इस स्थिति से परिचित एक अधिकारी के मुताबिक ब्रह्मोस मिसाइल का यह परीक्षण इंडक्शन ट्रायल का हिस्सा था और मिसाइल को अभी तक सेना में शामिल नहीं किया गया है।
"भारतीय सेना में शामिल किए जाने से पहले मिसाइल को अतिरिक्त परीक्षणों से गुजरना होगा। भारतीय सेना परीक्षण के परिणामों के आधार पर इसे शामिल करने पर विचार करेगी," सेना के अधिकारी ने कहा।
दरअसल ब्रह्मोस ईआर को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया गया है, जो रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया (NPO मैश) और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
ब्रह्मोस ईआर इसके बुनियादी विन्यास का एक उन्नत संस्करण है। मिसाइल का कंफिगरेशन और समग्र आयाम बेसलाइन संस्करण से अपरिवर्तित रहता है लेकिन नई रेंज वाली मिसाइल में राडार को धोखा देने की सुविधा होने की संभावना है। मिसाइल एक तरल प्रणोदक रैमजेट मोटर द्वारा संचालित है।
गौरतलब है कि मीडिया के अनुसार विस्तारित संस्करण की सीमा 290 किमी की बेसलाइन संस्करण सीमा से लगभग 72% (450 और 500 किमी के बीच) अधिक होगी।