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महिला आरक्षण बिल लोक सभा में पारित, अब राज्यसभा में अग्निपरीक्षा के लिए तैयार

संसद का विशेष सत्र के दौरान नई भवन में अपना कार्य आरंभ करके भारत के विधायी इतिहास में एक नया अध्याय आरंभ करने के अतिरिक्त, महिला आरक्षण विधेयक बुधवार को लोक सभा में लगभग सर्वसम्मति से पारित किया गया। विधेयक के पक्ष में 454 वोट मिले जबकि विरोध में दो वोट पड़े।
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निचले सदन यानी लोक सभा में विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं पार्टी लाइनों से परे उन सांसदों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विधेयक के समर्थन में मतदान किया।"
ऐतिहासिक विधेयक, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा जाता है, अब शेष सत्र के लिए पारित कराने के लिए राज्यसभा में रखा जाएगा। संविधान विधेयक (128वां संशोधन) के एक भाग के रूप में, इसे आधे राज्य विधानसभाओं से अनुमोदन की आवश्यकता हो सकती है।
इस मध्य, केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ देने के लिए जानी जाने वाली बीजू जनता दल (बीजेडी) ने अपने राज्यसभा सांसदों को गुरुवार को सदन में उपस्थित रहने और विधेयक के पारित होने का समर्थन करने के लिए तीन-लाइन व्हिप जारी किया है।
ज्ञात है कि विधेयक पर बुधवार को लोक सभा में दिन भर चली बहस में कांग्रेस और भाजपा के मध्य श्रेय की लड़ाई देखी गई कि ऐतिहासिक विधेयक लाने के लिए किसे मान्यता दी जानी चाहिए। विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ही इसके कार्यान्वयन और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) महिलाओं के लिए अलग कोटा सम्मिलित करने की बहस में लगे हुए थे।
बता दें कि विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों में महिला प्रतिनिधियों के लिए एक तिहाई यानी 33% आरक्षण का प्रस्ताव है। आरक्षण लागू होने के दिन से 15 वर्षों तक लागू रहेगा, आवश्यकता पड़ने पर संसद द्वारा अवधि बढ़ाने का प्रावधान होगा।
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