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भारत के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं?
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Sputnik भारत
संयुक्त भारत-रूस उद्यम द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया में सबसे तेज़, सटीक-निर्देशित गोला-बारूद माना जाता है। Sputnik ने पता लगाया कि भारत के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं।
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ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो भारत के पारंपरिक मिसाइलों के भंडार का आधार है।इस मिसाइल ने हाल ही के दिनों में जनता का ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि भारतीय प्रतिद्वंद्वी इस उत्कृष्ट हथियार का अध्ययन करने की अधीर प्रयास कर रहे हैं, यहां तक कि जासूसों की सहायता भी ले रहे हैं।भारत की ब्रह्मोस मिसाइल में क्या है खास?दो सप्ताह हए महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया था, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में कार्यरत थे। वैज्ञानिक पर पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी को मिसाइल के बारे में गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप लगाया गया था।मामले की जांच से पता चला है कि प्रदीप कुरुलकर नाम के डीआरडीओ वैज्ञानिक को कथित तौर पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस गुप्त सेवा के एक जासूस ने हनीट्रैप में फंसाया था।यह विषय तरह-तरह से मीडिया की सुर्खियों में आया। यही कारण है कि लोगों द्वारा भारत के ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में Google खोज कई गुना बढ़ गई है।Sputnik ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत में संचालित/ परीक्षण की जा रही ब्रह्मोस मिसाइलों की कुल संख्या के पीछे के रहस्य का खुलासा करने का प्रयास किया है।भारत के पास सेवा में कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं?नई दिल्ली ने आधिकारिक स्तर पर कभी भी ब्रह्मोस मिसाइलों के सटीक आंकड़ों के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। ब्रह्मोस मिसाइल उसकी तीन सेनाओं द्वारा सेवा में सम्मिलित किया गया है। ये सेनाएं-अक्टूबर 2020 में एक भारतीय रक्षा प्रकाशन ने एक चीनी दावे के माध्यम से बताया कि ब्रह्मोस मिसाइलों की संख्या 14,000 है।यह रिपोर्ट लद्दाख में चीन-भारत सीमा गतिरोध के महीनों बाद आई थी, जहां नई दिल्ली ने कथित तौर पर ब्रह्मोस मिसाइलें नियुक्ति की थीं। लेकिन कई रक्षा पंडितों ने ऐसे आंकड़ों को बहुत दूर की कौड़ी बताया है।2020 में 18 Su-30MKI लड़ाकू विमानों के एक स्क्वाड्रन को ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित किया गया था। बाद में रिपोर्टों से पता चला कि आईएएफ निर्माता ब्रह्मोस एयरोस्पेस से 200 मिसाइलें खरीदने की योजना बनाई।इसके साथ-साथ भारतीय वायु सेना ने अगली पीढ़ी के 400 ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-NG) मिसाइलें खरीदने की इच्छा जताई है।साथ ही मार्च 2023 में भारतीय नौसेना ने 2.5 अरब डॉलर के सौदे में 200 ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर दिया।उसी महीने देश की ब्लू-वॉटर फोर्स ने घोषणा की कि वह मिसाइल की लंबी दूरी की समुद्री मोबाइल तटीय बैटरी के अगली पीढ़ी के मॉडल (NGMMCB LR) का अधिग्रहण करेगी।हालाँकि भारतीय नौसेना ने यह नहीं बताया कि इस संस्करण की कितनी मिसाइलें प्राप्त की जाएंगी, लेकिन परियोजना की लागत 212 मिलियन डॉलर आंकी गई है।भारत की वायु और समुद्री सेना की तरह भारतीय थलसेना भी ब्रह्मोस मिसाइल का संचालन करती है। मिसाइल के ज़मीन से मार करने वाले संस्करण को 2007 में भारत की थलसेना में सम्मिलित किया गया था।2018 में तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में एक कार्यक्रम के दौरान खुलासा किया था कि भारतीय थलसेना ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियों की पांच रेजिमेंटों का संचालन कर रही थी। एक रेजिमेंट में आम स्तर पर 65 मिसाइलें होती हैं।
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भारत के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं?
संयुक्त भारत-रूस उद्यम द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल को विश्व में सबसे तेज़, सटीक-निर्देशित अस्र माना जाता है। Sputnik ने पता लगाया कि भारत के पास कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं।
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो भारत के
पारंपरिक मिसाइलों के भंडार का आधार है।
इस मिसाइल ने हाल ही के दिनों में जनता का ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि भारतीय प्रतिद्वंद्वी इस उत्कृष्ट हथियार का अध्ययन करने की अधीर प्रयास कर रहे हैं, यहां तक कि जासूसों की सहायता भी ले रहे हैं।
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल में क्या है खास?
दो सप्ताह हए महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े एक वरिष्ठ वैज्ञानिक को गिरफ्तार किया था, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में कार्यरत थे। वैज्ञानिक पर पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी को मिसाइल के बारे में गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप लगाया गया था।
मामले की जांच से पता चला है कि प्रदीप कुरुलकर नाम के डीआरडीओ वैज्ञानिक को कथित तौर पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस गुप्त सेवा के एक जासूस ने हनीट्रैप में फंसाया था।
यह विषय तरह-तरह से मीडिया की सुर्खियों में आया। यही कारण है कि लोगों द्वारा भारत के ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में Google खोज कई गुना बढ़ गई है।
Sputnik ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र भारत में संचालित/ परीक्षण की जा रही ब्रह्मोस मिसाइलों की कुल संख्या के पीछे के रहस्य का खुलासा करने का प्रयास किया है।
भारत के पास सेवा में कितनी ब्रह्मोस मिसाइलें हैं?
नई दिल्ली ने आधिकारिक स्तर पर कभी भी ब्रह्मोस मिसाइलों के सटीक आंकड़ों के बारे में कोई बयान नहीं दिया है। ब्रह्मोस मिसाइल उसकी
तीन सेनाओं द्वारा सेवा में सम्मिलित किया गया है। ये सेनाएं-
भारतीय वायु सेना (आईएएफ),
अक्टूबर 2020 में एक भारतीय रक्षा प्रकाशन ने एक चीनी दावे के माध्यम से बताया कि ब्रह्मोस मिसाइलों की संख्या 14,000 है।
यह रिपोर्ट लद्दाख में चीन-भारत सीमा गतिरोध के महीनों बाद आई थी, जहां नई दिल्ली ने कथित तौर पर ब्रह्मोस मिसाइलें नियुक्ति की थीं। लेकिन कई रक्षा पंडितों ने ऐसे आंकड़ों को बहुत दूर की कौड़ी बताया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय वायु सेना ने 2012 में 200 ब्रह्मोस मिसाइलों (वायु-प्रक्षेपित संस्करण) के लिए ऑर्डर दिया था, अधिग्रहण का मूल्य लगभग 1 अरब डॉलर था।
2020 में 18 Su-30MKI लड़ाकू विमानों के एक स्क्वाड्रन को ब्रह्मोस मिसाइलों से सुसज्जित किया गया था। बाद में रिपोर्टों से पता चला कि आईएएफ निर्माता ब्रह्मोस एयरोस्पेस से 200 मिसाइलें खरीदने की योजना बनाई।
इसके साथ-साथ भारतीय वायु सेना ने अगली पीढ़ी के 400
ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-NG) मिसाइलें खरीदने की इच्छा जताई है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के निर्यात निदेशक प्रवीण पाठक के एक बयान के अनुसार ब्रह्मोस-एनजी के डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया गया है और इस संस्करण का निर्माण 2023 के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में प्रारंभ होने वाला है।
साथ ही मार्च 2023 में भारतीय नौसेना ने 2.5 अरब डॉलर के सौदे में 200 ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर दिया।
उसी महीने देश की ब्लू-वॉटर फोर्स ने घोषणा की कि वह मिसाइल की लंबी दूरी की समुद्री मोबाइल तटीय बैटरी के अगली पीढ़ी के मॉडल (NGMMCB LR) का अधिग्रहण करेगी।
हालाँकि भारतीय नौसेना ने यह नहीं बताया कि इस संस्करण की कितनी मिसाइलें प्राप्त की जाएंगी, लेकिन परियोजना की लागत 212 मिलियन डॉलर आंकी गई है।
भारत की वायु और समुद्री सेना की तरह भारतीय थलसेना भी ब्रह्मोस मिसाइल का संचालन करती है। मिसाइल के ज़मीन से मार करने वाले संस्करण को 2007 में भारत की थलसेना में सम्मिलित किया गया था।
2018 में तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर में एक कार्यक्रम के दौरान खुलासा किया था कि भारतीय थलसेना ब्रह्मोस मिसाइल प्रणालियों की पांच रेजिमेंटों का संचालन कर रही थी। एक रेजिमेंट में आम स्तर पर 65 मिसाइलें होती हैं।