भारत और कनाडा के मध्य चल रहे विवाद में एक बात सामने खुलकर आ गई कि कनाडा खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए सुरक्षित शरणस्थान है।
कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों ने साल 1985 में एयर इंडिया कनिष्क बम विस्फोट को अंजाम दिया था जो कनाडाई लोगों पर सबसे भयानक आतंकी आक्रमण था जिसमें 329 लोग मारे गए। इस आक्रमण के मुख्य आरोपी तलविंदर सिंह परमार को कनाडा ने भारत को सौंपने से मना कर दिया था।
"कनाडा का इतिहास नाजियों के साथ वास्तव में काला रहा है," मिलर ने बुधवार को कहा कि कनाडा देश में नाजी युद्ध अपराधियों की उपस्थिति के बारे में दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के लिए कॉल पर दोबारा विचार कर सकता है,"द कैनेडियन प्रेस ने आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर के हवाले से कहा।
द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के उपरांत, लाखों यहूदियों की मृत्यु और पीड़ा के लिए दोषी ठहराए गए हिटलर के नाजी युद्ध अपराधियों और षड्यंत्रकारियों ने कनाडा और यूरोप के साथ अमेरिका जैसे देशों में शरण ली जिसमें कभी कभी वहां की सरकारों ने भी सहायता की।
यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका जो विश्व भर में नाजी विरोधी होने का दम भरते हैं उन्होंने भी नाजी युद्ध अपराधियों को अपने अपने देश में बसाने में बहुत सहायता की है।
कैसे अमेरिका ने की नाजी अपराधियों की सहायता?
अमेरिका ने 1945 में तकनीकी उन्नति चाहने वाले नाजी जर्मनी के इंजीनियरों, डॉक्टरों, भौतिकविदों और रसायनज्ञों की भर्ती के लिए एक गुप्त कार्यक्रम प्रारंभ किया और इसका प्रकटीकरण अमेरिकी मीडिया के खोजी पत्रकार एरिक लिक्टब्लाऊ ने किया कि कैसे हजारों नाज़ी प्रायः अमेरिकी खुफिया अधिकारियों की सहायता से अमेरिका में बसने में सफल रहे।
लिक्टब्लाऊ ने अपनी किताब 'द नाज़िस नेक्स्ट डोर' के जरिए लिखा कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने नाजियों की सहायता की क्योंकि अधिकारी नाजियों का इस्तेमाल सोवियत संघ के विरुद्ध जासूसों के रूप में प्रयोग करना चाहते थे। उन्होंने आगे बताया कि CIA अधिकारियों ने सभी नाजियों के दस्तावेजों को स्पष्ट कर दिया जिससे उनके द्वारा किए गए सभी अत्याचारों का रिकार्ड भी मिट गया और जिसके बाद सभी नाजियों का अमेरिका में आना सुरक्षित किया गया।
वहीं स्मिथसोनियन मैगजीन में छपी एक रिपोर्ट मे बताया गया कि अमेरिका ने ऑपरेशन पेपरक्लिप चलाया जिसके अंतर्गत नाजी जर्मनी के 88 वैज्ञानिकों के नाजी संबंध होने के बाद भी अमेरिका में सोवियत संघ के विरुद्ध शीत युद्ध में महत्वपूर्ण मानते हुए भर्ती किया गया था।