जयशंकर ने भोपाल में एक कार्यक्रम में भारत के विभिन्न विदेशी मामलों के रुख के बारे में बताया और कहा कि जिस तरह घर में सुशासन जरूरी है, उसी तरह विदेश में भी सही निर्णय जरूरी है।
उनके अनुसार, यही कारण है कि भारत ने रूस से तेल खरीदने के अपने अधिकार के बारे में कड़ा रुख अपनाया है।
"जब हर देश अपने लोगों के कल्याण और अपने आर्थिक हितों का ध्यान रखता है, यूरोप के देश कहते हैं कि रूस से तेल मत खरीदो। वे खुद इसे ले रहे थे और और खुद उन्होंने अपना एक ऐसा शेड्यूल बनाया ताकि उनके अपने लोगों पर कम प्रभाव पड़े,'' जयशंकर ने कहा।
यह पहला उदाहरण नहीं है जब जयशंकर ने पश्चिम की दोहरी नीति पर कटाक्ष किया है। इससे पहले भी उन्होंने यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा रियायती कीमतों पर रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर बयानबाजी की कड़े शब्दों में आलोचना की थी।
गौरतलब है कि भारत ने सितंबर महीने में लगभग 1.55 मिलियन बैरल प्रतिदिन (BPD) रूसी तेल का आयात किया, जो अगस्त से 16 प्रतिशत अधिक है।
बता दें कि पिछले साल फरवरी में यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने और रूस से खरीदारी बंद करने के बाद भारतीय रिफाइनर कंपनियों ने भारी मात्रा में रूसी तेल की ख़रीद करना शुरू किया था।
भारत की नंबर 1 तेल कंपनी, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन के अनुसार, भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात विश्व अर्थव्यवस्था के लिए एक जीत की स्थिति है।