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संसद का सत्र सोमवार से शुरू, राजनीतिक पार्टियों ने की महिला कोटा बिल की मांग
संसद का सत्र सोमवार से शुरू, राजनीतिक पार्टियों ने की महिला कोटा बिल की मांग
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि बैठक में 34 दलों के 51 नेता मौजूद थे और सत्र सोमवार को मौजूदा संसद भवन में शुरू होगा और उसके बाद मंगलवार से नए भवन में चला जाएगा।
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सोमवार से शुरू हो रहे संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाने के लिए राजनीतिक दलों में लगभग एकमत होने की संभावना है, सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष की पार्टियों ने महिला आरक्षण बिल लाने पर जोर दिया, भारतीय मीडिया ने कहा। महिला आरक्षण विधेयक की मांग तृणमूल के डेरेक ओ'ब्रायन ने उठाई थी और समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) सहित कुछ दलों को छोड़कर लगभग सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। जेएमएम प्रस्तावित विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए इस आरक्षण के भीतर आरक्षण की मांग कर रहे थे।दरअसल महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई आरक्षित करने का प्रावधान करता है।इस बीच भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ''हम सरकार से अपील करते हैं कि वे इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करें।'' वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि "सरकार ने उन्हें सूचित किया है कि यह संसद का नियमित सत्र है। केवल सरकार ही जानती है कि उसका इरादा क्या है। वे कुछ नए एजेंडे से सभी को आश्चर्यचकित कर सकती है।"लगभग तीन दशकों से लंबित महिला आरक्षण विधेयककरीब 27 वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि लोक सभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है।महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, जो लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रस्ताव करता है, मार्च 2010 में इस मुद्दे पर आखिरी ठोस घटनाक्रम हुआ था जब राज्य सभा ने हंगामे के बीच विधेयक को पारित कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के कदम का विरोध किया था, लेकिन यह विधेयक लोक सभा में पारित नहीं हो पाने के कारण रद्द हो गया।
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संसद का सत्र सोमवार से शुरू, राजनीतिक पार्टियों ने की महिला कोटा बिल की मांग
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भारतीय संसद का विशेष सत्र सोमवार को मौजूदा संसद भवन में शुरू हुआ और मंगलवार से नए भवन में चला जाएगा, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा।
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाने के लिए राजनीतिक दलों में लगभग एकमत होने की संभावना है, सत्र की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष की पार्टियों ने महिला आरक्षण बिल लाने पर जोर दिया, भारतीय मीडिया ने कहा।
महिला आरक्षण विधेयक की मांग तृणमूल के डेरेक ओ'ब्रायन ने उठाई थी और समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) सहित कुछ दलों को छोड़कर लगभग सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। जेएमएम प्रस्तावित विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की
महिलाओं के लिए इस आरक्षण के भीतर
आरक्षण की मांग कर रहे थे।
"सर्वदलीय बैठक में महिला आरक्षण विधेयक पर लगभग सर्वसम्मति थी और यह एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है," बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए बीजू जनता दल (BJD) के नेता पिनाकी मिश्रा ने कहा।
दरअसल महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई
आरक्षित करने का प्रावधान करता है।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ''हम सरकार से अपील करते हैं कि वे इसी संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करें।''
वहीं कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने संवाददाताओं से कहा कि "सरकार ने उन्हें सूचित किया है कि यह संसद का नियमित सत्र है। केवल सरकार ही जानती है कि उसका इरादा क्या है। वे कुछ नए एजेंडे से सभी को आश्चर्यचकित कर सकती है।"
लगभग तीन दशकों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक
करीब 27 वर्षों से लंबित
महिला आरक्षण विधेयक पर नए सिरे से जोर दिए जाने के बीच आंकड़ों से पता चलता है कि लोक सभा में महिला सांसदों की संख्या 15 प्रतिशत से कम है, जबकि कई राज्य विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम है।
महिला आरक्षण विधेयक या संविधान (108वां संशोधन) विधेयक, जो
लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रस्ताव करता है, मार्च 2010 में इस मुद्दे पर आखिरी ठोस घटनाक्रम हुआ था जब राज्य सभा ने हंगामे के बीच विधेयक को पारित कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने लोक सभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के कदम का विरोध किया था, लेकिन यह विधेयक
लोक सभा में पारित नहीं हो पाने के कारण रद्द हो गया।