजूद अंतरिक्ष अन्वेषण और अन्य उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में दोनों देशों के भविष्य के सहयोग का प्रतीक है।
विशेषज्ञ ने आगे कहा, "डीपीआरके और रूस दोनों पहले से ही ध्वस्त 'पांच शताब्दी लंबी पश्चिम-प्रभुत्व वाली एकध्रुवीय शक्ति' से सभी प्रकार के संकटों का सामना कर रहे हैं।”

रूस और उत्तर कोरिया: रणनीतिक दीर्घकालिक सहयोग

व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि किम जोंग उन के साथ उनकी भेंटवार्ता "एक विशेष समय पर" हो रही है: हाल ही में डीपीआरके ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाया। वहीं, किम ने रूस की यात्रा के निमंत्रण के लिए पुतिन को धन्यवाद दिया और इस बात पर बल दिया कि मास्को के साथ संबंध प्योंगयांग की "प्राथमिकता" है। उत्तर कोरियाई नेता ने अपनी रूस की यात्रा को रणनीतिक संबंधों के महत्व का प्रदर्शन बताया।

किम ने कहा, "मैंने अभी पुतिन के साथ कोरियाई प्रायद्वीप और यूरोप में सैन्य-राजनीतिक स्थिति पर गहराई से चर्चा की। हम रणनीतिक और सामरिक सहयोग को और प्रबल करने पर सहमत हुए”।

बैठक के दौरान किम ने यूक्रेन के गैर-फ़ौजीकरण और गैर-नाजीकरण के उद्देश्य से मास्को द्वारा चलाए जा रहे विशेष सैन्य अभियान का समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर बल देकर कहा, "डीपीआरके साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ाई में सदैव रूस के साथ था और रहेगा”। डीपीआरके के शासक ने आगे कहा कि वे और उनके रूसी समकक्ष मास्को और प्योंगयांग के मध्य "स्थिर, भविष्योन्मुखी और दीर्घकालिक संबंध" बनाएंगे।
दोनों देशों के मध्य सहयोग शीत युद्ध युग के प्रारंभिक वर्षों में ही आरंभ हुआ था। सोवियत और उत्तर कोरियाई सेनाओं ने मिलकर कोरियाई युद्ध (1950-1953) के दौरान अमेरिकी हस्तक्षेप के विरुद्ध डीपीआरके की स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा की। जब सैन्य कार्रवाइयां समाप्त हो गईं, तो सोवियत संघ ने प्योंगयांग को देश की अर्थव्यवस्था को बहाल करने में सहायता की।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि वर्तमान में डीपीआरके विमानन, परिवहन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में रूस के साथ सहयोग करने में रुचि रखता है। इसके अतिरिक्त , पुतिन ने ऐसे संकेत दिए कि रूस-उत्तर कोरिया सैन्य-तकनीकी सहयोग भी विचाराधीन है।
डॉ. चुंग के अनुसार, "किम-पुतिन शिखर सम्मेलन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य अमेरिका के नेतृत्व वाले आत्मघाती परमाणु युद्ध खेलों के प्रयासों को रोकना है, विशेषतः कोरियाई प्रायद्वीप और यूक्रेन जैसे क्षेत्रों में।"
इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञ ने कहा, शिखर सम्मेलन खुलेआम अमेरिका सहित पश्चिमी देशों द्वारा चलाए जा रहे अवैध प्रतिबंध अभियान को झटका दिया है।

डॉ. चुंग ने कहा, "रूस में आज का शिखर सम्मेलन में (…) दशकों से चले आ रहे अवैध आर्थिक प्रतिबंधों की निंदा, अवहेलना और पूर्ण अस्वीकृति है। ज्ञात हुआ है कि डीपीआरके के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को लेकर रूस डीपीआरके के साथ आर्थिक सहयोग को प्रबल करके इस [प्रतिबंध] अभियान को समाप्त करने की मंशा रखता है”।

किम-पुतिन बैठक को लेकर पश्चिमी मीडिया बेचैन

किम-पुतिन की बैठक वरिष्ठ पश्चिमी मीडिया की सुर्खियों में आई। मीडिया ने दो नेताओं के शिखर सम्मेलन पर बेचैनी व्यक्त की है। अनुमान है कि रूसी और उत्तर कोरियाई नेताओं ने हथियार सौदे पर चर्चा की। अमेरिकी और ब्रिटिश पत्रकारों ने इस व्यापारिक अनुबंध पर अपनी-अपनी सरकार का असंतोष जताया।
अमेरिकी मीडिया ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा है कि प्योंगयांग को ऐसी तकनीक प्राप्त हो सकती है जो उत्तर कोरिया की सैटेलाइट और परमाणु-संचालित पनडुब्बी क्षमताओं को बढ़ा सकती है।
वहीं, क्रेमलिन के प्रवक्ता पेसकोव ने बुधवार को कहा कि रूस और डीपीआरके दोनों देशों के लोगों के कल्याण के लिए सहयोग कर रहे हैं, किसी के विरुद्ध नहीं; द्विपक्षीय संबंध तीसरे देशों के लिए चिंता का विषय नहीं होने चाहिए।

पेसकोव ने बल देकर कहा, "अन्य सभी मुद्दे मात्र हमारे दो संप्रभु देशों से संबंधित हैं, और तीसरे राज्यों के लिए चिंता का विषय नहीं होने चाहिए। हमारा सहयोग हमारे दोनों देशों के लोगों की भलाई के लिए है, लेकिन किसी के विरुद्ध नहीं।"

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