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24 मालवाहक जहाजों के निर्माण का सौदा रूस के फंसे हुए रुपयों को बचाएगा: विशेषज्ञ
24 मालवाहक जहाजों के निर्माण का सौदा रूस के फंसे हुए रुपयों को बचाएगा: विशेषज्ञ
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भारत और रूस की दोस्ती दुनिया में एक मिसाल है। भारत ने लंबे समय से रूस को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा है जिसने विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय सैन्य क्षमताओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण लगे तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच व्यापार लागतर चालू है, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में रूस को 3,139 वस्तुओं का निर्यात किया, इसमें मशीन, केमिकल, समुद्री उत्पाद, दवाइयाँ जैसे विभिन्न उत्पादों शामिल हैं, निर्यात की कुल कीमत 3.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।आयात की बात करें तो भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में रूस से 1,225 वस्तुओं का आयात किया जिसमें कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती पत्थर, वनस्पति तेल शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत 46.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत का गोवा शिपयार्ड रूसी निर्यात केंद्र के साथ मिलकर कैस्पियन सागर में संचालन के लिए 2027 तक 24 मालवाहक जहाजों का निर्माण करेगा, इनमें से पहले चार जहाज 2024 में लॉन्च होने वाले हैं।Sputnik ने इन मालवाहक जहाजों के बनने से भारत और रूस के बीच चल रहे व्यापार पर पड़ने वाले असर के बारे में नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव से बात की। उन्होंने बताया कि भारत और रूस व्यापार को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढांचागत और संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं।दोनों देशों के बीच यह भागीदारी दो प्रमुख कारकों से प्रेरित है जिनमें भारत की आर्थिक बहु-संरेखण की नीति जो विभिन्न वैश्विक आर्थिक भागीदारी के साथ जुड़कर अपने आर्थिक विकल्पों को खुला रखती है और वहीं दूसरा कारक है रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार के रूप में रूस का उदय।रूस और भारत के बीच जहां व्यापार में बढ़ोतरी हुई है वहीं घाटा भी थोड़ा बढ़ा है, इसलिए व्यापार घाटे के मुद्दे को सही करने के लिए यह आवश्यक है कि भारत और रूस नए सौदे और तंत्र में शामिल हों जो दोनों पक्षों के लिए व्यापार को अधिक न्यायसंगत बना सकें। डॉ. स्वस्ति आगे कहती हैं कि इस तरह के व्यापार को पूर्वी समुद्री गलियारे और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण व्यापार गलियारे जैसी परियोजनाओं का साथ मिलना चाहिए।एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव से जब अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद उभरे लॉजिस्टिक मुद्दे के समाधान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पश्चिमी प्रतिबंधों का मुद्दा पेचीदा बना हुआ है। प्रतिबंध व्यवस्था की उभरती प्रकृति पर एक यथार्थवादी मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है जो हाल ही में मौजूदा प्रतिबंधों में खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहा है।इन जहाजों के निर्माण से भारत की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में कैसे मदद मिलेगी तब उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। भारत की आर्थिक कहानी की सफलता को आर्थिक बहुपक्षवाद में मजबूती से निहित होनी चाहिए।भारत के दृष्टिकोण से, नई दिल्ली हमेशा दुनिया में एक बहुध्रुवीय आर्थिक व्यवस्था बनाए रखेगी और सभी प्रासंगिक भागीदारों के प्रति इस तरह बहु-संरेखित होगी जिसमें भारत के राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जाए।आखिर में उन्होंने बताया कि लॉजिस्टिक अनिश्चितता को कम करने का दूसरा तरीका बीमा या शिपिंग के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर न रहना है, इसलिए इन जहाजों का निर्माण काम आएगा। इसके अलावा यह इस बात का संकेत भी है कि भारत-रूस व्यापार बढ़ने की क्या संभावना है।
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24 मालवाहक जहाजों के निर्माण का सौदा रूस के फंसे हुए रुपयों को बचाएगा: विशेषज्ञ
18:37 01.11.2023 (अपडेटेड: 12:55 02.11.2023) भारत और रूस की दोस्ती दुनिया में एक मिसाल है। भारत ने लंबे समय से रूस को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा है जिसने विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय सैन्य क्षमताओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण लगे तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस के बीच व्यापार लागतर चालू है, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में रूस को 3,139 वस्तुओं का निर्यात किया, इसमें मशीन, केमिकल, समुद्री उत्पाद, दवाइयाँ जैसे विभिन्न उत्पादों शामिल हैं, निर्यात की कुल कीमत 3.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।
आयात की बात करें तो भारत ने वित्तीय वर्ष 2022 में
रूस से 1,225 वस्तुओं का आयात किया जिसमें कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती पत्थर, वनस्पति तेल शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत 46.21 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही।
हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारत का
गोवा शिपयार्ड रूसी निर्यात केंद्र के साथ मिलकर कैस्पियन सागर में संचालन के लिए 2027 तक 24 मालवाहक जहाजों का निर्माण करेगा, इनमें से पहले चार जहाज 2024 में लॉन्च होने वाले हैं।
Sputnik ने इन मालवाहक जहाजों के बनने से भारत और रूस के बीच चल रहे व्यापार पर पड़ने वाले असर के बारे में नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव से बात की। उन्होंने बताया कि भारत और रूस व्यापार को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढांचागत और संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं।
दोनों देशों के बीच यह भागीदारी दो प्रमुख कारकों से प्रेरित है जिनमें भारत की आर्थिक बहु-संरेखण की नीति जो विभिन्न वैश्विक आर्थिक भागीदारी के साथ जुड़कर अपने आर्थिक विकल्पों को खुला रखती है और वहीं दूसरा कारक है रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार के रूप में रूस का उदय।
"इस संबंध में रूस के लिए 24 मालवाहक जहाजों का मौजूदा सौदा एक अच्छी सफलता होगी, जिसके द्वारा रूस अपनी कच्चे तेल के भुगतान के खिलाफ भारतीय बैंकों में फंसे अरबों भारतीय रुपयों का उपयोग कर सकता है और दोनों देशों के लिए निष्पक्ष व्यापार का मार्ग प्रशस्त करेगा। हालांकि यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि केवल इस तरह के सौदे से व्यापार 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा," डॉ. स्वस्ति राव ने Sputnik को बताया।
रूस और भारत के बीच जहां व्यापार में बढ़ोतरी हुई है वहीं घाटा भी थोड़ा बढ़ा है, इसलिए व्यापार घाटे के मुद्दे को सही करने के लिए यह आवश्यक है कि
भारत और रूस नए सौदे और तंत्र में शामिल हों जो दोनों पक्षों के लिए व्यापार को अधिक न्यायसंगत बना सकें। डॉ. स्वस्ति आगे कहती हैं कि इस तरह के व्यापार को पूर्वी समुद्री गलियारे और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण व्यापार गलियारे जैसी परियोजनाओं का साथ मिलना चाहिए।
"जब इन परियोजनाओं को मालवाहक जहाजों के निर्माण के नवीनतम ऑर्डर से जोड़ा जाता है तब यह संभव है कि रूस-भारत व्यापार की वास्तविक क्षमता तक पहुंचने के लिए एक विशाल शक्ति को अनलॉक किया जा सकता है," डॉ. राव ने Sputnik को कहा।
एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव से जब अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद उभरे लॉजिस्टिक मुद्दे के समाधान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि
पश्चिमी प्रतिबंधों का मुद्दा पेचीदा बना हुआ है। प्रतिबंध व्यवस्था की उभरती प्रकृति पर एक यथार्थवादी मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है जो हाल ही में मौजूदा प्रतिबंधों में खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहा है।
"पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत द्वारा रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने का मामला एक सफलता की कहानी रही है। भारत ने रियायती कच्चे तेल पर मुनाफा कमाया, इसे परिष्कृत किया और इसे उच्च कीमत पर यूरोपीय देशों को वापस बेच दिया और इस तरह रूस के ऊर्जा राजस्व में इजाफा हुआ," एसोसिएट फेलो ने कहा।
इन जहाजों के निर्माण से भारत की निर्यात क्षमता को बढ़ाने में कैसे मदद मिलेगी तब उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। भारत की आर्थिक कहानी की सफलता को आर्थिक बहुपक्षवाद में मजबूती से निहित होनी चाहिए।
भारत के दृष्टिकोण से, नई दिल्ली हमेशा दुनिया में एक बहुध्रुवीय आर्थिक व्यवस्था बनाए रखेगी और सभी प्रासंगिक भागीदारों के प्रति इस तरह बहु-संरेखित होगी जिसमें भारत के राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी जाए।
"दुनिया भर में कनेक्टिविटी परियोजनाओं के प्रति भारत की प्रतिबद्धता भी नई दिल्ली के परिपक्व रुख को दर्शाती है। रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार के रूप में उभरा है और भविष्य में यह सहयोग नई दिल्ली और मॉस्को दोनों के लाभ के लिए बढ़ने की संभावना है," मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान में एसोसिएट फेलो डॉ. स्वस्ति राव ने बताया।
आखिर में उन्होंने बताया कि लॉजिस्टिक अनिश्चितता को कम करने का दूसरा तरीका बीमा या शिपिंग के लिए पश्चिमी देशों पर निर्भर न रहना है, इसलिए इन जहाजों का निर्माण काम आएगा। इसके अलावा यह इस बात का संकेत भी है कि भारत-रूस व्यापार बढ़ने की क्या संभावना है।