यूक्रेन में विशेष अभियान से पहले रूस भारत को कच्चे तेल का सीमांत आपूर्तिकर्ता हुआ करता था, अप्रैल-सितंबर में नई दिल्ली के लिए तेल का सबसे बड़ा स्रोत था। यह भारत के कुल तेल आयात मात्रा के हिसाब से लगभग 39 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से लगभग 36 प्रतिशत है।
दरअसल भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और अपनी 85% से अधिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। मूल्य के हिसाब से भी भारत के व्यापारिक आयात की सूची में कच्चा तेल सबसे ऊपर है।
फरवरी 2022 में यूक्रेन में विशेष अभियान के मद्देनजर पश्चिमी खरीदारों द्वारा रूस से तेल आयात में कटौती के साथ, मास्को ने अपने कच्चे तेल पर भारी छूट की पेशकश शुरू कर दी। भारतीय रिफाइनर इन रियायती बैरलों का लाभ उठा रहे हैं, जिससे रूस नई दिल्ली के तेल आपूर्तिकर्ताओं में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया है।
मीडिया द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि अगर भारतीय रिफाइनर रूसी तेल के लिए अन्य सभी आपूर्तिकर्ताओं से कच्चे तेल के लिए भुगतान की गई औसत प्रति बैरल कीमत के बराबर भुगतान करते, तो तेल आयात बिल 67.14 बिलियन डॉलर होता। इस अवधि में रूस से तेल आयात का मूल्य 22.84 अरब डॉलर था।
वहीं मात्रा के हिसाब से, भारत ने अप्रैल-सितंबर में कुल 817.35 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात किया, जिसमें से रूसी तेल का आयात 4317.96 मिलियन बैरल रहा।
विश्लेषण के अनुसार, अप्रैल-सितंबर की अवधि के लिए भारतीय रिफाइनर्स के लिए रूसी कच्चे तेल की औसत पहुंच कीमत 71.83 डॉलर प्रति बैरल थी, जो गैर-रूसी बैरल की औसत पहुंच कीमत से 10.32 डॉलर कम थी। यह अन्य आपूर्ति करने वाले देशों से आयातित तेल की औसत कीमत पर 12.6 प्रतिशत की प्रभावी छूट में तब्दील हो जाता है।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान भारत को रूसी तेल की पहुंच कीमत इराक की तुलना में 6.3 प्रतिशत और सऊदी अरब की तुलना में 19.3 प्रतिशत के बीच छूट पर थी। इस अवधि के दौरान संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान किए गए तेल की तुलना में रूसी कच्चा तेल 18.8 प्रतिशत सस्ता था।