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क्या महात्मा गांधी की शिक्षाएं वर्तमान विश्व में प्रासंगिक हैं? जानिए विशेषज्ञ की राय
क्या महात्मा गांधी की शिक्षाएं वर्तमान विश्व में प्रासंगिक हैं? जानिए विशेषज्ञ की राय
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भारत की आजादी के लिए अपनी अहिंसक लड़ाई के लिए न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर महात्मा गांधी की आज की दुनिया में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर सवाल उठाए जाते हैं।
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वर्तमान समय की बात करें तो, विश्व की समस्याएं आंतरिक झगड़ों और मामलों तक ही सीमित नहीं हैं, अपितु सीमा विवाद, पर्यावरणीय समस्याओं, परमाणु विषयों या मानवता के गहराता नैतिक संकट आदि जैसे मुद्दों तक विस्तृत हैं। हम एक ऐसे विश्व में रह रहे हैं जो दिन प्रतिदिन वैश्विक अशांति, भय, क्रोध, घृणा, असंतोष, निराशा, अनैतिकता से विभाजित होता जा रहा है।चूंकि गांधी की हत्या कर दी गई थी और भारत और विदेश में इस बात पर हर प्रकार की चर्चा होती रही है कि गांधी मानवता के लिए क्या छोड़ गए और क्या उनकी शिक्षाएं समय की कसौटी पर खरी उतरेंगी। ऐसे में Sputnik India ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर अभिषेक सिंह से बात की।विशेषज्ञ ने कहा कि "गांधी के विचार सत्य और अहिंसा को जिस रूप में अपनाना चाहिए था, वास्तव उस विचार को विश्व ने नहीं अपनाया है। गांधी के जो सिद्धांत थे आज उन्हीं को अपनाने की आवश्यकता है।"दुनिया ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी के बोझ तले झूल रही है। संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया ने सतत विकास के गांधीवादी विचार को मान्यता दी है और हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) मुख्यालय में गांधी सोलर पार्क का उद्घाटन इसका प्रमाण है। संयुक्त राष्ट्र के सभी जलवायु समझौतों, पर्यावरण संरक्षण संधियों और सतत विकास लक्ष्यों के पीछे गांधीवादी दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता प्रेरक दर्शन के रूप में कार्य करता है।'पृथ्वी के पास मानव की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त है, लेकिन मानव के लालच के लिए नहीं, ' महात्मा गांधी की ये पंक्तियां दर्शाती हैं कि कैसे मानव व्यवहार प्रकृति को नष्ट कर देता है और जीवन जीने का एक स्थायी तरीका समय की मांग है। ट्रस्टीशिप का गांधीवादी विचार वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिक है क्योंकि लोग भव्य जीवन शैली जीते हैं और भावी पीढ़ियों को ऋणी बनाकर संसाधनों को नष्ट कर देते हैं।साथ ही शिक्षाविद ने रेखांकित किया कि, इस समय विश्व के पास गांधी के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। यही कारण है कि नेल्सन मंडेला ने कहा था कि गांधी आज आवश्यकता है, अगर मानवता को प्रगति करनी है तो हमें गाँधी के सिद्धांतों को अपनाना पड़ेगा। शांति और सद्भाव की दुनिया विकसित करने के लिए हमें गाँधी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी होगी और अगर आप गांधी के सिद्धांतों की उपेक्षा करते हैं तो अपने जोखिम पर करेंगे।यही कारण है कि गांधीजी की विचारधाराएं इतने वर्षों के बाद आज भी भारत और विश्व को प्रबुद्ध करती हैं। यही कारण है कि वैश्विक शक्ति बनने के लिए भारत को गांधीवादी विचारधारा को नमन करते हुए गांधी के बताए मार्ग पर चलना होगा।
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क्या महात्मा गांधी की शिक्षाएं वर्तमान विश्व में प्रासंगिक हैं? जानिए विशेषज्ञ की राय
महात्मा गांधी भारत की आजादी के लिए अपनी अहिंसक लड़ाई के लिए न केवल भारत में अपितु पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। आज की दुनिया में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर प्रश्न उठाए जाते हैं।
वर्तमान समय की बात करें तो, विश्व की समस्याएं आंतरिक झगड़ों और मामलों तक ही सीमित नहीं हैं, अपितु सीमा विवाद, पर्यावरणीय समस्याओं, परमाणु विषयों या मानवता के गहराता नैतिक संकट आदि जैसे मुद्दों तक विस्तृत हैं। हम एक ऐसे विश्व में रह रहे हैं जो दिन प्रतिदिन वैश्विक अशांति, भय, क्रोध, घृणा, असंतोष, निराशा, अनैतिकता से विभाजित होता जा रहा है।
गांधीवाद का एक प्रमुख घटक गांधीजी की अहिंसा है जो ब्रिटिश राज के विरुद्ध भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके द्वारा प्रयोग किया गया महान हथियार था। प्रायः लोग कहते हैं कि अहिंसा दुर्बलों का हथियार है, लेकिन वास्तव में अहिंसा और सहिष्णुता के लिए बड़े स्तर के साहस और धैर्य की आवश्यकता होती है। आतंकवाद के संकट के कारण हिंसा और भू-राजनीति तनाव के दौर से जूझ रही दुनिया में, पिछले दिनों की तुलना में वर्तमान समय में अहिंसा के गांधीवादी विचार की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
चूंकि गांधी की हत्या कर दी गई थी और भारत और विदेश में इस बात पर हर प्रकार की चर्चा होती रही है कि गांधी मानवता के लिए क्या छोड़ गए और क्या उनकी शिक्षाएं समय की कसौटी पर खरी उतरेंगी। ऐसे में Sputnik India ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग में सहायक प्रोफेसर अभिषेक सिंह से बात की।
विशेषज्ञ ने कहा कि "गांधी के विचार सत्य और अहिंसा को जिस रूप में अपनाना चाहिए था, वास्तव उस विचार को विश्व ने नहीं अपनाया है। गांधी के जो सिद्धांत थे आज उन्हीं को अपनाने की आवश्यकता है।"
"वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर जो आतंकवाद की समस्या या राष्ट्रों के मध्य आपसी प्रतिद्वंदिता जो देख रहे हैं उसको समाप्त करने के लिए गाँधी के विचारों को अपनाने की आवश्यकता है। गांधी कहते थे कि हिंसा के हजारों विकल्प हैं परंतु अहिंसा का कोई भी विकल्प नहीं है। गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को मानकर ही विकास के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। हिंसावादी सिद्धांत को अपनाने से देश विकास के दौर में पीछे छूट जायेगा। इसलिए भारत बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान निकालने की बात कर रहा है। जिस दिन देश गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को त्याग देगा, भारत जो विकासशील से विकसित देश बनने की प्रक्रिया में है उसी दिन वहीं पर रूक जाएगा," प्रो. सिंह ने Sputnik India को बताया।
दुनिया ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी के बोझ तले झूल रही है। संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया ने सतत विकास के गांधीवादी विचार को मान्यता दी है और हाल ही में
संयुक्त राष्ट्र (UN) मुख्यालय में गांधी सोलर पार्क का उद्घाटन इसका प्रमाण है। संयुक्त राष्ट्र के सभी जलवायु समझौतों, पर्यावरण संरक्षण संधियों और सतत विकास लक्ष्यों के पीछे गांधीवादी दृष्टिकोण आत्मनिर्भरता प्रेरक दर्शन के रूप में कार्य करता है।
'पृथ्वी के पास मानव की आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त है, लेकिन मानव के लालच के लिए नहीं, ' महात्मा गांधी की ये पंक्तियां दर्शाती हैं कि कैसे मानव व्यवहार प्रकृति को नष्ट कर देता है और जीवन जीने का एक स्थायी तरीका समय की मांग है। ट्रस्टीशिप का गांधीवादी विचार वर्तमान परिदृश्य में प्रासंगिक है क्योंकि लोग भव्य जीवन शैली जीते हैं और भावी पीढ़ियों को ऋणी बनाकर संसाधनों को नष्ट कर देते हैं।
"आज के वैश्विक संदर्भ में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए, पर्यावरण की समस्या के समाधान के लिए गाँधी के सिद्धांतों पर चलना बहुत आवश्यक है। गांधी कहते हैं कि प्रकृति के पास हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सारे संसाधन हैं, किन्तु हमारे लालच को पूरा करने के लिए नहीं हैं। आज व्यक्ति का उद्देश्य है वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का नहीं है बल्कि अपनी लालच को पूरा करने में लगा हुआ है। यदि मानव समाज गाँधी के सिद्धांत को अपनाकर संयमित जीवन जीना प्रारंभ कर दे, जितना हमें आवश्यकता है उतना प्रयोग करने लगे तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा," सिंह ने कहा।
साथ ही शिक्षाविद ने रेखांकित किया कि, इस समय विश्व के पास गांधी के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। यही कारण है कि
नेल्सन मंडेला ने कहा था कि गांधी आज आवश्यकता है, अगर मानवता को प्रगति करनी है तो हमें गाँधी के सिद्धांतों को अपनाना पड़ेगा।
शांति और सद्भाव की दुनिया विकसित करने के लिए हमें गाँधी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी होगी और अगर आप गांधी के सिद्धांतों की उपेक्षा करते हैं तो अपने जोखिम पर करेंगे।
यही कारण है कि गांधीजी की विचारधाराएं इतने वर्षों के बाद आज भी भारत और विश्व को प्रबुद्ध करती हैं। यही कारण है कि वैश्विक शक्ति बनने के लिए भारत को गांधीवादी विचारधारा को नमन करते हुए गांधी के बताए मार्ग पर चलना होगा।