"वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर जो आतंकवाद की समस्या या राष्ट्रों के मध्य आपसी प्रतिद्वंदिता जो देख रहे हैं उसको समाप्त करने के लिए गाँधी के विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। गांधी कहते थे कि हिंसा के हजारों विकल्प हैं परंतु अहिंसा का कोई भी विकल्प नहीं है। गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को मानकर ही विकास के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। हिंसावादी सिद्धांत को अपनाने से देश विकास के दौर में पीछे छूट जायेगा। इसलिए भारत बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान निकालने की बात कर रहा है। जिस दिन देश गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को त्याग देगा, भारत जो विकासशील से विकसित देश बनने की प्रक्रिया में है उसी दिन वहीं पर रूक जाएगा," प्रो. सिंह ने Sputnik India को बताया।
"आज के वैश्विक संदर्भ में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए, पर्यावरण की समस्या के समाधान के लिए गाँधी के सिद्धांतों पर चलना बहुत आवश्यक है। गांधी कहते हैं कि प्रकृति के पास हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सारे संसाधन हैं, किन्तु हमारे लालच को पूरा करने के लिए नहीं हैं। आज व्यक्ति का उद्देश्य है वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का नहीं है बल्कि अपनी लालच को पूरा करने में लगा हुआ है। यदि मानव समाज गाँधी के सिद्धांत को अपनाकर संयमित जीवन जीना प्रारंभ कर दे, जितना हमें आवश्यकता है उतना प्रयोग करने लगे तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा," सिंह ने कहा।